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बाड़मेर: इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का गमले में किया गया विसर्जन

बाड़मेर में मंगलवार को लोगों ने धूम धाम से अनंत चतुर्दशी मनाई. इस अवसर पर लोगों ने गणेश जी की प्रतिमाओं को अपने घरों के गमलों में विसर्जित किया. साथ ही गणेश प्रतिमा का विसर्जन करने के बाद उन गमलों में पौंधे भी लगाए. जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहे.

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गणेश प्रतिमा के विसर्जन के बाद लगाए पौंधे
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Published : Sep 1, 2020, 10:44 PM IST

बाड़मेर. कोरोना संक्रमण के बीच गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस महामारी के बीच कई लोगों ने पर्यावरण को भी ध्यान में रखा. लोगों ने अपने घरों में इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं की स्थापना करके 11 दिवसीय गणेश उत्सव बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया. वहीं, मंगलवार को अनंत चतुर्दशी के दिन इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं को मंत्रोउच्चार के साथ गमले में विसर्जित किया और गमले में पौधारोपण भी किया.

बाड़मेर के एक व्यापारी कमल सिंघल ने गणेश चतुर्थी पर्व पर मिट्टी के गणेश बनाकर अपने घर में गणपति बप्पा की स्थापना की. जिसके बाद अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमा का गमले में विसर्जन किया. कमल सिंघल ने बताया कि गणेशोत्सव के दौरान लोग बड़े उत्साह के साथ गणपति की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं अपने घरों और पंडालों में स्थापित करते हैं, लेकिन विसर्जन के बाद जब इन मूर्तियों की दुर्दशा की तस्वीरें सामने आती है जो मन को विचलित करती हैं.

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लोगों ने की गणेश जी की विदाई

पढ़ें- SPECIAL: एक जिद से हरा-भरा हुआ सूखा लापोडिया, पशुपालन से रुका पलायन

उन्होंने कहा कि इस बार कोरोना की वजह से बड़ी मूर्तियों की स्थापना पंडालों में देखने को नहीं मिली, लेकिन फिर भी गणेश महोत्सव पर भक्तों की श्रद्धा और भक्तिभाव में कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि इस महामारी के बीच हमारे पर्यावरण को भी नुकसान ना पहुंचे इसी सोच को ध्‍यान में रखते हुए घर पर ही इको फ्रेंडली गणपति बनाकर 11 दिवसीय गणेश उत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया.

जिसके बाद मंगलवार को अनंत चतुर्दशी के दिन पहले गणपति बप्पा की आरती उतार कर मोदक का भोग चढ़ाया गया. फिर उनको परंपरा के अनुसार पोटली में मोदक, पंचमेवा, दुर्वा, और सिक्का रख बप्पा को वैकुंठ धाम अगले साल जल्दी आने का कह कर विदाई की रस्म की शुरुआत की गई. फिर उनको गमले में विराजमान कर दुग्धाभिषेक, गंगाजल से स्नान करवाने के बाद शहद, इत्र लगाया गया.

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गमलों में किया गया गणेश जी का विसर्जन

पढ़ें- बाड़मेरः भक्तों ने धूमधाम से दी बप्पा को विदाई, अगले बरस फिर आने का लिया वादा

उन्होंने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य यही है कि अगले साल अधिकतम लोगों की ओर से मिट्टी की मूर्ति स्थापित कर घर या पंडालों में गमले में ही विसर्जन किया जाए, ऐसी जागरूकता लाने का कोशिश की है. ताकि अगले साल सभी लोग मिट्टी की प्रतिमाएं स्थापित करके पर्यावरण को बचाएं और साथ ही भगवान गणेश जी का भी मान बढ़ाएं.

बाड़मेर. कोरोना संक्रमण के बीच गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस महामारी के बीच कई लोगों ने पर्यावरण को भी ध्यान में रखा. लोगों ने अपने घरों में इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं की स्थापना करके 11 दिवसीय गणेश उत्सव बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया. वहीं, मंगलवार को अनंत चतुर्दशी के दिन इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं को मंत्रोउच्चार के साथ गमले में विसर्जित किया और गमले में पौधारोपण भी किया.

बाड़मेर के एक व्यापारी कमल सिंघल ने गणेश चतुर्थी पर्व पर मिट्टी के गणेश बनाकर अपने घर में गणपति बप्पा की स्थापना की. जिसके बाद अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमा का गमले में विसर्जन किया. कमल सिंघल ने बताया कि गणेशोत्सव के दौरान लोग बड़े उत्साह के साथ गणपति की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं अपने घरों और पंडालों में स्थापित करते हैं, लेकिन विसर्जन के बाद जब इन मूर्तियों की दुर्दशा की तस्वीरें सामने आती है जो मन को विचलित करती हैं.

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लोगों ने की गणेश जी की विदाई

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उन्होंने कहा कि इस बार कोरोना की वजह से बड़ी मूर्तियों की स्थापना पंडालों में देखने को नहीं मिली, लेकिन फिर भी गणेश महोत्सव पर भक्तों की श्रद्धा और भक्तिभाव में कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि इस महामारी के बीच हमारे पर्यावरण को भी नुकसान ना पहुंचे इसी सोच को ध्‍यान में रखते हुए घर पर ही इको फ्रेंडली गणपति बनाकर 11 दिवसीय गणेश उत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया.

जिसके बाद मंगलवार को अनंत चतुर्दशी के दिन पहले गणपति बप्पा की आरती उतार कर मोदक का भोग चढ़ाया गया. फिर उनको परंपरा के अनुसार पोटली में मोदक, पंचमेवा, दुर्वा, और सिक्का रख बप्पा को वैकुंठ धाम अगले साल जल्दी आने का कह कर विदाई की रस्म की शुरुआत की गई. फिर उनको गमले में विराजमान कर दुग्धाभिषेक, गंगाजल से स्नान करवाने के बाद शहद, इत्र लगाया गया.

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गमलों में किया गया गणेश जी का विसर्जन

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उन्होंने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य यही है कि अगले साल अधिकतम लोगों की ओर से मिट्टी की मूर्ति स्थापित कर घर या पंडालों में गमले में ही विसर्जन किया जाए, ऐसी जागरूकता लाने का कोशिश की है. ताकि अगले साल सभी लोग मिट्टी की प्रतिमाएं स्थापित करके पर्यावरण को बचाएं और साथ ही भगवान गणेश जी का भी मान बढ़ाएं.

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