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पशुओं की मदद के लिए आगे आए समाजसेवी, रोटी, चारे और दूध की व्यवस्था - जानवरों को कराया भोजन

लॉकडाउन के दौरान सरकार और प्रशासन की ओर से गरीब लोगों के खाने पीने की व्यवस्था की जा रही है. लेकिन बड़ी संख्या में शहर में घूमने वाले पशु पक्षियों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई. जिनके चलते बांसवाड़ा में 60 से अधिक लोग साथ मिलकर इनके खाने-पीने की व्यवस्था कर रहे हैं.

जानवरों को कराया भोजन, Food provided to animals
जानवरों को कराया भोजन
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Published : Apr 30, 2020, 8:33 PM IST

बांसवाड़ा. कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर देश में पिछले एक महीने से लॉकडाउन चल रहा है. जिसके चलते सरकार और सामाजिक संस्थाएं जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध करा रही हैं. ऐसी स्थिति में जानवरों के सामने भी भोजन का संकट खड़ा हो गया है.

इन जानवरों को भोजन उप्लब्ध करवाने के लिए कई संस्थाएं सामने आईं हैं. शहर में घूमने वाले आवारा पशुओं के साथ बंदरों और कुत्तों के लिए ना केवल रोटी की व्यवस्था की जा रही है, बल्कि चारा और लिक्विड के तौर पर दूध तक उपलब्ध कराया जा रहा है.

पशुओं की मदद के लिए आगे आए समाजसेवी

इस पुण्य काम में करीब 60 लोग साथ मिलकर काम कर रहे हैं. साथ ही आर्थिक सहायता भी दे रहे हैं. सबसे पहले वागड़ पर्यावरण संस्थान इन पशुओं की सेवा के लिए आगे आया और शहर के प्रमुख स्थानों पर कबूतरों के लिए दाना पानी के साथ बंदरों के लिए रोटियों की व्यवस्था का जिम्मा उठाया.

जिसके बाद समाजसेवी विकेश मेहता के सहयोग से न्यू उत्सव सेवा समिति ने आखिरकार इन पशु-पक्षियों की सेवा का जिम्मा उठाया. 1 अप्रैल से गौशाला के साथ-साथ ऐसे स्थान जहां पर बंदरों के झुंड आते हों, वहां पर चारे पानी के साथ रोटियों की व्यवस्था शुरू की गई.

पढ़ें: डूंगरपुर के लाल की कुवैत में कोरोना से मौत, यहां परिजनों द्वारा किया गया सांकेतिक दाह संस्कार

इसके साथ ही कुत्तों की भी सुध ली गई और उनके लिए रोटी के साथ-साथ लिक्विड पदार्थों की व्यवस्था की गई. जैसे-जैसे सेवा कार्य आगे बढ़ा समाजसेवी इस मिशन से जुड़ते गए और आज करीब 60 से अधिक लोग इस मिशन से जुड़ चुके हैं. शहर में सुबह और शाम दोनों ही वक्त न्यू उत्सव सेवा समिति के लोग बाइक पर रोटियां लेकर निकल जाते हैं और जहां भी कुत्ते, गाय और बंदर नजर आते हैं, वहां रोटियां रख दी जाती हैं.

इसे देखते हुए अब तो नियत समय पर कई स्थानों पर बंदरों के झुंड पहुंच जाते हैं. पशु-पक्षियों के लिए संस्था की ओर से प्रतिदिन 30 से 35 किलोग्राम आटे की रोटियां बनाकर अलग-अलग स्थान पर भेजी जा रही हैं. साथ ही गायों के लिए 10 से 12 किलो टमाटर और चारे-पानी की व्यवस्था की जा रही है. साथ ही पिल्लों के लिए दूध तक पहुंचाया जा रहा है.

बांसवाड़ा. कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर देश में पिछले एक महीने से लॉकडाउन चल रहा है. जिसके चलते सरकार और सामाजिक संस्थाएं जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध करा रही हैं. ऐसी स्थिति में जानवरों के सामने भी भोजन का संकट खड़ा हो गया है.

इन जानवरों को भोजन उप्लब्ध करवाने के लिए कई संस्थाएं सामने आईं हैं. शहर में घूमने वाले आवारा पशुओं के साथ बंदरों और कुत्तों के लिए ना केवल रोटी की व्यवस्था की जा रही है, बल्कि चारा और लिक्विड के तौर पर दूध तक उपलब्ध कराया जा रहा है.

पशुओं की मदद के लिए आगे आए समाजसेवी

इस पुण्य काम में करीब 60 लोग साथ मिलकर काम कर रहे हैं. साथ ही आर्थिक सहायता भी दे रहे हैं. सबसे पहले वागड़ पर्यावरण संस्थान इन पशुओं की सेवा के लिए आगे आया और शहर के प्रमुख स्थानों पर कबूतरों के लिए दाना पानी के साथ बंदरों के लिए रोटियों की व्यवस्था का जिम्मा उठाया.

जिसके बाद समाजसेवी विकेश मेहता के सहयोग से न्यू उत्सव सेवा समिति ने आखिरकार इन पशु-पक्षियों की सेवा का जिम्मा उठाया. 1 अप्रैल से गौशाला के साथ-साथ ऐसे स्थान जहां पर बंदरों के झुंड आते हों, वहां पर चारे पानी के साथ रोटियों की व्यवस्था शुरू की गई.

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इसके साथ ही कुत्तों की भी सुध ली गई और उनके लिए रोटी के साथ-साथ लिक्विड पदार्थों की व्यवस्था की गई. जैसे-जैसे सेवा कार्य आगे बढ़ा समाजसेवी इस मिशन से जुड़ते गए और आज करीब 60 से अधिक लोग इस मिशन से जुड़ चुके हैं. शहर में सुबह और शाम दोनों ही वक्त न्यू उत्सव सेवा समिति के लोग बाइक पर रोटियां लेकर निकल जाते हैं और जहां भी कुत्ते, गाय और बंदर नजर आते हैं, वहां रोटियां रख दी जाती हैं.

इसे देखते हुए अब तो नियत समय पर कई स्थानों पर बंदरों के झुंड पहुंच जाते हैं. पशु-पक्षियों के लिए संस्था की ओर से प्रतिदिन 30 से 35 किलोग्राम आटे की रोटियां बनाकर अलग-अलग स्थान पर भेजी जा रही हैं. साथ ही गायों के लिए 10 से 12 किलो टमाटर और चारे-पानी की व्यवस्था की जा रही है. साथ ही पिल्लों के लिए दूध तक पहुंचाया जा रहा है.

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