बांसवाड़ा. देश और दुनिया में कोरोना वायरस ने हर शख्स को खौफ में ला दिया है. इसका सबसे अधिक असर चिकन की मांग पर देखा जा रहा है. लोग चिकन अंडों से दूरी बना रहे हैं. हालत यह है कि चिकन मार्केट 80 प्रतिशत तक गिर चुका है. चिकन का कारोबार करने वाले लोग दुकानों पर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. मांग 20 प्रतिशत भी नहीं रही, जबकि चिकन दाल से भी सस्ता हो चुका है.
कारोबारियों का मानना है कि चिकन की कीमतों में गिरावट पिछले 30 साल में सबसे अधिक कही जा सकती है. मार्केट में मांग ही नहीं बची है. ऐसे में मुर्गे-मुर्गियां पोल्ट्री फार्म हाउस से बाहर ही नहीं निकले. चिकन के साथ-साथ अंडों की सप्लाई एक तिहाई भी नहीं रही. पोल्ट्री फार्म हाउस में मुर्गे-मुर्गियों का दाना-पानी ही इतना महंगा पड़ रहा है कि फार्म हाउस मालिक इन्हें फ्री में बांटने को विवश हो गए हैं.
कारोबारियों के अनुसार बांसवाड़ा शहर सहित जिलेभर में प्रतिदिन करीब 4000 किलो ग्राम चिकन की मांग रहती है. होली के बाद चिकन और अंडों की मांग में निरंतर कमी आती गई. पिछले 1 सप्ताह से तो हालत और भी बदतर हो गई है. वर्तमान में 4000 के मुकाबले 400 किलोग्राम चिकन भी बमुश्किल निकल रहा है. जबकि कीमत 50 प्रतिशत भी नहीं रही. इन दिनों 80 से लेकर 100 रुपये प्रति किलो के भाव से चिकन बेचा जा रहा है.
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वहीं अंडों की 500 ट्रे प्रतिदिन बिक रही थी. इस समय डिमांड 50 से 60 ट्रे भी नहीं रही. चिकन कारोबारी अपने कर्मचारियों का मेहनताना भी नहीं निकाल पा रहे हैं. चिकन कारोबारी मोहम्मद समीर के अनुसार होली के बाद से कोरोना का ये ग्रहण ऐसा लगा कि आधी कीमत में भी कोई चिकन लेने को तैयार नहीं है. चिकन दाल से भी सस्ता मिल रहा है. कारोबारी अपने कर्मचारियों की तनख्वाह तक निकाल नहीं पा रहे हैं.
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साजिद नामक कारोबारी ने बताया कि बमुश्किल इक्का-दुक्का लोग दुकानों पर पहुंच रहे हैं, जबकि 10 दिन पहले तक ग्राहकी से फुर्सत नहीं मिलती थी. वहीं तनवीर अहमद का कहना था कि शहर से लेकर गांव तक चिकन और अंडों की डिमांड में आश्चर्यजनक रूप से कमी आई है. पहले अंडा 5 रुपये तक बेचा जा रहा था. इस समय डेढ़ से 2 रुपये में बिक रहा है. लेकिन इस कीमत में भी कोई खरीददार नहीं मिल रहा है. गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई इलाकों से चिकन अंडे आदि की सप्लाई रहती है, लेकिन वहां पर भी डिमांड नहीं होने के कारण पोल्ट्री हाउस मालिक फ्री में बांटने को मजबूर हैं. मुर्गे मुर्गियों को दाना पानी देना ही महंगा पड़ रहा है.