चौहटन (बाड़मेर). चौहटन में स्थित थार मरुस्थल के पश्चिमी क्षेत्र में अब अंजीर खेती को लेकर आजमाइश शुरू की गई है. अंजीर के पौधे यहां शानदार तरीके से खेतों में लहलहा रहे हैं. इनमें बड़ी मात्रा में फल भी लगने शुरू हो गए हैं. एक कंपनी ने चौहटन के निकट एडवोकेट रूप सिंह राठौड़ के 'ठाकुर हेम सिंह कृषि फार्म' के साथ अनुबंध कर मरुस्थल में इनवेस्ट कर रही है, जिससे कि यहां पर किसानों की तकदीर बदलने की भरपूर संभावनाएं नजर आ रही हैं.
चौहटन उपखंड क्षेत्र में खजूर और अनार की खेती में मिली अपार सफलता के बाद एक कंपनी ने यहां अंजीर की खेती पर प्रयोग शुरू किया, जिसमें बेहद अनुकूल परिणाम आते दिखाई दे रहे हैं. कंपनी ने हेम सिंह कृषि फार्म से संपर्क कर तीन बिघा जमीन पर करीब 600 अंजीर के पौधे लगवाकर एक साल पहले पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था. हालांकि दो साल में इन पौधों पर फसल पककर तैयार होती है, लेकिन यहां अभी से पौधों पर अंजीर के फल निकल रहे हैं, जो कुछ महीने में पककर तैयार हो जाएंगे.
कंपनी ने किया था एग्रीमेंट
कंपनी ने फिलहाल साठ रुपए प्रति किलो की दर से फार्म मालिक राठौड़ के साथ एग्रीमेंट किया है. खरीद के बाद कंपनी इसकी प्रोसेसिंग शुरू करेगी. उसके बाद इस रेगिस्तानी अंजीर में बाजार में उतारेगी. अंजीर की बाजार में कीमत 800 से 1 हजार रुपए प्रति किलो होती है. हालांकि अंजीर के भाव मौजूदा समय के बाजार भाव पर भी निर्भर करता है.
अंजीर क्या है?
दुनियाभर में अंजीर को औषधीय और खाने का स्वाद बढ़ाने वाले गुणों के लिए जाना जाता है. इस कुरकुरे और मीठे फल का इस्तेमाल कई साल से रोगों के इलाज में किया जाता रहा है. अंजीर को स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है.
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पुराने समय में मानव द्वारा उगाए जाने वाले फलों में अंजीर का नाम भी शामिल है. इतना ही नहीं इस फल का उल्लेख बाइबिल तक में किया गया है. अब इसी बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अंजीर सेहत के लिए कितनी लाभकारी है.
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अंजीर रसीला और गूदेदार फल होता है. दिलचस्प बात यह है कि अंजीर का स्वाद इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कहां उगाया गया है और यह कितना पका है. कब्ज, जुकाम और फेफड़ों से संबंधित रोगों के इलाज में अंजीर को लाभकारी माना गया है.