बांसवाड़ा. कोरोना महामारी के कारण सरकार विदेशों से अप्रवासी भारतीयों को देश में लाने में जुटी है. वहीं, देश में ही फंसे लोगों को अपने घरों तक पहुंचाने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. बता दें कि वागड़ अंचल के ही सैकड़ों लोग मुंबई में फंसे हैं. मुंबई में एक-एक कमरे में 15-20 लोग रहने को मजबूर है.
हालत ये है कि उनके पास राशन भी नहीं है. साथ ही रुपए भी खत्म हो गए. इस समस्या को लेकर मेवाड़ा भट्ट ब्राह्मण विकास संस्थान के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को जिला कलेक्टर कैलाश बैरवा से गुहार लगाई.
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संस्थान की ओर से जिला कलेक्टर को बताया गया, कि क्षेत्र के 1500 से अधिक लोग मुंबई में चाय की थड़ी का काम कर रहे हैं. कई लोगों के परिवार भी उनके साथ हैं. कोरोना महामारी के बाद लॉकडाउन में इनका कारोबार बंद हो गया और यह लोग अपने-अपने भाड़े के मकानों में बंद हो गए. हालात यह है कि एक कमरे में 15-20 लोग रह रहे हैं, जिससे संक्रमण और भी बढ़ सकता है.
भूपेंद्र पंड्या ने बताया कि अचानक लॉकडाउन की घोषणा के कारण उनके समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. जो जमा पूंजी थी, वह खाने-पीने में निकाल ली, अब उनकी जेब में कोई पैसा नहीं रहा और खाने-पीने का सामान भी खत्म हो गया है. उन्होंने बताया कि कई लोग आर्थिक संकट के कारण भूखे रहने को मजबूर हैं.
वहीं, शुक्रवार को संस्थान की ओर से जिला कलेक्टर के समक्ष वहां फंसे लोगों की सूची भी दी गई है. साथ ही उन लोगों को वहां से निकालकर अपने घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था करवाने का आग्रह किया गया है.