बाड़मेर. राजकीय अस्पताल में आपातकालीन वार्ड में कोरोना संक्रमण के दरमियां आने वाले मरीजों की जांच करते नजर आ रहे हैं डॉ. दिलीप चौधरी. जो साल 2016 से बाड़मेर में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर सर्जरी 2016 से सेवाएं दे रहे हैं. उनकी पत्नी प्रमिला चौधरी स्टाफ नर्स के रूप में साल 2010 से इसी अस्पताल में सेवारत हैं.
दोनों पति-पत्नी बीते 25 दिन से राजकीय अस्पताल में 15 से 18 घण्टे ड्यूटी दे रहे हैं. महज कुछ घण्टों के लिए घर जाने वाले इस कोरोना कर्मवीर जोड़े के मुताबित कोरोना वायरस से खुद को बचाने के साथ-साथ परिवार आस-पड़ोस एवं पूरे देश को बचाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं.
डॉक्टर दिलीप बताते हैं कि मेरी पत्नी पर प्रमिला भी इसी अस्पताल के लेबर रूम में कार्यरत होने के कारण 9 और 5 साल के दोनों बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए बच्चों के ननिहाल भेज दिया गया है. ताकि हम पूरा समय मरीजों को दे सकें और उनसे जुड़ने के लिए ओपीडी, वार्ड और इमरजेंसी में दिन-रात 15 से 18 घंटे सेवा दे रहे हैं.
चौधरी बताते हैं कि आज के हालातों में देश पहले है और परिवार बाद में अस्पताल में ड्यूटी देने के साथ साथ कर्मवीर जोड़े का काम खत्म नहीं होता. वह घर पहुंचने के बाद भी मोबाइल कॉल पर मरीजों को यथा संभव इलाज और परामर्श दे रहे हैं. डॉ. दिलीप चौधरी बताते हैं कि वो सर्जन होने के कारण आवश्यक होने पर इमरजेंसी में मरीजों का ऑपरेशन कर जान बचा रहे हैं. लेकिन ऑपरेशन अभी कुछ दिन के लिए पोस्टपेंड किए जा रहे हैं. ताकि अस्पताल पर अत्यधिक दबाना पड़े तथा ऑपरेशन में इम्यूनिटी कम होने के कारण कोरोना का खतरा काफी अधिक रहता है. सोशियल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई देश को बचाने की हम सबकी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए.
यह भी पढ़ेंः खबर का असरः 104 साल के बुजुर्ग दंपत्ति के घर राहत सामाग्री लेकर पहुंचा प्रशासन, 20 दिन से थे भूखे
अपने पति के कांधे से कंधा मिलाकर काम कर रही स्टाफ नर्स प्रमिला चौधरी बताती हैं कि आज देश को हर नागरिक से मदद और सहयोग की उम्मीद है. ऐसे में चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हम लोगों का फर्ज और बढ़ जाता है. एक तरफ जहां लॉक डाउन को तोड़ रहे लोगों से पुलिस सख्ती से निपट रही है. वहीं डॉक्टर दिलीप चौधरी और प्रमिला चौधरी सही मायने में वह सच्चे भारतीय हैं, जिनके लिए देश का संकट सबसे बड़ा संकट है और इस संकट में यह कहते नजर आ रहे हैं कि साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जाएगा मिलकर बोझ उठाना.