ETV Bharat / state

SPECIAL: बांसवाड़ा में तेंदूपत्ता के भरोसे चल रही सैकड़ों आदिवासी परिवारों की रोजी-रोटी

बांसवाड़ा के आदिवासियों के लिए रोजगार का मुख्य साधन इस वक्त तेंदूपत्ता है. कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से यहां के आदिवासी लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया था. ऐसे में समय में तेंदूपत्ता के संग्रहण से इन आदिवासी परिवारों के हर सदस्य की 200 से लेकर 300 रुपए तक की कमाई हो जाती है.

बांसवाड़ा में तेंदूपत्ता, Tendu leaves in Banswara
तेंदूपत्ता बना आदिवासी परिवारों का तारणहार
author img

By

Published : Jun 2, 2020, 5:26 PM IST

Updated : Jun 2, 2020, 6:22 PM IST

बांसवाड़ा. जिले भर में बड़े पैमाने पर तेंदूपत्ते का पेड़ है. हर साल ठेकेदारों के जरिए पत्ते तोड़ने का काम चलाया जाता हैं. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य मुश्किल नजर आ रहा था. विभागीय अधिकारियों के सामने मुश्किल यह थी कि बांसवाड़ा जिले के तेंदूपत्ता संग्रहण का ठेका करीब 80,00,000 रुपए में छूट चुका था.

तेंदूपत्ता बना आदिवासी परिवारों का तारणहार

लेकिन अधिकारियों ने भी हिम्मत नहीं हारी और प्रशासन के समक्ष अपनी बात रखते हुए ठेकेदारों और मजदूरों के लिए पास बनाने के प्रयासों में जुटे रहे. आखिरकार विभाग को अप्रैल अंत तक कामयाबी मिल गई. इसके साथ ही सभी 11 ब्लॉकों में काम शुरू करवा दिया, लेकिन कुशलगढ़ में कोरोना के कारण लगाए गए कर्फ्यू को देखते हुए कुशलगढ़ ब्लॉक में संग्रहण के कार्य को निरस्त करना पड़ा. बांसवाड़ा, घाटोल, सज्जनगढ़, आनंदपुरी, बागीदौरा, गढ़ी, प्रतापपुर सहित अन्य ब्लॉक में संगठन का काम प्रारंभ किया गया. कुशलगढ़ ब्लॉक की राशि कम करने के साथ ही ठेका राशि 74 लाख 80 हजार रुपए कर दी गई.

बांसवाड़ा में तेंदूपत्ता, Tendu leaves in Banswara
तेंदूपत्ता के भरोसे सैकड़ों आदिवासी परिवार

तेंदूपत्ता संग्रहण एक कठिन प्रक्रिया

बता दें की तेंदूपत्ता संग्रहण की प्रक्रिया बहुत ही कठिन है. मजदूरों को 50 हजार पत्तों पर 1050 रुपए की मजदूरी मिलती है. इसमें मजदूर को पत्ता तोड़ने से लेकर से पचास-पचास की गड्डी बनाने और उन्हें सुखाने के बाद फड़ यानी कलेक्शन सेंटर पर दिया जाता है. एक मानक बोरे की मजदूरी 1050 रुपए का भुगतान किया जाता है. एक मानक का मतलब पचास-पचास पत्तों की 1 हजार गड्डी माना जाता है. इस प्रकार जंगल से 50 हजार पत्तों की तुड़ाई के बाद उनकी गड्डी बनाने और फिर सुखाकर सेंटर पर देने के बदले मजदूर के खाते में 1050 रुपए ट्रांसफर किए जाते हैं.

बांसवाड़ा में तेंदूपत्ता, Tendu leaves in Banswara
रोजगार का मुख्य साधन इस वक्त तेंदूपत्ता

परिवार के हर सदस्य की सहभागिता

इस पूरे कार्य में संबंधित व्यक्ति के परिवार के हर सदस्य की सहभागिता रहती है. कोई भी एक व्यक्ति जंगल से पत्ते तोड़ लाता है और परिवार के अन्य सदस्य गड्डी बनाकर सुखाने के काम में जुट जाते हैं. कुल मिलाकर इसके जरिए दिन भर में परिवार के हर सदस्य की 200 से लेकर 300 रुपए तक की कमाई हो जाती है.

बांसवाड़ा में तेंदूपत्ता, Tendu leaves in Banswara
कोरोना काल में रोजी रोटी का जुगाड़

उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट के अनुसार अब तक 16 हजार मानक बोरा कलेक्शन सेंटर पर जमा हो चुके हैं. कुल 77 हजार मानव दिवस सृजित हुए और लगभग 1 हजार से अधिक आदिवासी वर्ग के लोगों को रोजगार मिला. इसके बदले ठेकेदार की तरफ से मजदूरों के खाते में एक करोड़ 70 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए. हालांकि तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य अभी भी जारी है. लेकिन यह अंतिम चरण में है. जिस वजह से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता रहेगा.

बांसवाड़ा. जिले भर में बड़े पैमाने पर तेंदूपत्ते का पेड़ है. हर साल ठेकेदारों के जरिए पत्ते तोड़ने का काम चलाया जाता हैं. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य मुश्किल नजर आ रहा था. विभागीय अधिकारियों के सामने मुश्किल यह थी कि बांसवाड़ा जिले के तेंदूपत्ता संग्रहण का ठेका करीब 80,00,000 रुपए में छूट चुका था.

तेंदूपत्ता बना आदिवासी परिवारों का तारणहार

लेकिन अधिकारियों ने भी हिम्मत नहीं हारी और प्रशासन के समक्ष अपनी बात रखते हुए ठेकेदारों और मजदूरों के लिए पास बनाने के प्रयासों में जुटे रहे. आखिरकार विभाग को अप्रैल अंत तक कामयाबी मिल गई. इसके साथ ही सभी 11 ब्लॉकों में काम शुरू करवा दिया, लेकिन कुशलगढ़ में कोरोना के कारण लगाए गए कर्फ्यू को देखते हुए कुशलगढ़ ब्लॉक में संग्रहण के कार्य को निरस्त करना पड़ा. बांसवाड़ा, घाटोल, सज्जनगढ़, आनंदपुरी, बागीदौरा, गढ़ी, प्रतापपुर सहित अन्य ब्लॉक में संगठन का काम प्रारंभ किया गया. कुशलगढ़ ब्लॉक की राशि कम करने के साथ ही ठेका राशि 74 लाख 80 हजार रुपए कर दी गई.

बांसवाड़ा में तेंदूपत्ता, Tendu leaves in Banswara
तेंदूपत्ता के भरोसे सैकड़ों आदिवासी परिवार

तेंदूपत्ता संग्रहण एक कठिन प्रक्रिया

बता दें की तेंदूपत्ता संग्रहण की प्रक्रिया बहुत ही कठिन है. मजदूरों को 50 हजार पत्तों पर 1050 रुपए की मजदूरी मिलती है. इसमें मजदूर को पत्ता तोड़ने से लेकर से पचास-पचास की गड्डी बनाने और उन्हें सुखाने के बाद फड़ यानी कलेक्शन सेंटर पर दिया जाता है. एक मानक बोरे की मजदूरी 1050 रुपए का भुगतान किया जाता है. एक मानक का मतलब पचास-पचास पत्तों की 1 हजार गड्डी माना जाता है. इस प्रकार जंगल से 50 हजार पत्तों की तुड़ाई के बाद उनकी गड्डी बनाने और फिर सुखाकर सेंटर पर देने के बदले मजदूर के खाते में 1050 रुपए ट्रांसफर किए जाते हैं.

बांसवाड़ा में तेंदूपत्ता, Tendu leaves in Banswara
रोजगार का मुख्य साधन इस वक्त तेंदूपत्ता

परिवार के हर सदस्य की सहभागिता

इस पूरे कार्य में संबंधित व्यक्ति के परिवार के हर सदस्य की सहभागिता रहती है. कोई भी एक व्यक्ति जंगल से पत्ते तोड़ लाता है और परिवार के अन्य सदस्य गड्डी बनाकर सुखाने के काम में जुट जाते हैं. कुल मिलाकर इसके जरिए दिन भर में परिवार के हर सदस्य की 200 से लेकर 300 रुपए तक की कमाई हो जाती है.

बांसवाड़ा में तेंदूपत्ता, Tendu leaves in Banswara
कोरोना काल में रोजी रोटी का जुगाड़

उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट के अनुसार अब तक 16 हजार मानक बोरा कलेक्शन सेंटर पर जमा हो चुके हैं. कुल 77 हजार मानव दिवस सृजित हुए और लगभग 1 हजार से अधिक आदिवासी वर्ग के लोगों को रोजगार मिला. इसके बदले ठेकेदार की तरफ से मजदूरों के खाते में एक करोड़ 70 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए. हालांकि तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य अभी भी जारी है. लेकिन यह अंतिम चरण में है. जिस वजह से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता रहेगा.

Last Updated : Jun 2, 2020, 6:22 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.