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लद्दाख पहुंचना मेरे हाथ में नहीं है, नहीं तो हम चीन की सेना को मुंहतोड़ जवाब देते... - Villages of India Pakistan border

भारत-चीन सीमा विवाद में भारत के 20 सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित बाड़मेर जिले के कई ग्रामीणों का कहना है कि लद्दाख जाना उनके हाथ में नहीं है, नहीं तो वो चीन की सेना को करारा जवाब देते और बदला लेते.

India China border dispute, Villages of India Pakistan border
भारत पाकिस्तान बॉर्डर से सटे गांव में लोगों के बीच चीन को लेकर रोष
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Published : Jun 17, 2020, 11:58 PM IST

बाड़मेर. लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए. वहीं, भारतीय सेना ने भी करारा जवाब देते हुए चीनी सेना के 43 जवानों को हताहत किया है. पूर्वी लद्दाख में उपजे इस विवाद के बाद भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर रहने वाले कई लोगों का खून खौल उठा है.

भारत पाकिस्तान बॉर्डर से सटे गांव में लोगों के बीच चीन को लेकर रोष

बॉर्डर के पास रहने वाले लोगों का कहना है कि जिस तरीके से चीन ने धोखे से हमारे सैनिकों को मारा है, अब हमारी सेना उन्हें करारा जवाब देगी. राजस्थान के बाड़मेर जिले के बॉर्डर से सटे खबड़ाल गांव के रहने वाले नरपत सिंह बताते हैं कि जैसे हमने इस घटना के बारे में सुना तो हमारा खून खौल उठा. लद्दाख पहुंचना मेरे हाथ में नहीं है, नहीं तो हम चीन की सेना को मुंहतोड़ जवाब देते.

पढ़ें- कोई भ्रम न पाले, उकसावे का हर हाल में देंगे जवाब : पीएम मोदी

हम बॉर्डर के लोगों ने इससे पहले भी पाकिस्तान से पूरी तरीके से लोहा लिया है और हमने सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है. अब हमारी सेना चीन को भी इसी तरीके से मुंहतोड़ जवाब देगी. मारूडी गांव के मोती सिंह बताते हैं कि जिस वक्त हमनें इस खबर के बारे में सुना तो हमारी रूह कांप गई. हम बॉर्डर के लोगों के खून में हमेशा से ही देश के प्रति वफादारी है.

उन्होंने बताया कि जब पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ था, तो सेना के पास उस समय कुछ भी हाईटेक नहीं हुआ करता था. ऐसे में गांव के लोग ही सेना की मदद करके पाकिस्तान को धूल चटाते थे. मोती सिंह ने कहा कि हम आज गर्व से कह सकते हैं कि किसी भी स्थिति में पाकिस्तान को धूल चटाने के लिए बॉर्डर के इलाकों के गांव के लोग हर वक्त देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि इस बात का बेहद अफसोस है कि चीन ने चालबाजी से हमारे 20 जवानों को मारा.

पढ़ें- गलवान में जो हुआ वह चीन की साजिश थी : विदेश मंत्री

बॉर्डर के पास स्थित तामलोर गांव के रहने वाले सरपंच हिन्दू सिंह बताते हैं कि जो घटना लद्दाख बॉर्डर पर हुई है, उससे बॉर्डर के पास रहने वाले सभी लोगों आक्रोशित हो गए हैं. यहां के लोग हमेशा ही युद्ध के समय में पीछे ना हट कर मोर्चे पर सेनाओं के साथ खड़े रहते हैं. जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच ऐसी जैसी स्थिति बनती है, तो ग्रामीण अपनी सेना के साथ खड़े नजर आते हैं.

उन्होंने कहा कि दुश्मन को रेगिस्तान में धूल चटाने के लिए सेना की मदद को ग्रामीण हमेशा तैयार रहते हैं. इसी तरह लखा गांव के रहने वाली युवा बताते हैं कि जिस तरीके से चीन ने हमारे सैनिकों को मारा है उसके बाद से ही हमारे गांव के लोग चीन के खिलाफ गुस्से से भर गए हैं. हम बॉर्डर के लोग हमेशा ही सेना की मदद युद्ध के वक्त विशेष तौर से करते रहे हैं.

बाड़मेर. लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए. वहीं, भारतीय सेना ने भी करारा जवाब देते हुए चीनी सेना के 43 जवानों को हताहत किया है. पूर्वी लद्दाख में उपजे इस विवाद के बाद भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर रहने वाले कई लोगों का खून खौल उठा है.

भारत पाकिस्तान बॉर्डर से सटे गांव में लोगों के बीच चीन को लेकर रोष

बॉर्डर के पास रहने वाले लोगों का कहना है कि जिस तरीके से चीन ने धोखे से हमारे सैनिकों को मारा है, अब हमारी सेना उन्हें करारा जवाब देगी. राजस्थान के बाड़मेर जिले के बॉर्डर से सटे खबड़ाल गांव के रहने वाले नरपत सिंह बताते हैं कि जैसे हमने इस घटना के बारे में सुना तो हमारा खून खौल उठा. लद्दाख पहुंचना मेरे हाथ में नहीं है, नहीं तो हम चीन की सेना को मुंहतोड़ जवाब देते.

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हम बॉर्डर के लोगों ने इससे पहले भी पाकिस्तान से पूरी तरीके से लोहा लिया है और हमने सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है. अब हमारी सेना चीन को भी इसी तरीके से मुंहतोड़ जवाब देगी. मारूडी गांव के मोती सिंह बताते हैं कि जिस वक्त हमनें इस खबर के बारे में सुना तो हमारी रूह कांप गई. हम बॉर्डर के लोगों के खून में हमेशा से ही देश के प्रति वफादारी है.

उन्होंने बताया कि जब पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ था, तो सेना के पास उस समय कुछ भी हाईटेक नहीं हुआ करता था. ऐसे में गांव के लोग ही सेना की मदद करके पाकिस्तान को धूल चटाते थे. मोती सिंह ने कहा कि हम आज गर्व से कह सकते हैं कि किसी भी स्थिति में पाकिस्तान को धूल चटाने के लिए बॉर्डर के इलाकों के गांव के लोग हर वक्त देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि इस बात का बेहद अफसोस है कि चीन ने चालबाजी से हमारे 20 जवानों को मारा.

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बॉर्डर के पास स्थित तामलोर गांव के रहने वाले सरपंच हिन्दू सिंह बताते हैं कि जो घटना लद्दाख बॉर्डर पर हुई है, उससे बॉर्डर के पास रहने वाले सभी लोगों आक्रोशित हो गए हैं. यहां के लोग हमेशा ही युद्ध के समय में पीछे ना हट कर मोर्चे पर सेनाओं के साथ खड़े रहते हैं. जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच ऐसी जैसी स्थिति बनती है, तो ग्रामीण अपनी सेना के साथ खड़े नजर आते हैं.

उन्होंने कहा कि दुश्मन को रेगिस्तान में धूल चटाने के लिए सेना की मदद को ग्रामीण हमेशा तैयार रहते हैं. इसी तरह लखा गांव के रहने वाली युवा बताते हैं कि जिस तरीके से चीन ने हमारे सैनिकों को मारा है उसके बाद से ही हमारे गांव के लोग चीन के खिलाफ गुस्से से भर गए हैं. हम बॉर्डर के लोग हमेशा ही सेना की मदद युद्ध के वक्त विशेष तौर से करते रहे हैं.

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