बाड़मेर. राजस्थान की ग्रामीण इलाकों की हालत दिन-ब-दिन बद बदतर होती जा रही है. आलम यह है कि एक के बाद एक गांव कोविड-19 चपेट में आ रहे हैं. इसी के तहत बाड़मेर के 2000 गांव अब तक कोरोना की चपेट में आ गए हैं. साथ ही दर्जनों ग्रामीणों ने वायरस से अपनी जान गवा दी है. वहीं हजारों दो लोग अपनी जिंदगी बचाने के लिए जंग लड़ रहे हैं. अब तो प्रशासन भी यह मानने लगा है कि इस बार की लहर गांव से ज्यादा शहर में तांडव कर रही है.
वहीं, राजस्थान के बाड़मेर जिले का चौहटन कस्बे में कोरोना का लोगों में खौफ इस कदर है कि घर से कोई बाहर नहीं निकलना चाहता. लेकिन कुछ लापरवाह लोग अपना व्यवसाय चोरी चुपके जरूर कर रहे हैं. कस्बे के लोगों का कहना है कि सरकार और प्रशासन अपना काम कर रही है, लेकिन हकीकत तो यह है कि चौहटन के स्वास्थ्य केंद्र पर कोरोना मरीजों के लिए कोई भी इंतजाम नहीं है. डॉक्टर भी सही तरीके से परीक्षण नहीं करते हैं. इसलिए हालात पूरी तरीके से गांव में बेकाबू हो रहे हैं.
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इस बीच अब तो स्वास्थ्य विभागीय मानने को तैयार हो गया है कि इस बार की लहर ने स्वास्थ्य व्यवस्था को पूरी तरीके से लड़खड़ा गई है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीएल विश्नोई बताते हैं कि अब तक बाड़मेर जिले के दो हजार से ज्यादा गांव कोरोना की चपेट में आ गए हैं. साथ ही 70 फीसदी मरीज गांव से आ रहे हैं. साथ ही मरने वालों की संख्या भी ग्रामीणों की जबरदस्त तरीके से है. इसे रोकने के लिए हमने घर-घर सर्वे करवा रहे हैं. हालांकि जिले में 2500 की टेस्टिंग की क्षमता है. इसीलिए टेस्टिंग को बाकी जिलों में बेचकर रिपोर्ट मंगवाई जा रही है.
इसलिए ग्रामीण इलाकों की हालत बेहद खराब है, लेकिन प्रशासन ने पूरी तरीके से मोर्चा संभाल रखा है. बता दें कि दूसरी लहर की चपेट में गांव इस कदर आए कि घर-घर में बुखार आने से एक साथ कई लोग चपेट में आ गए और जब तक अस्पताल पहुंचते. उससे पहले ही उनकी हालत इतनी बिगड़ जाती है कि अस्पताल पहुंचते ही दम तोड़ देते हैं. क्योंकि शुरुआती दिनों में वह इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं और शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देती है. यहीं उनकी मौत का सबसे बड़ा कारण बन रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार और प्रशासन किस तरीके से इस जंग में ग्रामीणों की जान बचाता है.