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CORONA को मात देगा कुशलगढ़, 72 घंटे से कोई नया केस नहीं

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए राजस्थान के प्रमुख एपी सेंटर के तौर पर उभरे बांसवाड़ा जिले का कुशलगढ़ कस्बा अब मात देता नजर आ रहा है. यहां 72 घंटे से कोई भी रोगी नहीं मिला है. प्रशासन का यह सराहनीय कार्य कामयाबी की ओर एक नया कदम बढ़ाता हुआ दिख रहा है.

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Published : Apr 16, 2020, 1:02 PM IST

बांसवाड़ा की खबर, banswara news
कुशलगढ़ में 72 घंटे से एक भी कोरोना केस नहीं

बांसवाड़ा. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेश के सभी हॉटस्पॉट क्षेत्र में प्रशासन अपनी पैनी नजर बनाए हुए है. ऐसे में इसे रोकने को लेकर प्रदेश के प्रमुख एपी सेंटर के तौर पर उभरे कुशलगढ़ कस्बे से अब राहत के समाचार आ रहे है. प्रशासन की ओर से की जा रही डोर टू डोर स्क्रीनिंग और रोगियों के कांटेक्ट लिस्ट में आए लोगों की सैंपलिंग की पॉलिसी कामयाबी की ओर एक नया कदम बढ़ा रही है.

कुशलगढ़ में 72 घंटे से एक भी कोरोना केस नहीं

बता दें कि मात्र 10 दिन में यहां रोगियों की संख्या 59 तक पहुंच गई थी, जिसमें अब ठहराव आ गया है. पिछले 3 दिन से यहां कोई भी नया रोगी नहीं मिला है, जो प्रशासन के लिए सबसे बड़ी राहत की खबर है. तकरीबन 30 से ज्यादा चिकित्सकों सहित विभाग की टीम लगातार इस जंग अपनी जान जोखिम में डालते हुए कोरोना को मात देने में लगी हुई है. इसे कुशलगढ़ की कामयाबी ही कही जा सकती है. क्योंकि, जिन संदिग्धों की जांच रिपोर्ट आई है, उनमें से अधिकतर के रिपोर्ट निगेटिव है. इसके साथ ही उत्साह से भरपूर प्रशासन अब यहां दूसरे चरण में हाउस टू हाउस सर्वे के अलावा परिवारों का रेंडम सैंपलिंग करवाने जा रहा हैं.

पढ़ें- बांसवाड़ाः लॉकडाउन 2.0 में हर जरूरतमंद को मिलता रहेगा भोजन, भामाशाह को प्रेरित करेंगे पार्षद

जनजाति मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सभी संदिग्धों के संपर्क में आने वाले लोगों की बतौर सैंपलिंग हमें कामयाबी की ओर ले जा रही है. साथ ही कहा कि 31 मार्च को कस्बे की एक महिला की संदिग्ध रोगी के तौर पर मौत होने के बाद 4 अप्रैल को उसके पति और पुत्र में कोरोना की पुष्टि होने के बाद जिला प्रशासन ने भीलवाड़ा पैटर्न को लागू करते हुए करीब 12000 की आबादी वाले इस कस्बे को सील कर दिया. इसमें कस्बे का सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका वार्ड नं. 12 (बोहरा समुदाय बाहुल्य) में प्रशासन ने डोर टू डोर सर्वे कर हर शख्स की स्क्रीनिंग और सैंपलिंग लेने का काम शुरू किया.

चिकित्सा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 13 अप्रैल तक यहां रोगियों की संख्या 59 पहुंच गई, जिसके बाद वार्ड नं. 12 के साथ पड़ोसी वार्ड नं. 11 और 14 को भी सैंपलिंग के दायरे में ले लिया गया. इसके तहत 15 अप्रैल तक 711 लोगों की सैंपलिंग कर ली गई. इस दौरान सैंपलिंग पर फोकस रखने का परिणाम भी सुखद रहा और 14 अप्रैल को भेजे गए 53 लोगों के सैंपल नेगेटिव आए. इसके बाद 15 अप्रैल को फिर 60 लोगों के सैंपल भेजे गए. कुल मिलाकर कह सकते है कि 30 चिकित्सकों के साथ 100 से अधिक सदस्यों वाली विभाग की टीम की मेहनत का नतीजा काफी सुखद रहा और 13 अप्रैल के बाद से यहां एक भी नया रोगी नहीं पाया गया है.

बांसवाड़ा. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेश के सभी हॉटस्पॉट क्षेत्र में प्रशासन अपनी पैनी नजर बनाए हुए है. ऐसे में इसे रोकने को लेकर प्रदेश के प्रमुख एपी सेंटर के तौर पर उभरे कुशलगढ़ कस्बे से अब राहत के समाचार आ रहे है. प्रशासन की ओर से की जा रही डोर टू डोर स्क्रीनिंग और रोगियों के कांटेक्ट लिस्ट में आए लोगों की सैंपलिंग की पॉलिसी कामयाबी की ओर एक नया कदम बढ़ा रही है.

कुशलगढ़ में 72 घंटे से एक भी कोरोना केस नहीं

बता दें कि मात्र 10 दिन में यहां रोगियों की संख्या 59 तक पहुंच गई थी, जिसमें अब ठहराव आ गया है. पिछले 3 दिन से यहां कोई भी नया रोगी नहीं मिला है, जो प्रशासन के लिए सबसे बड़ी राहत की खबर है. तकरीबन 30 से ज्यादा चिकित्सकों सहित विभाग की टीम लगातार इस जंग अपनी जान जोखिम में डालते हुए कोरोना को मात देने में लगी हुई है. इसे कुशलगढ़ की कामयाबी ही कही जा सकती है. क्योंकि, जिन संदिग्धों की जांच रिपोर्ट आई है, उनमें से अधिकतर के रिपोर्ट निगेटिव है. इसके साथ ही उत्साह से भरपूर प्रशासन अब यहां दूसरे चरण में हाउस टू हाउस सर्वे के अलावा परिवारों का रेंडम सैंपलिंग करवाने जा रहा हैं.

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जनजाति मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सभी संदिग्धों के संपर्क में आने वाले लोगों की बतौर सैंपलिंग हमें कामयाबी की ओर ले जा रही है. साथ ही कहा कि 31 मार्च को कस्बे की एक महिला की संदिग्ध रोगी के तौर पर मौत होने के बाद 4 अप्रैल को उसके पति और पुत्र में कोरोना की पुष्टि होने के बाद जिला प्रशासन ने भीलवाड़ा पैटर्न को लागू करते हुए करीब 12000 की आबादी वाले इस कस्बे को सील कर दिया. इसमें कस्बे का सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका वार्ड नं. 12 (बोहरा समुदाय बाहुल्य) में प्रशासन ने डोर टू डोर सर्वे कर हर शख्स की स्क्रीनिंग और सैंपलिंग लेने का काम शुरू किया.

चिकित्सा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 13 अप्रैल तक यहां रोगियों की संख्या 59 पहुंच गई, जिसके बाद वार्ड नं. 12 के साथ पड़ोसी वार्ड नं. 11 और 14 को भी सैंपलिंग के दायरे में ले लिया गया. इसके तहत 15 अप्रैल तक 711 लोगों की सैंपलिंग कर ली गई. इस दौरान सैंपलिंग पर फोकस रखने का परिणाम भी सुखद रहा और 14 अप्रैल को भेजे गए 53 लोगों के सैंपल नेगेटिव आए. इसके बाद 15 अप्रैल को फिर 60 लोगों के सैंपल भेजे गए. कुल मिलाकर कह सकते है कि 30 चिकित्सकों के साथ 100 से अधिक सदस्यों वाली विभाग की टीम की मेहनत का नतीजा काफी सुखद रहा और 13 अप्रैल के बाद से यहां एक भी नया रोगी नहीं पाया गया है.

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