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सीएम अशोक गहलोत की घोषणा के बाद बांसवाड़ा में जगी मेडिकल कॉलेज की आस

बांसवाड़ा के बाशिंदों को मेडिकल कॉलेज मिलने की संभावनाएं है. मुख्यमंत्री के जिला मुख्यालयों पर मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा से बांसवाड़ा के लोगों की आशाएं हिलोरे मारने लगी हैं. बता दें कि पहले भी एक बार यहां मेडिकल कॉलेज खोलने की कोशिश हो चुकी है लेकिन वो कॉलेज डूंगरपुर शिफ्ट हो चुकी थी.

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Published : Aug 3, 2019, 8:34 PM IST

बांसवाड़ा. बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कि ओर से जिला मुख्यालयों पर मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा के साथ ही बांसवाड़ा वासियों में नई उम्मीद जगी है. 10 साल पहले इसके लिए नई दिल्ली से टीम बांसवाड़ा जिला चिकित्सालय का निरीक्षण कर चुकी है. साथ ही जिला कलेक्टर द्वारा जमीन भी चिन्हित की गई थी.

बांसवाड़ा को मिल सकती है मेडिकल कॉलेज

वैसे तो बांसवाड़ा में काफी समय पहले मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो जाती लेकिन राजनीतिक कमजोरी की वजह से मेडिकल कॉलेज डूंगरपुर चला गया जबकि बांसवाड़ा में इसकी काफी जरूरत थी. एक दशक पहले नई दिल्ली से टीम महात्मा गांधी चिकित्सालय बांसवाड़ा का निरीक्षण भी कर चुकी थी. टीम ने एक दिन बांसवाड़ा में रहकर मेडिकल कॉलेज की विभिन्न संभावनाओं को तलाशा और फीजिबिलिटी रिपोर्ट भी तैयार की.

यह भी पढ़ें: गोशाला जमीन आवंटन पर चर्चा नहीं कराने पर विपक्ष का सदन से वॉकआउट, कांग्रेस विधायक ने ही रखा था संकल्प

मेडिकल कॉलेज के लिए 35 से 40 बीघा जमीन की जरूरत बताई गई थी. तत्कालीन जिला कलेक्टर द्वारा इसके लिए मदारेश्वर रोड पर ग्रिड के पीछे जमीन भी चिन्हित करवा ली गई थी. लेकिन मेडिकल कॉलेज डूंगरपुर शिफ्ट होने के बाद यह फाइल गति नहीं पकड़ पाई. मुख्यमंत्री कि ओर से 29 जुलाई को इस संबंध में घोषणा से एक बार फिर लोगों की आशाएं हिलोरे मारने लग गई है.

जिला अस्पताल में हैं 100 अतिरिक्त बेड

महात्मा गांधी चिकित्सालय में हालांकि राज्य सरकार कि ओर से 350 बेड स्वीकृत है लेकिन यहां साढे 450 के करीब बेड पर मरीजों का इलाज चल रहा है जबकि मेडिकल कॉलेज के लिए 300 बेड होना आवश्यक है. इस लिहाज से भी बांसवाड़ा में मेडिकल कॉलेज संभावनाएं बनती है.

कायाकल्प में हो रहे हैं करोड़ों के काम

महात्मा गांधी चिकित्सालय में मेडिकल कॉलेज की संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार कि ओर से भी अस्पताल को कायाकल्प योजना से जोड़ा गया है. इसके तहत चिकित्सालय में करीब 200 करोड रुपए के विकास कार्य कराए जाने हैं. इस फंड से आवश्यक मशीनों की खरीद के साथ ही भवन निर्माण भी कराना है.

यह भी पढ़ें: बीकानेर के विकास ने यूरोप में फहराया भारत का परचम...वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीता गोल्ड​​​​​​​

क्यों जरुरी है बांसवाड़ा में मेडिकल कॉलेज

आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले में 70% से अधिक आबादी गरीब आदिवासी वर्ग की है. चिकित्सा व्यवस्था के लिहाज से व्यवस्थाएं लचर कही जा सकती है. छोटे बड़े इलाज के लिए मरीजों को रेफर करने के अलावा महात्मा गांधी चिकित्सालय के पास कोई विकल्प नहीं है. ऐसे में मरीजों को उदयपुर या अहमदाबाद ले जाना मजबूरी बन चुका है. इस संबंध में महात्मा गांधी चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नंदलाल चरपोटा कहते हैं कि फीजिबिलिटी के हिसाब से बांसवाड़ा मेडिकल कॉलेज की प्रबल संभावनाएं हैं. मेडिकल कॉलेज के लिए आवश्यक बेड से कहीं अधिक बेड हैं. वहीं वर्षों पूर्व जमीन भी चिन्हित कर ली गई थी. ऐसे में मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद यहां भी मेडिकल कॉलेज की संभावनाएं बढ़ी है.

बांसवाड़ा. बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कि ओर से जिला मुख्यालयों पर मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा के साथ ही बांसवाड़ा वासियों में नई उम्मीद जगी है. 10 साल पहले इसके लिए नई दिल्ली से टीम बांसवाड़ा जिला चिकित्सालय का निरीक्षण कर चुकी है. साथ ही जिला कलेक्टर द्वारा जमीन भी चिन्हित की गई थी.

बांसवाड़ा को मिल सकती है मेडिकल कॉलेज

वैसे तो बांसवाड़ा में काफी समय पहले मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो जाती लेकिन राजनीतिक कमजोरी की वजह से मेडिकल कॉलेज डूंगरपुर चला गया जबकि बांसवाड़ा में इसकी काफी जरूरत थी. एक दशक पहले नई दिल्ली से टीम महात्मा गांधी चिकित्सालय बांसवाड़ा का निरीक्षण भी कर चुकी थी. टीम ने एक दिन बांसवाड़ा में रहकर मेडिकल कॉलेज की विभिन्न संभावनाओं को तलाशा और फीजिबिलिटी रिपोर्ट भी तैयार की.

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मेडिकल कॉलेज के लिए 35 से 40 बीघा जमीन की जरूरत बताई गई थी. तत्कालीन जिला कलेक्टर द्वारा इसके लिए मदारेश्वर रोड पर ग्रिड के पीछे जमीन भी चिन्हित करवा ली गई थी. लेकिन मेडिकल कॉलेज डूंगरपुर शिफ्ट होने के बाद यह फाइल गति नहीं पकड़ पाई. मुख्यमंत्री कि ओर से 29 जुलाई को इस संबंध में घोषणा से एक बार फिर लोगों की आशाएं हिलोरे मारने लग गई है.

जिला अस्पताल में हैं 100 अतिरिक्त बेड

महात्मा गांधी चिकित्सालय में हालांकि राज्य सरकार कि ओर से 350 बेड स्वीकृत है लेकिन यहां साढे 450 के करीब बेड पर मरीजों का इलाज चल रहा है जबकि मेडिकल कॉलेज के लिए 300 बेड होना आवश्यक है. इस लिहाज से भी बांसवाड़ा में मेडिकल कॉलेज संभावनाएं बनती है.

कायाकल्प में हो रहे हैं करोड़ों के काम

महात्मा गांधी चिकित्सालय में मेडिकल कॉलेज की संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार कि ओर से भी अस्पताल को कायाकल्प योजना से जोड़ा गया है. इसके तहत चिकित्सालय में करीब 200 करोड रुपए के विकास कार्य कराए जाने हैं. इस फंड से आवश्यक मशीनों की खरीद के साथ ही भवन निर्माण भी कराना है.

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क्यों जरुरी है बांसवाड़ा में मेडिकल कॉलेज

आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले में 70% से अधिक आबादी गरीब आदिवासी वर्ग की है. चिकित्सा व्यवस्था के लिहाज से व्यवस्थाएं लचर कही जा सकती है. छोटे बड़े इलाज के लिए मरीजों को रेफर करने के अलावा महात्मा गांधी चिकित्सालय के पास कोई विकल्प नहीं है. ऐसे में मरीजों को उदयपुर या अहमदाबाद ले जाना मजबूरी बन चुका है. इस संबंध में महात्मा गांधी चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नंदलाल चरपोटा कहते हैं कि फीजिबिलिटी के हिसाब से बांसवाड़ा मेडिकल कॉलेज की प्रबल संभावनाएं हैं. मेडिकल कॉलेज के लिए आवश्यक बेड से कहीं अधिक बेड हैं. वहीं वर्षों पूर्व जमीन भी चिन्हित कर ली गई थी. ऐसे में मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद यहां भी मेडिकल कॉलेज की संभावनाएं बढ़ी है.

Intro:बांसवाड़ाl बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा जिला मुख्यालयों पर मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा के साथ ही बांसवाड़ा वासियों में नई उम्मीद जगी हैl 10 साल पहले इसके लिए नई दिल्ली से टीम बांसवाड़ा जिला चिकित्सालय का निरीक्षण कर चुकी हैl साथ ही जिला कलेक्टर द्वारा जमीन भी चिन्हित की गई थीl


Body:वैसे तो बांसवाड़ा में काफी समय पहले मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो जाती लेकिन राजनीतिक कमजोरी की वजह से मेडिकल कॉलेज डूंगरपुर चला गया जबकि बांसवाड़ा में इसकी काफी जरूरत के साथ संभावनाएं थीl एक दशक पहले नई दिल्ली से टीम महात्मा गांधी चिकित्सालय बांसवाड़ा का निरीक्षण भी कर चुकी थीl टीम ने 1 दिन बांसवाड़ा में रहकर मेडिकल कॉलेज की विभिन्न संभावनाओं को तलाशा और फीजिबिलिटी रिपोर्ट भी तैयार कीl मेडिकल कॉलेज के लिए 35 से 40 बीघा जमीन की जरूरत बताई गईl तत्कालीन जिला कलेक्टर द्वारा इसके लिए मदारेश्वर रोड पर ग्रिड के पीछे जमीन भी चिन्हित करवालीl


Conclusion:लेकिन मेडिकल कॉलेज डूंगरपुर शिफ्ट होने के बाद यह फाइल गति नहीं पकड़ पाईl मुख्यमंत्री द्वारा 29 जुलाई को इस संबंध में घोषणा से एक बार फिर लोगों की आशाएं हिलोरे मारने लग गई हैl

450 बेड

महात्मा गांधी चिकित्सालय में हालांकि राज्य सरकार द्वारा साढे 300 बेड स्वीकृत है लेकिन यहां साढे 400 सौ के करीब बेड पर मरीजों का इलाज चल रहा है जबकि मेडिकल कॉलेज के लिए 300 बेड होना आवश्यक हैl इस लिहाज से भी बांसवाड़ा में मेडिकल कॉलेज संभावनाएं बनती हैl

कायाकल्प में हो रहे हैं करोड़ों के काम

महात्मा गांधी चिकित्सालय में मेडिकल कॉलेज की संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा भी अस्पताल को कायाकल्प योजना से जोड़ा गया हैl इसके तहत चिकित्सालय में करीब 200 करोड रुपए के विकास कार्य कराए जाने हैंl इस फंड से आवश्यक मशीनों की खरीद के साथ ही भवन निर्माण भी कराना हैl

उदयपुर या अहमदाबाद की दौड़

आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले में 70% से अधिक आबादी गरीब आदिवासी वर्ग की हैl चिकित्सा व्यवस्था के लिहाज से व्यवस्थाएं लचर कही जा सकती हैl छोटे बड़े इलाज के लिए मरीजों को रेफर करने के अलावा महात्मा गांधी चिकित्सालय के पास कोई विकल्प नहीं हैl ऐसे में मरीजों को उदयपुर या अहमदाबाद ले जाना मजबूरी बन चुका हैl इस संबंध में महात्मा गांधी चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नंदलाल चरपोटा कहते हैं कि फीजिबिलिटी के हिसाब से बांसवाड़ा मेडिकल कॉलेज की प्रबल संभावनाएं हैंl मेडिकल कॉलेज के लिए आवश्यक बेड से कहीं अधिक बेड है वही वर्षों पूर्व जमीन भी चिन्हित कर ली गई थीl ऐसे में मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद यहां भी मेडिकल कॉलेज की संभावनाएं बढ़ी हैl

बाइट..... डॉक्टर नंदलाल चरपोटा पीएमओ महात्मा गांधी चिकित्सालय बांसवाड़ा

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