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बारां: रामगढ़ माता के दरबार में होती है भक्तों की मनोकामनाएं पूरी... नौ द्वारों पर माता के नौ रूप वाली मूर्तियां विराजित

बारां शहर से 40 किलोमीटर दूर रामगढ़ की पहाड़ी पर स्थित है कृष्णाई माता और और पूर्णा माता का मंदिर जिसे की रामगढ़ माता के नाम से भी जाना जाता है इस मंदिर में माता के लिए प्रतिदिन देसी घी से बने हलवे पूरी का भोग लगाया जाता है.

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Published : Apr 7, 2019, 10:59 AM IST

रामगढ़ माता का दरबार

रामगढ़. माताजी के मंदिर में गुफा के अंदर कृष्णा और अन्नपूर्णा माता विराजित है. मंदिर के पुजारी मानते हैं कि यह दोनों मूर्तियां प्राकृतिक है इतना ही नहीं मंदिर के पुजारी यहां तक बताते हैं कि या विराजित कृष्णाई मां और अन्नपूर्णा माता दोनों सहेलियां है पुजारी का यहां तक कहना है कि झाला जालिम सिंह के एक युद्ध में कृष्णाई मां उनके साथ खड़ी रही थी. मंदिर के मार्ग में कई छोटे-छोटे मंदिर स्थित है वहीं माता के मंदिर से ठीक ऊपर करीब 140 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है.

रामगढ़ माता के दरबार में होती है भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी

यहां हनुमान जी के मंदिर के दर्शन आपकी मनोकामना पूर्ण करने में और सहायक सिद्ध होते हैं. इसके बाद माता के दरबार में ही भैरू बाबा का मंदिर भी स्थित है जहां दोनों के दर्शन करने के बाद दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है महिलाओं के लिए विशेषकर इस मंदिर में कहा जाता है कि जिन महिलाओं की कोख सुनी रहती है.वो भैरू बाबा के यहां उल्टा साथिया बनाकर अपनी मनोकामना मांगती है और जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है तो उसी जगह पर वह सीधा साथिया बनाती है. इस मंदिर के रास्ते में अलग अलग नौ द्वार आपको दिखाई देंगे बताया जाता है कि किशनगंज के ठेकेदार ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर यहां पर इन द्वारों का निर्माण कराया था.

इन सभी नौ द्वारों पर माता के नौ रूप वाली मूर्तियां विराजित है.माता के मंदिर में जाने के लिए हर एक प्रवेश द्वार में से होकर गुजर ना होता है. इस मंदिर में हाडोती ही नहीं बल्कि राजस्थान के विभिन्न जिलों सहित मध्य प्रदेश दिल्ली पंजाब से लोग दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं इतना ही नहीं यहां मांगी जाने वाली मनोकामना पूर्ण होने पर भी श्रद्धालु पूजा अर्चना लेकर दरबार में हाजिरी लगाते हैं.

रामगढ़. माताजी के मंदिर में गुफा के अंदर कृष्णा और अन्नपूर्णा माता विराजित है. मंदिर के पुजारी मानते हैं कि यह दोनों मूर्तियां प्राकृतिक है इतना ही नहीं मंदिर के पुजारी यहां तक बताते हैं कि या विराजित कृष्णाई मां और अन्नपूर्णा माता दोनों सहेलियां है पुजारी का यहां तक कहना है कि झाला जालिम सिंह के एक युद्ध में कृष्णाई मां उनके साथ खड़ी रही थी. मंदिर के मार्ग में कई छोटे-छोटे मंदिर स्थित है वहीं माता के मंदिर से ठीक ऊपर करीब 140 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है.

रामगढ़ माता के दरबार में होती है भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी

यहां हनुमान जी के मंदिर के दर्शन आपकी मनोकामना पूर्ण करने में और सहायक सिद्ध होते हैं. इसके बाद माता के दरबार में ही भैरू बाबा का मंदिर भी स्थित है जहां दोनों के दर्शन करने के बाद दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है महिलाओं के लिए विशेषकर इस मंदिर में कहा जाता है कि जिन महिलाओं की कोख सुनी रहती है.वो भैरू बाबा के यहां उल्टा साथिया बनाकर अपनी मनोकामना मांगती है और जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है तो उसी जगह पर वह सीधा साथिया बनाती है. इस मंदिर के रास्ते में अलग अलग नौ द्वार आपको दिखाई देंगे बताया जाता है कि किशनगंज के ठेकेदार ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर यहां पर इन द्वारों का निर्माण कराया था.

इन सभी नौ द्वारों पर माता के नौ रूप वाली मूर्तियां विराजित है.माता के मंदिर में जाने के लिए हर एक प्रवेश द्वार में से होकर गुजर ना होता है. इस मंदिर में हाडोती ही नहीं बल्कि राजस्थान के विभिन्न जिलों सहित मध्य प्रदेश दिल्ली पंजाब से लोग दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं इतना ही नहीं यहां मांगी जाने वाली मनोकामना पूर्ण होने पर भी श्रद्धालु पूजा अर्चना लेकर दरबार में हाजिरी लगाते हैं.

Intro:बारां शहर से 40 किलोमीटर दूर रामगढ़ की पहाड़ी पर स्थित है कृष्णाई माता और और पूर्णा माता का मंदिर जिसे की रामगढ़ माता के नाम से भी जाना जाता है इस मंदिर में माता के लिए प्रतिदिन देसी घी से बने हलवे पूरी का भोग लगाया जाता रामगढ़ पहाड़ी पर कृष्णा और अन्नपूर्णा माता जी की प्रतिमाएं प्राकृतिक रूप से गुफा में स्थित है बताया जाता है कि मंदिर तक पहुंचने के लिए यहां झाला जालिम सिंह ने 750 सीढ़ियों का निर्माण करवाया था नेहा देवी की स्थापना आदि काल से मानी जाती है

शहर के प्रमुख व्यवसाय ललित मोहन खंडेलवाल बताते हैं कि जिस जगह पर यह मंदिर स्थित है वह गांव पहले समृद्धि शहर था आज भी जैन प्रतिमाओं के अवशेष होने जैसी जानकारी खंडेलवाल द्वारा दी गई


Body:रामगढ़ माताजी के मंदिर में गुफा के अंदर कृष्णा और अन्नपूर्णा माता विराजित है मंदिर के पुजारी मानते हैं कि यह दोनों मूर्तियां प्राकृतिक है इतना ही नहीं मंदिर के पुजारी यहां तक बताते हैं कि या विराजित कृष्णाई मां और अन्नपूर्णा माता दोनों सहेलियां है पुजारी का यहां तक कहना है कि झाला जालिम सिंह द्वारा एक युद्ध में कृष्णाई मा उनके साथ खड़ी रही थी

मंदिर के मार्ग में कई छोटे-छोटे मंदिर स्थित है वहीं माता के मंदिर से ठीक ऊपर करीब 140 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है यहां हनुमान जी के मंदिर के दर्शन आपकी मनोकामना पूर्ण करने में और सहायक सिद्ध होते हैं इसके बाद माता के दरबार में ही भैरू बाबा का मंदिर भी स्थित है जहां दोनों के दर्शन करने के बाद दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है महिलाओं के लिए विशेषकर इस मंदिर में कहा जाता है कि जिन महिलाओं की कोख सुनी रहती है . वो भैरू बाबा के यहां उल्टा साथिया बनाकर अपनी मनोकामना है मांगती है और जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो उसी जगह पर वह सीधा साथिया बनाती है

इस मंदिर के रास्ते में अलग अलग नौ द्वार आपको दिखाई देंगे बताया जाता है कि किशनगंज के ठेकेदार ने अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर यहां पर इन वारों का निर्माण कराया था इन सभी नौ द्वारों पर माता के नौ रूप वाली मूर्तियां विराजित है माता के मंदिर में जाने के लिए एक प्रवेश द्वार में से होकर गुजर ना होता है


Conclusion:इस मंदिर में हाडोती ही नहीं बल्कि राजस्थान के विभिन्न जिलों सहित मध्य प्रदेश दिल्ली पंजाब से लोग दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं इतना ही नहीं यहां मांगी जाने वाली मनोकामना पूर्ण होने पर भी श्रद्धालु पूजा अर्चना लेकर दरबार में हाजिरी लगाते हैं

मंदिर में दर्शन से पहले आपको कई बातों की ध्यान रखने की आवश्यकता है मंदिर में आते समय रास्ते में यहां मौजूद वानर आपके धार्मिक यात्रा का आनंद खराब कर सकते हैं इसके लिए आप माता को चढ़ाने वाले प्रसादी को किसी बैग या छुपाकर मंदिर तक लेकर जाएं अन्यथा यहां के वानर आपके प्रसादी को खुद ही ग्रहण कर सकते हैं इसके अलावा यहां देवियों का फोटो खींचना सख्त मना है फोटो खींचते हुए पकड़े जाने पर आपको ₹500 दंड देना होगा इतना ही नहीं प्रसादी में काम में ले जाने वाला है नारियल भी फोड़ कर ही अंदर ले जाना होगा इसके अलावा यहां आपके द्वारा चढ़ाए जाने वाला दान भी दान पेटी में ही डालना पड़ेगा

रामगढ़ माताजी का मंदिर देवस्थान विभाग के निगरानी में है ऐसे में यहां के पुजारी सहित अन्य खर्चों का वाहन देवस्थान विभाग द्वारा ही किया जाता है
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