घाटोल(बांसवाड़ा). जिंदगी किसी संघर्ष से कम नहीं होती है. लेकिन यही संघर्ष कुछ लोगों के लिए इतना बढ़ जाता है कि उस स्थिति को शब्दों में भी बयां नहीं किया जा सकता है. यह ऐसा वक्त होता है जब चारों तरफ से दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है. ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट ऐसी ही एक कहानी को आपके सामने लाएगी जिसमें 2 अनाथ भाई-बहिनों के अब आशियाने भी उजड़ गए.
यह मामला है जिले के घाटोल कस्बे का जहां एक 16 साल का नाबालिग किशोर अपनी 7 वर्ष की बहिन के साथ नजदीकी गांव चड़ला में रहता था. घर में दोनों अकेले रहते थे. 6 साल पहले एक गंभीर बीमारी के चलते पिता की मौत हो गई थी, जिसके 1 साल बाद ही मां भी चल बसी. अपनी 2 साल की बहिन के भरण-पोषण के लिए किशोर विट्ठल ने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी और मजदूरी करने लगा. लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी किस्मत में अभी अच्छे दिन नहीं लिखे थे कि जिले में 15 दिन पहले हुई भारी ण बारिश में उसका अपना छोटा सा आशियाना भी बह गया.
पढ़ें: बसपा की बैठक में हंगामा, मारपीट तक जा पहुंची स्थिति
बता दें कि जिले में 3 हफ्तें पहले भारी बारिश देखी गई थी. इस बारिश ने चड़ला निवासी विट्ठल पुत्र गौतमलाल कटारा का घर तबाह कर दिया. इसके बाद जब मां-बाप और घर ने भी उसका साथ छोड़ दिया तो वो अपने अंधे चाचा के पास रहने को मजबूर हुआ.
करीब 15 दिन पहले बारिश मे तबाह हुए आशियाने का जायजा लेने न तो कोई जन प्रतिनिधि पहुंचा है और ना ही कोई प्रशासनिक अधिकारी, जिसके चलते विठ्ठल को अभी तक कोई सरकारी राहत प्रदान नहीं हुई है. विट्ठल के कंधो पर उसकी बहन व उसके स्वयं के भरण पोषण की जिम्मेदारी ने स्कुल की पढ़ाई छुड़वा दी और मजदूरी करने लगा. विठ्ठल खुद नहीं स्कुल नहीं जा सका लेकिन बचपन में ही मजदूरी कर अपनी छोटी बहन को स्कुल भेज अपनी जिम्मेदारी को बख़ुदी निभा रहा था.
पढ़ें: पपला गुर्जर का खौफ कम करने के लिए पुलिस ने बदमाशों की निकाली 'यात्रा', कच्छा-बनियान में घुमाया
कुछ दिनों पहले हुई बारिश ने विठ्ठल का आशियाना भी उजाड़ दिया. जिसके बाद विठ्ठल टूट सा गया है. विठ्ठल व उसकी बहन के लिए आवास योजना, पालनहार व अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ कोसों दूर है.
विठ्ठल के असल जिंदगी की कहानी किसी भावनात्मक फिल्म की कहानी से कम नहीं है. विट्ठल को किस्मत ने बचपन मे ही परिवार का बोझ झेलना सीखा दिया. आज विट्ठल के नन्हें हाथों मे किताबो की जगह मजदूरी के औजार है. यूं तो सरकार ने बाल मजदूरी को गैर कानूनी माना है लेकिन इस विठ्ठल जैसे मासूमों के लिये सरकारी तंत्र व योजनाएँ कोसो दूर चली जाती है.