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लॉकडाउनः इन बूढ़ी आंखों को भी है मदद की दरकार...कोई इनको भी खाना खिला दे

कोरोना ने जो तबाही मचाई है उससे क्या गरीब क्या अमीर कोई अछूता नहीं है. लेकिन कुछ गरीब परिवार ऐसे भी हैं जिन तक राहत सामाग्री भी नहीं पहुंच पा रही है. ऐसे ही बाड़मेर के पोकर राम और उनकी पत्नि हैं, जो 20 दिन से दाने-दाने को मोहताज हैं.

बाड़मेर की ताजा खबर, barmer news
20 दिन से दाने-दाने को मोहताज 104 साल के दंपत्ति
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Published : Apr 17, 2020, 9:22 AM IST

Updated : Apr 17, 2020, 9:29 PM IST

बाड़मेर. कोरोना संक्रमण के खिलाफ देशभर में जारी जंग में कई कर्मवीर भी अपना सहयोग दे रहे हैं. बाड़मेर शहर के साथ जिलेभर में भामाशाह में कई समाजसेवी गरीब लोगों को खाने सामग्री के पैकेट वितरित कर रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच कई गरीब परिवारों को आज भी राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. उचित मॉनिटरिंग के अभाव में कई गरीब परिवार अ भी 2 जून की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे है.

20 दिन से दाने-दाने को मोहताज 104 साल के दंपत्ति

कोरोना ने किस तरह तबाही मचाई है उसकी कहानी हम आपको बताते हैं, 104 साल के बुजुर्ग दंपत्ति जीवन के आखिरी पड़ाव में पहली बार पिछले 20 दिनों से खाने के दाने दाने के लिए मोहताज हैं. उनकी यह हालत गहलोत सरकार के उन दावों की पोल खोलती है जिनमें गहलोत सरकार यह दावा करती है कि हर गरीब तक अनाज और खाना पहुंच रहा है. बुजुर्ग पोकरराम बताते हैं कि मैंने जिंदगी के 100 से अधिक साल जिए है. लेकिन ऐसा समय पहली बार देखा है कि सरकार की ओर से कोई राहत सामग्री नहीं मिल रही है.

पढ़ेंः कोरोना कर्मवीरः फर्ज के लिए सिपाही ने टाल दी शादी, कहा- शादी नहीं कोरोना से जंग जरूरी

बुजुर्ग पोकरराम का कहना है कि हम लोग तो सुबह कमाते हैं और शाम को खाते है. लेकिन अब जीना बेहाल हो गया है. सरकार की तरफ से हमें अब तक राहत सामग्री नहीं मिली है. उनकी पत्नी गवरी देवी बताती है कि पिछले 20 दिनों से परिवार का इतना बुरा हाल है कि जिंदगी में कभी नहीं देखा की घर में खाने के लिए भी कुछ नहीं है. सरकार कैसे गरीबों की सहायता कर रही है यह तो मुझे नहीं पता लेकिन हमारे परिवार का बहुत बुरा हाल है. ना तो कोई पेंशन मिली है और ना ही कुछ खाने पीने की सामग्री.
जिला परिषद के सीईओ मोहन दान रतनू के अनुसार जब से लॉकडाउन प्रारंभ हुआ है तब से राज्य सरकार के निर्देशों के अनुरूप में संपूर्ण ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों को राशन किट उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुचारू से जारी है.

पढ़ेंः बाड़मेर: लॉकडाउन के बीच नगर परिषद ने शुरू किया आवारा पशुओं की धरपकड़ का अभियान

उन्होंने कहा कि बाड़मेर शहर के पास बाड़मेर ग्रामीण, बाड़मेर मगरा, बाड़मेर आगोर और मोटाला गाला ये कुछ पंचायते है जो नगर परिषद की सीमा के बाहर कुछ लोग रहते है. जिनको जरूरत होती है तो संबंधित पंचायत से समय-समय पर उपलब्ध करवा रहे हैं. अगर फिर भी किसी को ग्रामीण स्तर पर राशन किट को लेकर कोई समस्या आ रही है तो हम जिला स्तर के कंट्रोल रूम 02982-230462 इस पर बता दे और मैं स्वयं इसकी लगातार मॉनिटरिंग करता हूं. जिला परिषद की तरफ से उन्होंने कहा कि किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को राशन किट से वंचित नहीं रहने दिया जाएगा.

बाड़मेर. कोरोना संक्रमण के खिलाफ देशभर में जारी जंग में कई कर्मवीर भी अपना सहयोग दे रहे हैं. बाड़मेर शहर के साथ जिलेभर में भामाशाह में कई समाजसेवी गरीब लोगों को खाने सामग्री के पैकेट वितरित कर रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच कई गरीब परिवारों को आज भी राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. उचित मॉनिटरिंग के अभाव में कई गरीब परिवार अ भी 2 जून की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे है.

20 दिन से दाने-दाने को मोहताज 104 साल के दंपत्ति

कोरोना ने किस तरह तबाही मचाई है उसकी कहानी हम आपको बताते हैं, 104 साल के बुजुर्ग दंपत्ति जीवन के आखिरी पड़ाव में पहली बार पिछले 20 दिनों से खाने के दाने दाने के लिए मोहताज हैं. उनकी यह हालत गहलोत सरकार के उन दावों की पोल खोलती है जिनमें गहलोत सरकार यह दावा करती है कि हर गरीब तक अनाज और खाना पहुंच रहा है. बुजुर्ग पोकरराम बताते हैं कि मैंने जिंदगी के 100 से अधिक साल जिए है. लेकिन ऐसा समय पहली बार देखा है कि सरकार की ओर से कोई राहत सामग्री नहीं मिल रही है.

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बुजुर्ग पोकरराम का कहना है कि हम लोग तो सुबह कमाते हैं और शाम को खाते है. लेकिन अब जीना बेहाल हो गया है. सरकार की तरफ से हमें अब तक राहत सामग्री नहीं मिली है. उनकी पत्नी गवरी देवी बताती है कि पिछले 20 दिनों से परिवार का इतना बुरा हाल है कि जिंदगी में कभी नहीं देखा की घर में खाने के लिए भी कुछ नहीं है. सरकार कैसे गरीबों की सहायता कर रही है यह तो मुझे नहीं पता लेकिन हमारे परिवार का बहुत बुरा हाल है. ना तो कोई पेंशन मिली है और ना ही कुछ खाने पीने की सामग्री.
जिला परिषद के सीईओ मोहन दान रतनू के अनुसार जब से लॉकडाउन प्रारंभ हुआ है तब से राज्य सरकार के निर्देशों के अनुरूप में संपूर्ण ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों को राशन किट उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुचारू से जारी है.

पढ़ेंः बाड़मेर: लॉकडाउन के बीच नगर परिषद ने शुरू किया आवारा पशुओं की धरपकड़ का अभियान

उन्होंने कहा कि बाड़मेर शहर के पास बाड़मेर ग्रामीण, बाड़मेर मगरा, बाड़मेर आगोर और मोटाला गाला ये कुछ पंचायते है जो नगर परिषद की सीमा के बाहर कुछ लोग रहते है. जिनको जरूरत होती है तो संबंधित पंचायत से समय-समय पर उपलब्ध करवा रहे हैं. अगर फिर भी किसी को ग्रामीण स्तर पर राशन किट को लेकर कोई समस्या आ रही है तो हम जिला स्तर के कंट्रोल रूम 02982-230462 इस पर बता दे और मैं स्वयं इसकी लगातार मॉनिटरिंग करता हूं. जिला परिषद की तरफ से उन्होंने कहा कि किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को राशन किट से वंचित नहीं रहने दिया जाएगा.

Last Updated : Apr 17, 2020, 9:29 PM IST
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