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पंचायत चुनाव 2020ः पहले चरण में 70 फीसदी युवाओं के हाथ गांव की सरकार...30 फीसदी सरपंचों ने नहीं देखी स्कूल की चौखट

बांसवाड़ा में मतदाताओं ने इस बार गांव की सरकार की कमान युवाओं के हाथ में सौंपी है. जिसमें 70 फीसदी निर्वाचित प्रत्याशी युवा हैं. जबकि महज 10 फीसदी 60 से अधिक उम्र के प्रत्याशी निर्वाचित हुए हैं.

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Published : Jan 21, 2020, 7:56 PM IST

बांसवाड़ा की खबर, Panchayati Raj Election
मतदाताओं ने गांव की सरकार की कमान युवाओं के हाथ में सौंपी

बांसवाड़ा. पंचायती राज चुनाव का पहला चरण ग्रामीण क्षेत्र के विकास को लेकर नई उम्मीद लेकर आया है. हालांकि राज्य सरकार ने अंतिम समय में सरपंच और पंचों के लिए शिक्षा की बाध्यता खत्म कर दी थी लेकिन, पहले चरण में गांव की सरकार की कमान संभालने वालों में 70 प्रतिशत लोग स्कूल और कॉलेज तक पहुंचे हैं. वहीं, आधे से अधिक ग्राम पंचायतों की कमान जनता ने युवाओं को सौंपी है. 60 से अधिक उम्र के केवल 10% लोग ही गांव की सरकार तक पहुंच पाए.

पढ़ें- स्पेशल: इस अस्पताल की ऐसी मजबूरी, मरीजों को नहीं मिल पाती सांसों की डोर

पहले चरण में जिले की 4 पंचायत समितियों में आने वाली 198 ग्राम पंचायतों के चुनाव कराए गए थे. जिनके परिणाम बड़े ही सुखद कहे जा सकते हैं. शिक्षा की बात करें तो कुशलगढ़ की रूपगढ़ ग्राम पंचायत की कमान संभालने वाली शारदा देवी और घड़ी पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाले मतवाला ग्राम पंचायत के विकास का भार पोस्ट ग्रेजुएट विट्ठल के कंधों पर रखा जो कि रिटायर्ड प्रिंसिपल है.

इसके बाद 36 ग्राम पंचायत ऐसी है जहां की कमान ग्रामीणों ने ग्रेजुएट उम्मीदवारों को सुपुर्द की है. वहीं, 26 ग्राम पंचायतों में सरपंच सीनियर सेकेंडरी तक शिक्षा हासिल कर चुके हैं. कुल मिलाकर पहले चरण में पंचायत चुनाव जीतने वाले प्रत्याशियों में से 25 सेकेंडरी पास कर चुके हैं. वहीं, 28 आठवीं क्लास उत्तीर्ण है. कुल मिलाकर लगभग 24 सरपंच आठवीं जमात तक पहुंच पाए है. वहीं, लगभग 30% स्कूल की चौखट तक नहीं चढ़े या केवल हस्ताक्षर से आगे नहीं बढ़ पाए.

मतदाताओं ने गांव की सरकार की कमान युवाओं के हाथ में सौंपी

नामांकन पत्र भरने के दौरान दी गई जानकारी के अनुसार सबसे अधिक पढ़े लिखे सरपंच आनंदपुरी पंचायत समिति क्षेत्र से आ रहे हैं. जहां ना सरपंच ग्रेजुएट हैं तो सबसे कम पढ़े लिखे सरपंचों वाली पंचायत में घाटोल पंचायत समिति शामिल की जा सकती है. जहां के 30 सरपंच सबसे कम पढ़े लिखे मैं शामिल है. अब यदि ग्राम पंचायतों की कमान संभालने वाले सरपंचों की उम्र पर नजर डाले तो चारों ही पंचायत समिति आनंदपुरी घाटोल कुशलगढ़ और गढ़ी में 60 से अधिक उम्र के 20 सरपंच सामने आए हैं.

बता दें कि130 सरपंचों की उम्र 50 या 50 से नीचे की है. करीब 20% सरपंच 50 और 60 साल के बीच में आ रहे हैं. युवा और शिक्षित लोगों के ग्राम पंचायतों के कमान संभालने को विकास से जोड़कर भी देखा जा सकता है. अशिक्षित होने के कारण सरकारी कार्मिक अपनी इच्छा के अनुसार ग्राम पंचायतों को चलाते हैं. ऐसे में शिक्षित लोगों के आने से उनकी दखल कम होगी और जनता की इच्छा सर्वोपरि होने के साथ भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगने की संभावना है.

पढ़ें- उपद्रवियों की खैर नहीं! दूसरे चरण के चुनाव में पुलिस जाब्ता रहेगा तैनात

वहीं, अधिवक्ता और भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष भगवत पुरी का मानना है कि यह आदिवासी बाहुल्य इस जिले के विकास के लिए पत्थर का मिल साबित हो सकता है. सरपंच जनता की इच्छा के अनुसार पंचायत में कामकाज करवा सकेंगे. वहीं सरकारी कार्मिकों की दखल कम होगी. युवा वर्ग अपेक्षाकृत अधिक ऊर्जावान होते हैं ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को नीचे तक पहुंचाने में भी काफी हद तक कामयाबी मिल सकती है.

बांसवाड़ा. पंचायती राज चुनाव का पहला चरण ग्रामीण क्षेत्र के विकास को लेकर नई उम्मीद लेकर आया है. हालांकि राज्य सरकार ने अंतिम समय में सरपंच और पंचों के लिए शिक्षा की बाध्यता खत्म कर दी थी लेकिन, पहले चरण में गांव की सरकार की कमान संभालने वालों में 70 प्रतिशत लोग स्कूल और कॉलेज तक पहुंचे हैं. वहीं, आधे से अधिक ग्राम पंचायतों की कमान जनता ने युवाओं को सौंपी है. 60 से अधिक उम्र के केवल 10% लोग ही गांव की सरकार तक पहुंच पाए.

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पहले चरण में जिले की 4 पंचायत समितियों में आने वाली 198 ग्राम पंचायतों के चुनाव कराए गए थे. जिनके परिणाम बड़े ही सुखद कहे जा सकते हैं. शिक्षा की बात करें तो कुशलगढ़ की रूपगढ़ ग्राम पंचायत की कमान संभालने वाली शारदा देवी और घड़ी पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाले मतवाला ग्राम पंचायत के विकास का भार पोस्ट ग्रेजुएट विट्ठल के कंधों पर रखा जो कि रिटायर्ड प्रिंसिपल है.

इसके बाद 36 ग्राम पंचायत ऐसी है जहां की कमान ग्रामीणों ने ग्रेजुएट उम्मीदवारों को सुपुर्द की है. वहीं, 26 ग्राम पंचायतों में सरपंच सीनियर सेकेंडरी तक शिक्षा हासिल कर चुके हैं. कुल मिलाकर पहले चरण में पंचायत चुनाव जीतने वाले प्रत्याशियों में से 25 सेकेंडरी पास कर चुके हैं. वहीं, 28 आठवीं क्लास उत्तीर्ण है. कुल मिलाकर लगभग 24 सरपंच आठवीं जमात तक पहुंच पाए है. वहीं, लगभग 30% स्कूल की चौखट तक नहीं चढ़े या केवल हस्ताक्षर से आगे नहीं बढ़ पाए.

मतदाताओं ने गांव की सरकार की कमान युवाओं के हाथ में सौंपी

नामांकन पत्र भरने के दौरान दी गई जानकारी के अनुसार सबसे अधिक पढ़े लिखे सरपंच आनंदपुरी पंचायत समिति क्षेत्र से आ रहे हैं. जहां ना सरपंच ग्रेजुएट हैं तो सबसे कम पढ़े लिखे सरपंचों वाली पंचायत में घाटोल पंचायत समिति शामिल की जा सकती है. जहां के 30 सरपंच सबसे कम पढ़े लिखे मैं शामिल है. अब यदि ग्राम पंचायतों की कमान संभालने वाले सरपंचों की उम्र पर नजर डाले तो चारों ही पंचायत समिति आनंदपुरी घाटोल कुशलगढ़ और गढ़ी में 60 से अधिक उम्र के 20 सरपंच सामने आए हैं.

बता दें कि130 सरपंचों की उम्र 50 या 50 से नीचे की है. करीब 20% सरपंच 50 और 60 साल के बीच में आ रहे हैं. युवा और शिक्षित लोगों के ग्राम पंचायतों के कमान संभालने को विकास से जोड़कर भी देखा जा सकता है. अशिक्षित होने के कारण सरकारी कार्मिक अपनी इच्छा के अनुसार ग्राम पंचायतों को चलाते हैं. ऐसे में शिक्षित लोगों के आने से उनकी दखल कम होगी और जनता की इच्छा सर्वोपरि होने के साथ भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगने की संभावना है.

पढ़ें- उपद्रवियों की खैर नहीं! दूसरे चरण के चुनाव में पुलिस जाब्ता रहेगा तैनात

वहीं, अधिवक्ता और भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष भगवत पुरी का मानना है कि यह आदिवासी बाहुल्य इस जिले के विकास के लिए पत्थर का मिल साबित हो सकता है. सरपंच जनता की इच्छा के अनुसार पंचायत में कामकाज करवा सकेंगे. वहीं सरकारी कार्मिकों की दखल कम होगी. युवा वर्ग अपेक्षाकृत अधिक ऊर्जावान होते हैं ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को नीचे तक पहुंचाने में भी काफी हद तक कामयाबी मिल सकती है.

Intro:बांसवाड़ा। पंचायत राज चुनाव का पहला चरण ग्रामीण क्षेत्र के विकास को लेकर नई उम्मीद लेकर आया है। हालांकि राज्य सरकार ने अंतिम समय में सरपंच और पंचों के लिए शिक्षा की बाध्यता खत्म कर दी थी लेकिन पहले चरण में गांव की सरकार की कमान संभालने वालों में 70 प्रतिशत लोग स्कूल और कॉलेज तक पहुंचे हैं। वही आधे से अधिक ग्राम पंचायतों की कमान जनता ने युवाओं को सौंपी है। 60 से अधिक उम्र के केवल 10% लोग ही गॉंव की सरकार तक पहुंच पाए।


Body:पहले चरण में जिले की 4 पंचायत समितियों में आने वाली 198 ग्राम पंचायतों के चुनाव कराए गए थे जिनके परिणाम बड़े ही सुखद कहे जा सकते हैं। शिक्षा की बात करें तो कुशलगढ़ की रूपगढ़ ग्राम पंचायत की कमान संभालने वाली शारदा देवी और घड़ी पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाले मतवाला ग्राम पंचायत के विकास का भार पोस्ट ग्रेजुएट विट्ठल के कंधों पर रखा जो कि रिटायर्ड प्रिंसिपल है। इसके बाद 36 ग्राम पंचायत ऐसी है जहां की कमान ग्रामीणों द्वारा ग्रेजुएट उम्मीदवारों को सुपुर्द की है। वही 26 ग्राम पंचायतों में सरपंच सीनियर सेकेंडरी तक शिक्षा हासिल कर चुके हैं। कुल मिलाकर पहले चरण में पंचायत चुनाव जीतने वाले प्रत्याशियों में से 25 सेकेंडरी पास कर चुके हैं वहीं 28 आठवीं क्लास उत्तीर्ण है। कुल मिलाकर लगभग दो दर्जन सरपंच आठवीं जमात तक पहुंच पाए वही लगभग 30% स्कूल की चौखट तक नहीं चढ़े या केवल हस्ताक्षर से आगे नहीं बढ़ पाए।


Conclusion:नामांकन पत्र भरने के दौरान दी गई जानकारी के अनुसार सबसे अधिक पढ़े लिखे सरपंच आनंदपुरी पंचायत समिति क्षेत्र से आ रहे हैं जहां नो सरपंच ग्रेजुएट हैं तो सबसे कम पढ़े लिखे सरपंचों वाली पंचायत में घाटोल पंचायत समिति शामिल की जा सकती है जहां के 30 सरपंच सबसे कम पढ़े लिखे मैं शामिल है। अब यदि ग्राम पंचायतों की कमान संभालने वाले सरपंचों की उम्र पर नजर डाले तो चारों ही पंचायत समिति आनंदपुरी घाटोल कुशलगढ़ और गढ़ी मैं 60 से अधिक उम्र के 20 सरपंच सामने आए हैं। 130 सरपंचों की उम्र 50 या 50 से नीचे की है। करीब 20% सरपंच 50 और 60 साल के बीच में आ रहे हैं। युवा और शिक्षित लोगों के ग्राम पंचायतों के कमान संभालने को विकास से जोड़कर भी देखा जा सकता है। अशिक्षित होने के कारण सरकारी कार्मिक अपनी इच्छा के अनुसार ग्राम पंचायतों को चलाते हैं ऐसे में शिक्षित लोगों के आने से उनकी दखल कम होगी और जनता की इच्छा सर्वोपरि होने के साथ भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगने की संभावना है। अधिवक्ता और भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष भगवत पुरी का मानना है कि यह आदिवासी बाहुल्य इस जिले के विकास के लिए पत्थर का मिल साबित हो सकता है। सरपंच जनता की इच्छा के अनुसार पंचायत में कामकाज करवा सकेंगे वहीं सरकारी कार्मिकों की दखल कम होगी। युवा वर्ग अपेक्षाकृत अधिक ऊर्जावान होते हैं ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को नीचे तक पहुंचाने में भी काफी हद तक कामयाबी मिल सकती है।

बाइट...... भगवत पुरी अधिवक्ता एवं पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा
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