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सरकारी बदरंग दीवारों पर चित्रकारी, इन लोगों ने ठानी और बना दिया प्रेरणा का स्त्रोत - सरकारी दीवार

बांसवाड़ा में तंगहाली के बावजूद भारतीय कलाकार संघ प्रमुख सरकारी दीवारों को नया रूप-रंग देने में जुटा है. संगठन का कहना है कि उन्हें नगर परिषद द्वारा जैसे-जैसे सरकारी दीवारों पर पेंटिंग्स की स्वीकृति मिलती जाएगी तो अपने काम को आगे बढ़ाते जाएंगे.

Banswara News, भारतीय कलाकार संघ
बांसवाड़ा में दीवारों को नया रूप-रंग देने में जुटा भारतीय कलाकार संघ
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Published : Mar 2, 2020, 12:36 PM IST

बांसवाड़ा. जहां एक ओर नगर परिषद शहर के सौंदर्यीकरण के प्रयासों में जुटा हुआ है. वहीं शहर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए भारतीय कलाकार संघ आगे आया है. संगठन से जुड़े कलाकार प्रमुख सरकारी दीवारों को नया रूप-रंग दे रहे हैं. इससे न केवल दीवारों से बदरंगता का दाग साफ होगा, बल्कि आम लोगों को समाज के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा भी मिलती रहेगी.

बांसवाड़ा में दीवारों को नया रूप-रंग देने में जुटा भारतीय कलाकार संघ

समाज की प्रमुख समस्याओं पर केंद्रित चित्र आम लोगों को उद्वेलित करते रहेंगे. भले ही वो 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' का संदेश हो या फिर पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी. अपनी कल्पनाओं में इन कलाकारों ने 'नो सिंगल प्लास्टिक यूज़' जैसे सामाजिक संदेश देने की भी कोशिश की. साथ ही पानी की महत्ता बताते हुए भविष्य के हालात को भी बताया.

पढ़ें: Special : वास्तुकला की दृष्टि से भी बेजोड़ है ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह

शहर में रहने वाले किसी भी व्यक्ति की कुछ जिम्मेदारियां होती हैं. वो अपने कामकाज से शहर को नई पहचान देने में अपनी भूमिका निभा सकता है. भारतीय कलाकार संघ ने समाज को नई दिशा देने के उद्देश्य से शहर सौंदर्यीकरण का बीड़ा उठाया है. हैरानी की बात यह है कि इसके लिए किसी भी सरकारी या गैर सरकारी संगठन किसी प्रकार की कोई मदद नहीं कर रहा है. लेकिन तंगहाली के बावजूद कलाकारों में अपने शहर को नया रंग देने का जज्बा देखते ही बनता है.

अपने इस अभियान के पहले चरण में संगठन द्वारा मोहन कॉलोनी चौराहा से हॉस्पिटल तिराहे तक कलेक्ट्रेट की ऊंची-ऊंची दीवारों को चुना गया है. एकाएक करीब 25-30 कलाकारों के हाथों कुचिया चली तो देखते ही देखते न केवल कई साल से बदरंग दीवारों की सुंदरता बढ़ गई. बल्कि सामाजिक संदेश देते हुए चित्र उभर आए. कोई दीवार पर आए पेड़ की टहनियों को छांट रहा था तो कोई दीवार को सफेदी देने में जुटा था. हर कलाकार अपनी-अपनी कल्पनाओं को रंग देने में जुटा दिखाई दिया.

पढ़ें: खाटू श्यामजी मेले में जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए रेलवे चलाएगा मेला स्पेशल ट्रेनें

संगठन का कहना है कि उन्हें नगर परिषद द्वारा जैसे-जैसे सरकारी दीवारों पर पेंटिंग्स की स्वीकृति मिलती जाएगी तो अपने काम को आगे बढ़ाते जाएंगे. संगठन के जिलाध्यक्ष हिम्मतलाल जाटव के मुताबिक समाज को नई दिशा देने में कोई भी व्यक्ति अपनी महती भूमिका निभा सकता है. उसी क्रम में हम अपने शहर को नया आयाम देना चाहते हैं. अगर प्रमुख चौराहों की दीवारों पर पेंटिंग्स की स्वीकृति मिलती रहे और रंग रोगन के लिए हमें मदद मिल जाए तो हम पूरे शहर मे निशुल्क काम करने को तैयार हैं.

फिलहाल कलाकारों ने ही एक दूसरे से फंड जुटाकर ये अभियान हाथ में लिया है. कलाकार महेश खराड़ी के मुताबिक शहर को खूबसूरत बनाने में समाज के हर वर्ग का एक पार्ट है. उसी को हम भी आगे बढ़ा रहे हैं. जब भी हम दाहोद सहित अन्य शहरों में जाते हैं तो वहां पर हमें इस प्रकार की पेंटिंग्स देखने को मिलती है. इससे आम लोगों को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. फिलहाल शहर ही नहीं, जिले भर के कलाकार इस काम में जुटे हुए हैं.

बांसवाड़ा. जहां एक ओर नगर परिषद शहर के सौंदर्यीकरण के प्रयासों में जुटा हुआ है. वहीं शहर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए भारतीय कलाकार संघ आगे आया है. संगठन से जुड़े कलाकार प्रमुख सरकारी दीवारों को नया रूप-रंग दे रहे हैं. इससे न केवल दीवारों से बदरंगता का दाग साफ होगा, बल्कि आम लोगों को समाज के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा भी मिलती रहेगी.

बांसवाड़ा में दीवारों को नया रूप-रंग देने में जुटा भारतीय कलाकार संघ

समाज की प्रमुख समस्याओं पर केंद्रित चित्र आम लोगों को उद्वेलित करते रहेंगे. भले ही वो 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' का संदेश हो या फिर पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी. अपनी कल्पनाओं में इन कलाकारों ने 'नो सिंगल प्लास्टिक यूज़' जैसे सामाजिक संदेश देने की भी कोशिश की. साथ ही पानी की महत्ता बताते हुए भविष्य के हालात को भी बताया.

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शहर में रहने वाले किसी भी व्यक्ति की कुछ जिम्मेदारियां होती हैं. वो अपने कामकाज से शहर को नई पहचान देने में अपनी भूमिका निभा सकता है. भारतीय कलाकार संघ ने समाज को नई दिशा देने के उद्देश्य से शहर सौंदर्यीकरण का बीड़ा उठाया है. हैरानी की बात यह है कि इसके लिए किसी भी सरकारी या गैर सरकारी संगठन किसी प्रकार की कोई मदद नहीं कर रहा है. लेकिन तंगहाली के बावजूद कलाकारों में अपने शहर को नया रंग देने का जज्बा देखते ही बनता है.

अपने इस अभियान के पहले चरण में संगठन द्वारा मोहन कॉलोनी चौराहा से हॉस्पिटल तिराहे तक कलेक्ट्रेट की ऊंची-ऊंची दीवारों को चुना गया है. एकाएक करीब 25-30 कलाकारों के हाथों कुचिया चली तो देखते ही देखते न केवल कई साल से बदरंग दीवारों की सुंदरता बढ़ गई. बल्कि सामाजिक संदेश देते हुए चित्र उभर आए. कोई दीवार पर आए पेड़ की टहनियों को छांट रहा था तो कोई दीवार को सफेदी देने में जुटा था. हर कलाकार अपनी-अपनी कल्पनाओं को रंग देने में जुटा दिखाई दिया.

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संगठन का कहना है कि उन्हें नगर परिषद द्वारा जैसे-जैसे सरकारी दीवारों पर पेंटिंग्स की स्वीकृति मिलती जाएगी तो अपने काम को आगे बढ़ाते जाएंगे. संगठन के जिलाध्यक्ष हिम्मतलाल जाटव के मुताबिक समाज को नई दिशा देने में कोई भी व्यक्ति अपनी महती भूमिका निभा सकता है. उसी क्रम में हम अपने शहर को नया आयाम देना चाहते हैं. अगर प्रमुख चौराहों की दीवारों पर पेंटिंग्स की स्वीकृति मिलती रहे और रंग रोगन के लिए हमें मदद मिल जाए तो हम पूरे शहर मे निशुल्क काम करने को तैयार हैं.

फिलहाल कलाकारों ने ही एक दूसरे से फंड जुटाकर ये अभियान हाथ में लिया है. कलाकार महेश खराड़ी के मुताबिक शहर को खूबसूरत बनाने में समाज के हर वर्ग का एक पार्ट है. उसी को हम भी आगे बढ़ा रहे हैं. जब भी हम दाहोद सहित अन्य शहरों में जाते हैं तो वहां पर हमें इस प्रकार की पेंटिंग्स देखने को मिलती है. इससे आम लोगों को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. फिलहाल शहर ही नहीं, जिले भर के कलाकार इस काम में जुटे हुए हैं.

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