कुशलगढ़ (बांसवाड़ा). भीलीस्थान टाइगर सेना और बीटीपी ने संयुक्त रूप से 21 विभिन्न मांगों को लेकर राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा है. जिसमें उन्होंने दक्षिण राजस्थान, पश्चिम मध्य प्रदेश और उत्तरी गुजरात और महाराष्ट्र के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों के संवर्द्धन के लिए इन इलाकों को जोड़कर अलग भील प्रदेश बनाने की मांग की है.
बता दें कि भील, मध्य भारत की एक जनजाति का नाम है जो मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और त्रिपुरा में फैली हुई है. इस प्रकार यह भील जनजाति भारत की सर्वाधिक विस्तृत क्षेत्र में फैली हुई जनजाति है. भीलीस्थान टाइगर सेना के प्रदेश महासचिव विजय मइड़ा और बीटीपी जिलाध्यक्ष देवचंद मावी के नेतृत्व में राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार प्रवीण कुमार मीणा को ज्ञापन सौंपा.
- ज्ञापन में बताया गया कि संविधान प्रदत्त आर्टिकल 244 (1) की पांचवी अनूसुचि का धरातल पर अमलीकरण किया जाए.
- महाराष्ट्र, गुजरात पैटर्न योजना की तर्ज पर राजस्थान पैटर्न योजना को जल्द से जल्द लागू किया जाए.
- सीमावर्ती वाले जिलों में भारतीय नागरिकता से वंचित भीलों को अतिशीघ्र नागरिकता प्रदान की जाए.
- अनुसूचित क्षेत्र में 100 प्रतिशत शराबबंदी लागू की जाए.
- अनुसूचित क्षेत्र में वन विभाग को समाप्त कर उसने कब्जे की भूमि फिर से सौंपी जाए.
- एमबीसी (मेवाड़ भील कोर) की भर्ती क्षेत्र का दायरा बढ़ाकार कोटा, अजमेर, जोधपुर संभाग तक किए जाएं.
कहां उठ रही भील प्रदेश बनाने की मांग...
भारत में भील राज्य बनाने की मांग मुख्य रूप से राजस्थान मध्य प्रदेश और गुजरात के ट्राइबल बेल्ट से उठ रही है. ये लोग चाहते हैं कि जिन जगहों से भील समुदाय के लोगों को भगा दिया गया था, वहां पर उन्हें वापस बसाया जाए. ताकि ये लोग अपने अधिकारों और पहचान को दुबारा प्राप्त कर सकें. इन लोगों की यह भी मांग है कि नेचुरल रिसोर्सेज पर पहला हक आदिवासी समुदायों का होना चाहिए.
भारत की जनगणना के हिसाब से देश में सन 1961 में 3 करोड़ की ट्राइबल आबादी थी जो कि 2011 की जनगणना में बढ़कर 10.42 करोड़ हो गई. जिनमें दशकीय वृद्धि दर 23.7% की है.