बांसवाड़ा. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वी जयंती के उपलक्ष में बांसवाड़ा जिले में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रमों का समापन सोमवार को कस्तूरबा गांधी का दार्शनिक योगदान विषयक संगोष्ठी के साथ हो गया. समारोह के मुख्य अतिथि क्षत्रिय विधायक और जनजातीय मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया थे.
बतौर मुख्य अतिथि बामनिया ने गांधी के सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गांधी ने सत्य अहिंसा व प्रकृति प्रेम जैसे सिद्धांतों पर चलने की सीख दी जो अपने लिए एक धरोहर है. साथ ही उन्होंने कहा कि आज हमारा समाज उनके सिद्धांतों से भटकता हुआ नजर आ रहा है. यहां तक कि एजुकेशन सिलेबस से भी उनका दर्शन विलुप्त होता जा रहा है जो चिंताजनक है.
पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम ने अपने संबोधन में कहा कि गांधी की सोच की नीव अहिंसा और स्वराज पर टिकी थी. इससे पूर्व मुख्य वक्ता बीएड कॉलेज की प्राचार्य डॉ मधु उपाध्याय ने कस्तूरबा गांधी को चेतना और स्वतंत्र लोक जागरण की प्रेरणा सोत्र बताया. सर्वजीत दुबे ने कविता के माध्यम से कस्तूरबा की योगदान व प्रभावी व्यक्तित्व को रेखांकित किया.
स्वतंत्रा सेनानी धूलजी भाई भावसार की पुत्री और गांधीवादी विचारक कृष्णा बेन ने कहा कि भारतीय सामाजिक परिवेश में समाज सुधार विकास और चेतना जगाने में कस्तूरबा की महत्वपूर्ण भूमिका थी. महात्मा गांधी दार्शनिक समिति के सहसंयोजक विकेश मेहता ने कस्तूरबा के दार्शनिक योगदान पर अपने विचार रखे. इससे पूर्व समिति के संयोजक रमेश पंड्या ने आयोजन की रूपरेखा प्रस्तुत की. जिला कलेक्टर आशीष गुप्ता, न्यायाधीश देवेंद्र सिंह भाटी तथा जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और समारोह के नोडल अधिकारी गोविंद सिंह राणावत भी मंचासीन थे.
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया. साथ ही कार्यक्रमों में सहयोग के लिए उत्सव फाउंडेशन पर सेवा एवं संकल्प सेवा संस्थाओं को बी सम्मानित किया गया. अंत में जिला कलेक्टर ने आभार जताया. समारोह के बाद पुलिस लाइन में 150 पौधे रोपे गए.