बांसवाड़ा. शहर के बीचों-बीच स्थित राजराजेश्वर मंदिर परिसर में अनाधिकृत प्रवेश के मामले में पूर्व मंत्री भवानी जोशी ने शुक्रवार को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. पुलिस ने उन्हें कस्टडी में लेकर न्यायाधीश के समक्ष पेश किया. जहां से उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया.
जोशी के खिलाफ मंदिर परिसर में कथित रूप से अनाधिकृत तौर पर प्रवेश करने सहित दर्जनों मामले चल रहे हैं, जिनमें से कई पुलिस जांच में झूठे पाए गए. शहर के प्रमुख मार्बल व्यवसाई गोपी राम अग्रवाल द्वारा जोशी के खिलाफ यह मामले दर्ज कराए गए थे.
इन्हीं मामलों में से एक में शुक्रवार को पूर्व मंत्री जोशी को आत्मसमर्पण करना पड़ा. उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था. शुक्रवार दोपहर के बाद जोशी अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट पहुंचे और सरेंडर कर दिया. पुलिस ने उन्हें कस्टडी में लेकर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया. जहां जोशी के वकील द्वारा पक्ष रखने के बाद मजिस्ट्रेट ने इस मामले में उनकी जमानत मंजूर कर ली. इससे पूर्व बड़ी संख्या में उनके समर्थक कोर्ट पहुंचे.
जमानत मिलने के बाद जोशी ने मीडिया कर्मियों के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि राजराजेश्वर मंदिर देवस्थान विभाग का है. उन्हें तो यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर उसमें प्रवेश पर पुलिस किस प्रकार धाराएं लगा सकती है. संबंधित पक्ष द्वारा अब तक मंदिर भूमि के मालिकाना हक संबंधी कोई दस्तावेज पेश नहीं किए गए हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें केवल परेशान किया जा रहा है. शहर की जनता चाहे तो वे राजराजेश्वर मंदिर संबंधी देवस्थान विभाग के दस्तावेज पेश कर सकती है. जोशी बाद में अपने समर्थकों के साथ वहां से निकल गए.