बांसवाड़ा. नगर परिषद चुनाव परिणाम आने के 3 दिन बाद भी भाजपा हार के सदमे से उबर नहीं पाई है. हालांकि पार्टी की ओर से फिलहाल हार के कारणों की तलाश के लिए कोई कमेटी गठित नहीं की गई है. लेकिन हार का कारण राज्य सरकार की ओर से कराए गए परिसीमन और त्रुटिपूर्ण मतदाता सूचियों के माथे मढ़ा जा रहा है.
बता दें कि बांसवाड़ा नगर परिषद के 60 वार्डों में से भाजपा 21 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. वहीं, कांग्रेस बहुमत के आंकड़े को पार करते हुए 36 वार्ड तक पहुंच गई, जबकि पार्टी को 30 वार्ड पार कर जाने की उम्मीद थी. नगर परिषद चुनाव का परिणाम आने के बाद से भाजपा नेता अपने-अपने स्तर पर हार के कारणों पर मंथन कर रहे हैं. पार्टी का स्पष्ट मानना है कि टिकट वितरण में भी गलतियां हुई है. लेकिन सबसे बड़े कारण के रूप में राज्य सरकार की ओर से चुनाव से पहले कराए गए वार्ड परिसीमन और उसके आधार पर वार्ड की नई सूचियां तैयार करवाया माना जा रहा है.
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बांसवाड़ा में 45 वार्ड थे जिन्हें वार्ड परिसीमन के बाद बढ़ाकर 60 कर दिया गया. इन 15 वार्डों में अन्य वार्डों का जो बंटवारा किया गया, वह भाजपा की उम्मीदों को झटका दे गया. भाजपा के गढ़ माने जाने वाले वार्डों को तोड़कर कांग्रेस के प्रभाव वाले इलाकों में सम्मिलित कर दिया गया, जिससे भाजपा का प्रभाव काफी हद तक घट गया. परिसीमन के अनुसार मतदाता सूचियां संशोधित की गई जो मतदान तक आधी अधूरी ही रही.
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष और सभापति पद के उम्मीदवार ओम पालीवाल ने कहा कि टिकट वितरण में कुछ हद तक गलती हो सकती है. लेकिन सबसे बड़ा कारण परिसीमन और कृति पूर्ण मतदाता सूचियां रही. उन्होंने कहा कि लोग अलग-अलग वार्डों के कारण वोट देने तक नहीं पहुंचे.
पालीवाल ने कहा कि हालांकि पार्टी ने सभापति का चेहरा घोषित नहीं किया था, लेकिन सब उनके नाम पर सहमत थे और उसी के अनुरूप काम कर रहे थे. फिलहाल, पार्टी सभापति और उपसभापति के चुनाव की तैयारियों में जुटी है. उसके बाद ही भाजपा की ओर से हार के कारणों की पड़ताल संभव है.