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बाड़मेर: निजीकरण की नीति के विरोध में अब एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

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Published : Mar 18, 2021, 6:02 PM IST

बाड़मेर में बैंक कर्मचारियों के बाद अब भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारी भी मोदी सरकार की निजीकरण की नीति के विरोध में गुरुवार को हड़ताल पर रहे. गुरुवार को एलआईसी कार्यालय के बाहर कार्मिकों ने मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर एलआईसी के विनिवेश से जुड़े सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ जबरदस्त तरीके से प्रदर्शन किया.

barmer news, निजीकरण का विरोध, LIC employees protest
बाड़मेर में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

बाड़मेर. बैंक कर्मचारियों के बाद अब भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारी भी मोदी सरकार की निजीकरण की नीति के विरोध में गुरुवार को हड़ताल पर रहे. उन्होंने बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित एलआईसी कार्यालय के गेट पर ताले जड़कर मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपना आक्रोश व्यक्त किया.

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बाड़मेर में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

बता दें कि मोदी सरकार एलआईसी का आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है, जिसका एलआईसी कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. मोदी सरकार की निजीकरण प्रयासों के विरोध में बैंक कर्मचारियों के बाद अब भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारी भी हड़ताल कर रहे हैं. गुरुवार को उन्होंने ने मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए एलआईसी के विनिवेश से जुड़े सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ जबरदस्त तरीके से प्रदर्शन किया.

बाड़मेर में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

पढ़ें: संदेहास्पद लेन-देन, वितरण और अवैध शराब पर रखी जाए कड़ी नजर, ताकि स्वतंत्र-निष्पक्ष और शांतिपूर्ण हो सके चुनाव - मुख्य निर्वाचन अधिकारी

नार्दर्न जोन इंश्योरेंस एम्पलाइज एसोसिएशन के सचिव विजय भंसाली ने बताया कि एलआईसी ऑफ इंडिया जैसा नाम से ही स्पष्ट है कि पूरे भारत का अपना एकमात्र स्वदेशी जीवन बीमा निगम भारत सरकार का एक सशक्त सार्वजनिक जीवन बीमा संस्थान है. इसमें निवेशक भारतीय जनता की जमा पूंजी सरकारी सोवेरन गारंटी से संरक्षित है. इसके कारण यह संस्थान एलआईसी पॉलिसी सर्टिफिकेट के जरिए सरकार और जनता के हितों के लिए अथाह पूंजी इकट्ठा करता आ रहा है. इसमें पूंजी आगमन का सिलसिला आज भी जारी है. ऐसे में निगम को पूंजी बढ़ाने व इकट्ठा करने के लिए शेयर बाजार से पैसे की जरूरत नहीं है, फिर भी भारत सरकार इसका आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है. 74 फीसदी एफबीआई स्वीकार कर इस संस्थान को सरकारी नियंत्रण से हटाकर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है, जो कि जनता के साथ धोखा है और इसके उद्देश्यों के बिल्कुल विपरीत है.

उन्होंने कहा कि अगस्त 2017 से लंबित सम्मानजनक वेतन समझौता अभी तक लागू नहीं किया गया है. इसके लिए भी स्टाफ में असंतोष व्याप्त है. इन सभी चीजों से सरकार को अवगत करवाने और उसकी आंखें खोलने के प्रयास में गुरुवार को एलआईसी के कर्मचारियों ने एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल की है.

पढ़ें: कांग्रेस के शासन में थाना, अस्पताल, सड़क और घर पर भी महिला सुरक्षित नहीं, प्रदेश में 1 साल में 12 हजार दुष्कर्म: अलका गुर्जर

बता दें कि आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि एलआईसी का आईपीओ लाया जाएगा. सरकार ने पीएसयू और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल में हिस्सेदारी बेचकर 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. 2 पब्लिक सेंटर बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार निजीकरण करेगी. मोदी सरकार के इस फैसले के विरोध में 2 दिन पहले देशव्यापी बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे थे. वहीं, गुरुवार को एलआईसी कर्मचारी भी उसी राह पर है.

बाड़मेर. बैंक कर्मचारियों के बाद अब भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारी भी मोदी सरकार की निजीकरण की नीति के विरोध में गुरुवार को हड़ताल पर रहे. उन्होंने बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित एलआईसी कार्यालय के गेट पर ताले जड़कर मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपना आक्रोश व्यक्त किया.

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बाड़मेर में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

बता दें कि मोदी सरकार एलआईसी का आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है, जिसका एलआईसी कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. मोदी सरकार की निजीकरण प्रयासों के विरोध में बैंक कर्मचारियों के बाद अब भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारी भी हड़ताल कर रहे हैं. गुरुवार को उन्होंने ने मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए एलआईसी के विनिवेश से जुड़े सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ जबरदस्त तरीके से प्रदर्शन किया.

बाड़मेर में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

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नार्दर्न जोन इंश्योरेंस एम्पलाइज एसोसिएशन के सचिव विजय भंसाली ने बताया कि एलआईसी ऑफ इंडिया जैसा नाम से ही स्पष्ट है कि पूरे भारत का अपना एकमात्र स्वदेशी जीवन बीमा निगम भारत सरकार का एक सशक्त सार्वजनिक जीवन बीमा संस्थान है. इसमें निवेशक भारतीय जनता की जमा पूंजी सरकारी सोवेरन गारंटी से संरक्षित है. इसके कारण यह संस्थान एलआईसी पॉलिसी सर्टिफिकेट के जरिए सरकार और जनता के हितों के लिए अथाह पूंजी इकट्ठा करता आ रहा है. इसमें पूंजी आगमन का सिलसिला आज भी जारी है. ऐसे में निगम को पूंजी बढ़ाने व इकट्ठा करने के लिए शेयर बाजार से पैसे की जरूरत नहीं है, फिर भी भारत सरकार इसका आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है. 74 फीसदी एफबीआई स्वीकार कर इस संस्थान को सरकारी नियंत्रण से हटाकर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है, जो कि जनता के साथ धोखा है और इसके उद्देश्यों के बिल्कुल विपरीत है.

उन्होंने कहा कि अगस्त 2017 से लंबित सम्मानजनक वेतन समझौता अभी तक लागू नहीं किया गया है. इसके लिए भी स्टाफ में असंतोष व्याप्त है. इन सभी चीजों से सरकार को अवगत करवाने और उसकी आंखें खोलने के प्रयास में गुरुवार को एलआईसी के कर्मचारियों ने एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल की है.

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बता दें कि आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि एलआईसी का आईपीओ लाया जाएगा. सरकार ने पीएसयू और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल में हिस्सेदारी बेचकर 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. 2 पब्लिक सेंटर बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार निजीकरण करेगी. मोदी सरकार के इस फैसले के विरोध में 2 दिन पहले देशव्यापी बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे थे. वहीं, गुरुवार को एलआईसी कर्मचारी भी उसी राह पर है.

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