घाटोल(बांसवाड़ा). चड़ला निवासी शारदा पत्नी रमेश चंद्र यादव को शुक्रवार देर शाम प्रसव पीड़ा होने पर घाटोल सीएससी लाया गया. जहां शारदा ने प्रसव के दौरान बेटी को जन्म दिया. शारदा ने बताया कि उसे पहले एक लड़का और एक लड़की है. लड़के के जन्म के दौरान उसने दो बच्चों पर नसबंदी करवाई गई थी. इस बात के गुजर जाने के 5 साल हो गए. उसके बाद करीब 9 महीने पहले उसकी तबीयत खराब होने पर उसने डॉक्टर से जांच कराई तो उसे गर्भवती होने का पता चला. लेकिन उसने गैर कानूनी तरीके से अबॉर्शन करवाना उचित नही समझा और शुक्रवार रात को घाटोल सीएचसी में लड़की को जन्म दिया. शारदा का पति गुजरात मे मजदूरी कर घर का खर्चा जैसे तैसे पूरा करता है. ऐसे में तीन बच्चों का भरण पोषण करना उनके लिए बड़ी समस्या है.
इधर चिकित्सा विभाग का कहना है कि नसबंदी में हजारों में से एक दो केस सामने आते हैं. ऐसे में महिलाओं को आर्थिक सहायता देने के लिए सरकार की ओर से विशेष योजना चलाई जा रही है. जिसमें नसबन्दी के बाद महिला अगर गर्भवती होती है तो उसे 3 माह के अंदर उसे चिकित्सा विभाग को सूचित कराना होता है. इसके बाद उसे वहां से क्लेम फार्म भरना होता है. जिसके बाद विभाग की ओर से 30,000 रुपए तक का अनुदान मिलता है. यदि इसके बाद भी महिला अगर बच्चा नहीं चाहे तो चिकित्सा विभाग की ओर से निशुल्क अबॉर्शन कराया जा सकता है.