ETV Bharat / state

कौन थे राजा बांसिया भील, जंगल के बीच कैसे बसाया गया बांसवाड़ा ? जानें रोचक इतिहास

जिले के लिए गुरुवार का दिन ऐतिहासिक रहा. बांसवाड़ा के स्थापक राजा बादशाह भील की भव्य मूर्ति का अनावरण गुरुवार को हुआ. आइये जानते हैं राजा बादशाह भील की जीवनी के बारे में...

banswara interesting facts, history of banswara
कौन थे राजा बांसिया भील
author img

By

Published : Jan 14, 2021, 5:35 PM IST

घाटोल (बांसवाड़ा). जिले के लिए गुरुवार का दिन ऐतिहासिक रहा. बांसवाड़ा के स्थापक राजा बादशाह भील की भव्य मूर्ति का अनावरण गुरुवार को हुआ. आइये जानते हैं राजा बादशाह भील की जीवनी के बारे में...

बांसवाड़ा के स्थापक राजा बादशाह भील की भव्य मूर्ति का अनावरण गुरुवार को हुआ...

भील राजा बिया (बापड़ा) चरपोटा ने चित्तौड़गढ़ और मल्हारगढ़, धारगढ़ राजधानियों पर राज किया. उनके 2 पुत्र अमरा, वागा जड़ चरपोटा थे. भील राजा बिया चरपोटा के बाद राज्य का शासक भील राजा अमरा के नाम से अमरथुन नगर का नामकरण किया गया. वागा के नाम से वाड़गुन नगर और जड़ ने संन्यास लेकर साधुओं के साथ पहाड़ पर चले गए और साधु बन गए. जिनके नाम से उस पहाड़ का नामकरण जगमेरु (जोगिमाल) रखा गया, जो कि घाटोल उपखण्ड में है.

राजा अमरा ने अमरथुन को अपनी राजधानी बनाया. यहां से पूरे क्षेत्र में राज किया करते थे. भील राजा बिया चरपोटा चित्तौड़गढ़ से चरपोटा वंश की कुलदेवी मां अंबे और शिव पार्वती की मूर्तियां भील राजा अमरा चरपोटा अमरथुन में सन 1445 ईसवी में लेकर आए थे, जो आज भी स्थापित है. राजा अमरा चरपोटा के 2 पुत्र 3 पुत्रियां थी. एक पुत्र बासिया, दूसरा बदीया और पुत्री 1 बाई, डाई, 3 राजा था. राजा अमरा चरपोटा के बाद राज्य के शासक भील राजा बासिया चरपोटा बने.

पढ़ें: सांस्कृतिक, बौद्धिक और शौर्य का संगम है जयपुर...यहां के हर कण में बसती है सौंधी खुशबू

राजा बासिया व उसके भाई बहन ने अमरचंद नगर से निकलकर एक घने जंगल को काटकर नगर बसाया. जिसका नाम भील राजा बासिया के नाम से बांसवाड़ा किया गया. बांसवाड़ा नगर की स्थापना सन 14 जनवरी 1515 ईसवी को मकर संक्रांति के दिन भील राजा बासिया चरपोटा ने की थी. इस दिन खुशी से तिल-पपड़ी का प्रसाद बनाकर पूरे नगर में बांटी गई, जो परंपरा आज भी चल रही है.

आज भी बांसवाड़ा जिले में मकर संक्रांति पर तिल पपड़ी का प्रसाद बनाकर लोग एक दूसरे को बांटते हैं. भील राजा बादशाह चरपोटा की दो पत्नियां थी. जिसमें एक का नाम संवाई और हंगवाई था. जिनके नाम से राजा ने संवाईपूरा नगर व हंगवाई के नाम से अमरथुन में हंनगर पहाड़ व उनकी तीन बहनों के नाम से बांसवाड़ा में बाइक के नाम से बाइतालाब, डाई के नाम से डायलाब, राजा के राजातालाब का नामकरण किया, जो आज भी इसी नाम से जाने जाते हैं. राजा बांसिया ने बांसवाड़ा में समाई पूरा और अमरथुन में हुरनगर पहाड़ पर किले का निर्माण कराया था. जिसके अवशेष आज भी मौजूद है. श्री राजा बादशाह का पैतृक गांव अमरथुन था. जिनके वंशज बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ (राज.), रतलाम (म.प्र.) गुजरात क्षेत्रों मे निवास करते हैं

घाटोल (बांसवाड़ा). जिले के लिए गुरुवार का दिन ऐतिहासिक रहा. बांसवाड़ा के स्थापक राजा बादशाह भील की भव्य मूर्ति का अनावरण गुरुवार को हुआ. आइये जानते हैं राजा बादशाह भील की जीवनी के बारे में...

बांसवाड़ा के स्थापक राजा बादशाह भील की भव्य मूर्ति का अनावरण गुरुवार को हुआ...

भील राजा बिया (बापड़ा) चरपोटा ने चित्तौड़गढ़ और मल्हारगढ़, धारगढ़ राजधानियों पर राज किया. उनके 2 पुत्र अमरा, वागा जड़ चरपोटा थे. भील राजा बिया चरपोटा के बाद राज्य का शासक भील राजा अमरा के नाम से अमरथुन नगर का नामकरण किया गया. वागा के नाम से वाड़गुन नगर और जड़ ने संन्यास लेकर साधुओं के साथ पहाड़ पर चले गए और साधु बन गए. जिनके नाम से उस पहाड़ का नामकरण जगमेरु (जोगिमाल) रखा गया, जो कि घाटोल उपखण्ड में है.

राजा अमरा ने अमरथुन को अपनी राजधानी बनाया. यहां से पूरे क्षेत्र में राज किया करते थे. भील राजा बिया चरपोटा चित्तौड़गढ़ से चरपोटा वंश की कुलदेवी मां अंबे और शिव पार्वती की मूर्तियां भील राजा अमरा चरपोटा अमरथुन में सन 1445 ईसवी में लेकर आए थे, जो आज भी स्थापित है. राजा अमरा चरपोटा के 2 पुत्र 3 पुत्रियां थी. एक पुत्र बासिया, दूसरा बदीया और पुत्री 1 बाई, डाई, 3 राजा था. राजा अमरा चरपोटा के बाद राज्य के शासक भील राजा बासिया चरपोटा बने.

पढ़ें: सांस्कृतिक, बौद्धिक और शौर्य का संगम है जयपुर...यहां के हर कण में बसती है सौंधी खुशबू

राजा बासिया व उसके भाई बहन ने अमरचंद नगर से निकलकर एक घने जंगल को काटकर नगर बसाया. जिसका नाम भील राजा बासिया के नाम से बांसवाड़ा किया गया. बांसवाड़ा नगर की स्थापना सन 14 जनवरी 1515 ईसवी को मकर संक्रांति के दिन भील राजा बासिया चरपोटा ने की थी. इस दिन खुशी से तिल-पपड़ी का प्रसाद बनाकर पूरे नगर में बांटी गई, जो परंपरा आज भी चल रही है.

आज भी बांसवाड़ा जिले में मकर संक्रांति पर तिल पपड़ी का प्रसाद बनाकर लोग एक दूसरे को बांटते हैं. भील राजा बादशाह चरपोटा की दो पत्नियां थी. जिसमें एक का नाम संवाई और हंगवाई था. जिनके नाम से राजा ने संवाईपूरा नगर व हंगवाई के नाम से अमरथुन में हंनगर पहाड़ व उनकी तीन बहनों के नाम से बांसवाड़ा में बाइक के नाम से बाइतालाब, डाई के नाम से डायलाब, राजा के राजातालाब का नामकरण किया, जो आज भी इसी नाम से जाने जाते हैं. राजा बांसिया ने बांसवाड़ा में समाई पूरा और अमरथुन में हुरनगर पहाड़ पर किले का निर्माण कराया था. जिसके अवशेष आज भी मौजूद है. श्री राजा बादशाह का पैतृक गांव अमरथुन था. जिनके वंशज बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ (राज.), रतलाम (म.प्र.) गुजरात क्षेत्रों मे निवास करते हैं

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.