बांसवाड़ा. जिले के महात्मा गांधी राजकीय चिकित्सालय में कार्यरत डॉक्टर राजेश चौधरी की बेटी प्रियंका शुक्रवार को बड़े उत्साह के साथ इसरो सेंटर पर गई थी. सेंटर पर मोबाइल लाने ले जाने की अनुमति नहीं थी ऐसे में प्रियंका अपने मिशन को लेकर घर पर बात नहीं कर पाई लेकिन शनिवार सुबह जैसे ही घर पहुंची अपने माता-पिता से संपर्क साधा.
हालांकि, अंतिम क्षणों में चंद्रयान का संपर्क टूटने को लेकर वह थोड़ी निराश थी, लेकिन साथ ही नए जोश से लबरेज दिखाई दी. प्रियंका ने उम्मीद जताई कि अगला मिशन सफल रहेगा. मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले डॉ. चौधरी 2002 में बांसवाड़ा आ गए. बेटी प्रियंका और बेटे पुलकित की स्कूली पढ़ाई बांसवाड़ा में ही हुई. प्रियंका का 12वीं में अच्छे मार्क्स के साथ जेईई में सिलेक्शन हो गया. जिसके बाद इसरो के कॉलेज इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी से बीटेक के बाद अगस्त 2017 में एरो स्पेस इंजीनियरिंग में प्रियंका का प्लेसमेंट हो गया.
फिलहाल, प्रियंका मिशन मून की एक अहम हिस्सा रही है और चंद्रयान के डिजाइन में काफी अहम भूमिका निभाई. उसकी इस कामयाबी को परिजनों के अलावा शहर के कई प्रबुद्ध लोगों ने भी गौरव का विषय बताया है. पिता के साथ माता नीतू चौधरी का भी पढ़ाई के दौरान उसे खासा मार्गदर्शन मिलता रहा. वहीं इस समय प्रियंका का भाई पुलकित कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग कर रहा है.
पिता डॉ. चौधरी के अनुसार प्रियंका का बचपन से ही इस फील्ड में जाने का सपना था जो उसने कड़ी मेहनत कर हासिल कर लिया. अपनी बेटी के इस मिशन का एक हिस्सा होने की खबर मात्र से ही वे बड़े खुश थे. सुबह बेटी से हुई बातचीत में प्रियंका थोड़ी निराश रही लेकिन उसने अगले मिशन के सफल होने की उम्मीद जताई है. वहीं डॉ. चौधरी ने अपनी बेटी पर नाज जताते हुए कहा की प्रतिभाओं के लिए कोई भी शहर छोटा या बड़ा नहीं होता उसके लिए बस मेहनत लगन और एकाग्र होने की जरूरत है.