बाड़मेर. गणेश मेघवाल आत्महत्या मामले में करीब 85 घंटे बीत जाने के बाद भी गतिरोध बना हुआ है. जिसके चलते शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया और जिला अस्पताल की मोर्चरी के बाहर मृतक के परिजन और समाज के लोग धरने पर बैठे हुए हैं. वही प्रतिनिधिमंडल और प्रशासन के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है. लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई है.
गणेश मेघवाल के परिजन और समाज के लोग विभिन्न मांगों को लेकर पिछले 4 दिनों से मोर्चरी के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. पुलिस एवं प्रतिनिधिमंडल के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है. चौथे दिन भी धरना अनवरत रूप से जारी रहा और एससी-एसटी एकता मंच के पदाधिकारियों ने स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस पर भेदभाव पूर्ण नीति से दलित परिवार को दबाने के आरोप लगाए.
एससी-एसटी एकता मंच के अध्यक्ष उदाराम मेघवाल ने बताया कि गणेश मेघवाल ने आत्महत्या करने से पूर्व एक सुसाइड नोट लिखा. जिसमें प्रभावशाली लोगों पर आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया. इसके साथ ही मृतक ने नगर परिषद द्वारा प्रताड़ित करने और पुलिस थाने में दर्ज करवाए गए मामलों में कार्रवाई नहीं होने से परेशान होकर आत्महत्या की है. उदाराम के अनुसार पूरे घटनाक्रम में प्रशासन संबंधित अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई हो और गणेश द्वारा दर्ज करवाए गए मामले को रिओपन कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही उन्होंने पीड़ित परिवार को आर्थिक मुआवजा दिलाने की मांग की है.
एससी-एसटी एकता मंच के संयोजक लक्ष्मण वडेरा ने बताया कि स्थानीय जनप्रतिनिधि इस प्रकरण को राजनीतिक रुप दे रहे हैं और आरोपियों का संरक्षण देने की बात कही. गौरतलब है कि रविवार देर रात व्यवसायी गणेश मेघवाल ने अपने घर में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी. वहीं इस मामले को लेकर गुरुवार को चौथे दिन भी मृतक के परिजन और समाज के लोग विभिन्न मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन पर बैठे रहे.