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बांसवाड़ा की बेटी मिशन मून पर...माता-पिता से बोली- अब नए जोश से करेंगे काम

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Published : Sep 7, 2019, 7:35 PM IST

बांसवाड़ा जिले की बेटी प्रियंका मिशन चंद्रयान-2 का एक अहम हिस्सा रही. प्रियंका का 2017 में एरो स्पेस इंजीनियरिंग में प्लेसमेंट हुआ था. जिसके बाद से वो यहां कार्यरत है. शनिवार को परिजनों से हुई बात में प्रियंका ने मिशन के फेल होने को लेकर निराशा जताई. वहीं प्रियंका ने कहा कि आगे हम एक नए जोश से काम लेंगे.

बांसवाड़ा की बेटी रही चंद्रयान-2 का हिस्सा, Banswara's daughter was part of Chandrayaan-2

बांसवाड़ा. जिले के महात्मा गांधी राजकीय चिकित्सालय में कार्यरत डॉक्टर राजेश चौधरी की बेटी प्रियंका शुक्रवार को बड़े उत्साह के साथ इसरो सेंटर पर गई थी. सेंटर पर मोबाइल लाने ले जाने की अनुमति नहीं थी ऐसे में प्रियंका अपने मिशन को लेकर घर पर बात नहीं कर पाई लेकिन शनिवार सुबह जैसे ही घर पहुंची अपने माता-पिता से संपर्क साधा.

बांसवाड़ा की बेटी रही चंद्रयान-2 का हिस्सा

हालांकि, अंतिम क्षणों में चंद्रयान का संपर्क टूटने को लेकर वह थोड़ी निराश थी, लेकिन साथ ही नए जोश से लबरेज दिखाई दी. प्रियंका ने उम्मीद जताई कि अगला मिशन सफल रहेगा. मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले डॉ. चौधरी 2002 में बांसवाड़ा आ गए. बेटी प्रियंका और बेटे पुलकित की स्कूली पढ़ाई बांसवाड़ा में ही हुई. प्रियंका का 12वीं में अच्छे मार्क्स के साथ जेईई में सिलेक्शन हो गया. जिसके बाद इसरो के कॉलेज इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी से बीटेक के बाद अगस्त 2017 में एरो स्पेस इंजीनियरिंग में प्रियंका का प्लेसमेंट हो गया.

फिलहाल, प्रियंका मिशन मून की एक अहम हिस्सा रही है और चंद्रयान के डिजाइन में काफी अहम भूमिका निभाई. उसकी इस कामयाबी को परिजनों के अलावा शहर के कई प्रबुद्ध लोगों ने भी गौरव का विषय बताया है. पिता के साथ माता नीतू चौधरी का भी पढ़ाई के दौरान उसे खासा मार्गदर्शन मिलता रहा. वहीं इस समय प्रियंका का भाई पुलकित कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग कर रहा है.

पढ़ें- स्पेशल न्यूज: पिता के अधूरे सपने को बेटी ने दिया पंख...प्रिया पूनिया का भारतीय महिला क्रिकेट टीम में चयन

पिता डॉ. चौधरी के अनुसार प्रियंका का बचपन से ही इस फील्ड में जाने का सपना था जो उसने कड़ी मेहनत कर हासिल कर लिया. अपनी बेटी के इस मिशन का एक हिस्सा होने की खबर मात्र से ही वे बड़े खुश थे. सुबह बेटी से हुई बातचीत में प्रियंका थोड़ी निराश रही लेकिन उसने अगले मिशन के सफल होने की उम्मीद जताई है. वहीं डॉ. चौधरी ने अपनी बेटी पर नाज जताते हुए कहा की प्रतिभाओं के लिए कोई भी शहर छोटा या बड़ा नहीं होता उसके लिए बस मेहनत लगन और एकाग्र होने की जरूरत है.

बांसवाड़ा. जिले के महात्मा गांधी राजकीय चिकित्सालय में कार्यरत डॉक्टर राजेश चौधरी की बेटी प्रियंका शुक्रवार को बड़े उत्साह के साथ इसरो सेंटर पर गई थी. सेंटर पर मोबाइल लाने ले जाने की अनुमति नहीं थी ऐसे में प्रियंका अपने मिशन को लेकर घर पर बात नहीं कर पाई लेकिन शनिवार सुबह जैसे ही घर पहुंची अपने माता-पिता से संपर्क साधा.

बांसवाड़ा की बेटी रही चंद्रयान-2 का हिस्सा

हालांकि, अंतिम क्षणों में चंद्रयान का संपर्क टूटने को लेकर वह थोड़ी निराश थी, लेकिन साथ ही नए जोश से लबरेज दिखाई दी. प्रियंका ने उम्मीद जताई कि अगला मिशन सफल रहेगा. मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले डॉ. चौधरी 2002 में बांसवाड़ा आ गए. बेटी प्रियंका और बेटे पुलकित की स्कूली पढ़ाई बांसवाड़ा में ही हुई. प्रियंका का 12वीं में अच्छे मार्क्स के साथ जेईई में सिलेक्शन हो गया. जिसके बाद इसरो के कॉलेज इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी से बीटेक के बाद अगस्त 2017 में एरो स्पेस इंजीनियरिंग में प्रियंका का प्लेसमेंट हो गया.

फिलहाल, प्रियंका मिशन मून की एक अहम हिस्सा रही है और चंद्रयान के डिजाइन में काफी अहम भूमिका निभाई. उसकी इस कामयाबी को परिजनों के अलावा शहर के कई प्रबुद्ध लोगों ने भी गौरव का विषय बताया है. पिता के साथ माता नीतू चौधरी का भी पढ़ाई के दौरान उसे खासा मार्गदर्शन मिलता रहा. वहीं इस समय प्रियंका का भाई पुलकित कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग कर रहा है.

पढ़ें- स्पेशल न्यूज: पिता के अधूरे सपने को बेटी ने दिया पंख...प्रिया पूनिया का भारतीय महिला क्रिकेट टीम में चयन

पिता डॉ. चौधरी के अनुसार प्रियंका का बचपन से ही इस फील्ड में जाने का सपना था जो उसने कड़ी मेहनत कर हासिल कर लिया. अपनी बेटी के इस मिशन का एक हिस्सा होने की खबर मात्र से ही वे बड़े खुश थे. सुबह बेटी से हुई बातचीत में प्रियंका थोड़ी निराश रही लेकिन उसने अगले मिशन के सफल होने की उम्मीद जताई है. वहीं डॉ. चौधरी ने अपनी बेटी पर नाज जताते हुए कहा की प्रतिभाओं के लिए कोई भी शहर छोटा या बड़ा नहीं होता उसके लिए बस मेहनत लगन और एकाग्र होने की जरूरत है.

Intro:बांसवाड़ाl बांसवाड़ा को भले ही प्रदेश में पिछड़ा जिला माना जाता हो, यहां की प्रतिभाओं ने हर क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ कर यह साबित करने में कोई कमी नहीं रखी कि वे किसी से कम हैl मिशन मून-2 को लेकर देश ही नहीं पूरी दुनिया की नजरें गड़ी हुई थी, शहर की बेटी प्रियंका चौधरी उस मिशन का हिस्सा रही जिस पर शहर के हर बाशिंदे को नाज हैl उसके माता-पिता की मिशन को लेकर रात भर नजरें टीवी पर टिकी रहीl


Body: यहां महात्मा गांधी राजकीय चिकित्सालय में कार्यरत डॉक्टर राजेश चौधरी की बेटी प्रियंका रात को बड़े उत्साह के साथ इसरो सेंटर पर गई थीl क्योंकि सेंटर पर मोबाइल लाने ले जाने की अनुमति नहीं है ऐसे में प्रियंका अपने मिशन को लेकर कोई बात नहीं कर पाई लेकिन शनिवार सुबह जैसे ही घर पहुंची अपने माता-पिता से संपर्क साधाl हालांकि अंतिम क्षणों में चंद्रयान का संपर्क टूटने को लेकर वह थोड़ी निराश थी लेकिन साथ ही नए जोशो खरोश से लबरेज दिखाई दी और उम्मीद जताई कि अगला मिशन सफल रहेगाl मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले डॉक्टर चौधरी 2002 में बांसवाड़ा आ गएl बेटी प्रियंका और बेटे पुलकित की स्कूली पढ़ाई बांसवाड़ा में ही हुईl प्रियंका का 12वीं में अच्छे मार्क्स के साथ जेईई मैं सिलेक्शन हो गया l इसरो के कॉलेज इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी से बीटेक के बाद अगस्त 2017 में एरो स्पेस इंजीनियरिंग प्लेसमेंट हो गयाl


Conclusion:फिलहाल प्रियंका मिशन मून की एक अहम हिस्सा है और चंद्रयान के डिजाइन में काफी अहम भूमिका रहीl उसकी इस कामयाबी को परिजनों के अलावा शहर के कई प्रबुद्ध लोगों ने भी गौरव का विषय बतायाl पिता के साथ माता नीतू चौधरी का बी पढ़ाई के दौरान उसे खासा मार्गदर्शन मिलता रहाl भाई पुलकित फिलहाल कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग कर रहा हैl पिता डॉ चौधरी के अनुसार प्रियंका का बचपन से ही इस फील्ड में जाने का सपना था जो उसने कटिंग मेहनत कर हासिल कर लियाl अपनी बेटी के इस मिशन का एक हिस्सा होने की खबर मात्र से ही वे बड़े खुश थेl बेटी का सुबह फोन आया बातचीत में थोड़ी निराशा तो झलकी की लेकिन उसने साथ ही साथ अगला मिशन कामयाब होने की भी उम्मीद जताईl मां नीतू के अनुसार बेटी प्रियंका मजबूत इरादों वाली रही हैl अपना हर काम उसने मेहनत लगन और दृढ़ संकल्प के साथ पूरा किया हैl रात को पूरे परिवार के लोग मिशन मून की कामयाबी को लेकर ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे और सबकी निगाहें टीवी पर टिकी थीl जैसे ही 1:51 पर चंद्रयान का ईश्वर से संपर्क टूटने की सूचना आईl हम भी निराश हो गए और पूरी रात नींद नहीं आई लेकिन हमें अगले मिशन में जरुर कामयाबी मिलेगीl अपनी बेटी पर नाज जताते हुए कहां की प्रतिभाओं के लिए कोई भी शहर छोटा या बड़ा नहीं होताl उसके लिए बस मेहनत लगन और एकाग्र होने की जरूरत हैl प्रियंका के माता-पिता और परिजनों का शनिवार को उसकी स्कूल अंकुर सीनियर सेकेंडरी स्कूल द्वारा अभिनंदन किया गयाl
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