बांसवाड़ा. नगर परिषद के कुल 60 वार्ड है. इनमे से कांग्रेस 36 वार्ड जीतकर बहुमत को पार कर गई जबकि भाजपा 21 वार्ड में सिमट कर रह गई. तीन वार्डों में दोनों ही पार्टियों के बागी प्रत्याशी जीतने में कामयाब रहे जिनमें से दो भाजपा के बागी थे वहीं एक कांग्रेस से बगावत कर चुनाव जीता था.
सभापति के चुनाव में कांग्रेस को 36 की बजाय 39 मत मिले और भाजपा अपने 21 वोटों से आगे नहीं बढ़ पाई. इसे निर्दलीय पार्षदों द्वारा कांग्रेस को समर्थन देना माना गया. लेकिन, इसके ठीक 24 घंटे बाद उपसभापति पद के लिए हुए चुनाव कांग्रेस नेताओं के लिए कान खड़े करने वाले साबित हुए. पार्टी प्रत्याशी सुल्ताना को 36 वोट मिले जबकि भाजपा प्रत्याशी श्यामा राणा 24 पार्षदों का समर्थन हासिल करने में कामयाब रही.
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हालांकि, भाजपा से बगावत कर चुनाव जीतने वाले महेश देवी और हेमंत राणा सभापति से लेकर उपसभापति चुनावों तक भाजपा के साथ ही रहे. ऐसे में इन दोनों ही निर्दलीयों द्वारा भाजपा को समर्थन दिया जाना माना जा सकता है लेकिन तीसरा कौन था? भाजपा पार्टी में सेंध मारने में सफल रही या फिर पार्टी के बागी का मन बदला. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है. लेकिन, एक साथ तीन पार्षदों के पाला बदलने से कांग्रेस नेता चिंता में पड़ गए हैं.
पता चला है कि पार्टी अपने स्तर पर इसकी जांच भी करवाएगी. सभापति जैनेंद्र त्रिवेदी का कहना था कि पार्टी पूरी तरह से एकजुट होकर यह चुनाव लड़ी है ऐसे में पार्टी में सेंध जैसी कोई बात नहीं है. निर्दलीय पार्षद हमारे साथ थे लेकिन आज कोई नजर नहीं आया. आखिर ये कैसे हुआ, इसकी जांच करवाएं.