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रिटायर हो जाओ और जिंदगी भर की कमाई भूल जाओ...कुछ ऐसा है रोडवेज कर्मचारियों का हाल

सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलने का प्रावधान है, लेकिन राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के कर्मचारियों को पिछले 4 सालों में कोई भी पेंशन नहीं मिली है. जिससे उन्हें अब घर चलाने में मुश्किलें आ रही हैं.

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रोडवेज कर्मचारियों के हाल
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Published : Jul 2, 2020, 2:52 PM IST

बांसवाड़ा. केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार, अपने किसी भी कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने से पहले तमाम लाभ-परिलाभ के भुगतान का प्रावधान है. न्यायालय तक ने इससे कर्मचारी का हक बताया है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि राजस्थान में एक विभाग ऐसा भी है जिसके सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 4 साल बाद भी किसी प्रकार का भुगतान नहीं किया गया है.

रोडवेज कर्मचारियों के हाल

हम बात कर रहे हैं राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की, जिसके हजारों कर्मचारी लंबे अरसे से अपनी जिंदगी की कमाई का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल किसी प्रकार के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. हालत यह है कि कर्मचारियों के लगातार आंदोलन के बावजूद रोडवेज प्रबंधन भुगतान के मूड में नहीं दिख रहा है.

अपनी इस बकाया राशि को लेकर सेवानिवृत्त कर्मचारी समय-समय पर प्रबंधन की उपेक्षा को लेकर अलग अलग तरीके से विरोध करते नजर आते हैं. सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली पूंजी को लेकर सरकारी हो या गैर सरकारी कर्मचारी बड़ी उम्मीदें रखता है.

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राजस्थान रोडवेड के कर्मचारियों को नहीं मिल रही पेंशन

यह भी पढे़ं : RAS भर्ती परीक्षा 2018 में एमबीसी का 5 प्रतिशत आरक्षण लागू, 34 पद बढ़ाए

राजस्थान रोडवेज की यह हालत है कि वर्ष 2016 से किसी भी रिटायर कर्मचारी को उसकी ग्रेच्युटी, जीएच, ओवर टाइम, उपार्जित अवकाश सहित तमाम प्रकार के लाभ परिलाभ का भुगतान नहीं हो पा रहा है. इसके चलते सेवानिवृत्त कर्मचारी विभिन्न प्रकार की आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहे हैं.

स्थाई कर्मचारियों के हाथ में केवल पेंशन हाथ आ रही है. जबकि ईपीएफओ से संबंधित कर्मचारियों की हालत और भी बुरी कही जा सकती है. जिन्हें 1000 से लेकर 2000 रुपए भी पेंशन नहीं मिल रही है और उनके समक्ष परिवार को चलाना भी मुश्किल है. जबकि वे अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा रोडवेज की सेवा में बिता चुके हैं.

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राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम

कर्मचारियों की हालत को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने उन्हें टटोला तो कई प्रकार की हैरतअंगेज बातें उभर कर सामने आई. कर्मचारी यूनियन के अनुसार पूरे प्रदेश में साल 2016 से मई 2020 तक 4127 कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए. जिन्हें अब तक किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं हुआ है. इन कर्मचारियों की राशि करीब 600 करोड़ रुपए बन रही है.

अकेले बांसवाड़ा डिपो की बात करें तो इस अवधि में 71 कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए. जिनकी 5 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का भुगतान बकाया है. इसे लेकर सेवानिवृत्त कर्मचारियों में सरकार के खिलाफ नाराजगी साफ नजर आई.

यह भी पढ़ें- पेट्रोल-डीजल पर सबसे अधिक VAT वसूल रही राजस्थान सरकार, थोड़ी सी स्टडी करें खाचरियावास : सराफ

कर्मचारियों का कहना था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव से पहले उनकी इन मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था. यहां तक की उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास जैसे नेताओं ने आंदोलन स्थल पर पहुंचकर कई प्रकार के वादे किए थे. जो सत्ता में आने के बाद अब सुनने को भी तैयार नहीं है.

रोडवेज आगार के मुख्य प्रबंधक रवि मेहरा भी मानते हैं कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों की बकाया राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है. हम प्रतिमाह इसे लेकर मुख्यालय प्रपोजल भेजते हैं. राशि आने के साथ ही कर्मचारियों को उनकी बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाएगा.

बांसवाड़ा. केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार, अपने किसी भी कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने से पहले तमाम लाभ-परिलाभ के भुगतान का प्रावधान है. न्यायालय तक ने इससे कर्मचारी का हक बताया है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि राजस्थान में एक विभाग ऐसा भी है जिसके सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 4 साल बाद भी किसी प्रकार का भुगतान नहीं किया गया है.

रोडवेज कर्मचारियों के हाल

हम बात कर रहे हैं राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की, जिसके हजारों कर्मचारी लंबे अरसे से अपनी जिंदगी की कमाई का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल किसी प्रकार के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. हालत यह है कि कर्मचारियों के लगातार आंदोलन के बावजूद रोडवेज प्रबंधन भुगतान के मूड में नहीं दिख रहा है.

अपनी इस बकाया राशि को लेकर सेवानिवृत्त कर्मचारी समय-समय पर प्रबंधन की उपेक्षा को लेकर अलग अलग तरीके से विरोध करते नजर आते हैं. सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली पूंजी को लेकर सरकारी हो या गैर सरकारी कर्मचारी बड़ी उम्मीदें रखता है.

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राजस्थान रोडवेड के कर्मचारियों को नहीं मिल रही पेंशन

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राजस्थान रोडवेज की यह हालत है कि वर्ष 2016 से किसी भी रिटायर कर्मचारी को उसकी ग्रेच्युटी, जीएच, ओवर टाइम, उपार्जित अवकाश सहित तमाम प्रकार के लाभ परिलाभ का भुगतान नहीं हो पा रहा है. इसके चलते सेवानिवृत्त कर्मचारी विभिन्न प्रकार की आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहे हैं.

स्थाई कर्मचारियों के हाथ में केवल पेंशन हाथ आ रही है. जबकि ईपीएफओ से संबंधित कर्मचारियों की हालत और भी बुरी कही जा सकती है. जिन्हें 1000 से लेकर 2000 रुपए भी पेंशन नहीं मिल रही है और उनके समक्ष परिवार को चलाना भी मुश्किल है. जबकि वे अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा रोडवेज की सेवा में बिता चुके हैं.

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राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम

कर्मचारियों की हालत को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने उन्हें टटोला तो कई प्रकार की हैरतअंगेज बातें उभर कर सामने आई. कर्मचारी यूनियन के अनुसार पूरे प्रदेश में साल 2016 से मई 2020 तक 4127 कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए. जिन्हें अब तक किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं हुआ है. इन कर्मचारियों की राशि करीब 600 करोड़ रुपए बन रही है.

अकेले बांसवाड़ा डिपो की बात करें तो इस अवधि में 71 कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए. जिनकी 5 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का भुगतान बकाया है. इसे लेकर सेवानिवृत्त कर्मचारियों में सरकार के खिलाफ नाराजगी साफ नजर आई.

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कर्मचारियों का कहना था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव से पहले उनकी इन मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था. यहां तक की उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास जैसे नेताओं ने आंदोलन स्थल पर पहुंचकर कई प्रकार के वादे किए थे. जो सत्ता में आने के बाद अब सुनने को भी तैयार नहीं है.

रोडवेज आगार के मुख्य प्रबंधक रवि मेहरा भी मानते हैं कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों की बकाया राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है. हम प्रतिमाह इसे लेकर मुख्यालय प्रपोजल भेजते हैं. राशि आने के साथ ही कर्मचारियों को उनकी बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाएगा.

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