बांसवाड़ा. गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय में बनने वाली डिजिटल लाइब्रेरी के लिए टीएडी विभाग 1 करोड़ रुपए की राशि देगा. इसकी घोषणा मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया ने बुधवार को यूनिवर्सिटी के स्थापना दिवस समारोह में की. गौरतलब है कि गुरूवार को मानाए जाने वाले गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के सात दिवसीय कार्यक्रमों की शुरुआत आज से हो चुकी है.
आदिवासी बाहुल्य जिले बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ तीनों जिलों के लिए बनाए गए गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय का यह छठा स्थापना दिवस है. जिसके कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई है. ये कार्यक्रम आने वाले 7 दिनों तक चलेगें जिन्हें अलग-अलग स्थानों पर आयोजित किया जाएगा. इसी के तहत पहला कार्यक्रम आज विश्वविद्यालय परिसर में जनजाति संग्रहालय के उद्घाटन के साथ हुआ.
गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय के सातवें स्थापना दिवस के कार्यक्रम में अतिथि के रूप में टीएडी मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया, सभापति जैनेंद्र त्रिवेदी, बेणेश्वर धाम के महंत अच्युतानंद महाराज, यूनिवर्सिटी कुलपति प्रोफेसर डॉक्टर आईवी त्रिवेदी और रजिस्ट्रार गोविंद देवरा मौजूद रहे. आज के कार्यक्रम के दौरान सबसे पहले अतिथियों ने जनजाति संग्रहालय का उद्घाटन किया इसमें कृषि और घरेलू उपयोग में आने वाली तमाम सामग्री की प्रदर्शनी लगाई गई. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर आईवी त्रिवेदी ने स्थाई फैकल्टी और डिजिटल लाइब्रेरी के लिए धन की आवश्यकता की मांग की थी जिसे गंभीरता से लेते हुए मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया ने एक करोड रुपए विभाग से विश्वविद्यालय के लिए स्वीकृत करने की घोषणा कर दी. साथ ही विश्वविद्यालय में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं होने का भरोसा भी दिलाया.
ऐसे मिलेंगे यूनिवर्सिटी को एक करोड़ रुपए
जीजीटीयू से 3 जिलों के वर्तमान में 152 विश्वविद्यालय जुड़े हुए हैं. इसमें निजी और सरकारी सभी शामिल हैं. 15 दिसंबर 2020 से पहले यूनिवर्सिटी बीते 5 साल से कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित टीएडी भवन में संचालित थी. जिसका करीब ₹3 लाख प्रतिमाह किराया यूनिवर्सिटी टीएडी मंत्रालय को देती थी. अब तक करीब एक करोड़ 23 लाख रुपया यूनिवर्सिटी पर बकाया चल रहा है. कुलपति ने मंत्री से मांग की थी कि वे टीएडी विभाग के मंत्री हैं ऐसे में वे इस राशि को यदि माफ कर देंगे तो इससे डिजिटल लाइब्रेरी तैयार हो जाएगी और मंत्री ने इस किराए में छूट देने की घोषणा कार्यक्रम में कर दी जिससे डिजिटल लाइब्रेरी बनने का रास्ता साफ हो गया है.