बांसवाड़ा. जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में गुरुवार को सांसद कनक मल कटारा का पारा काफी चढ़ा हुआ दिखने को मिला. उन्होंने बिजली से लेकर पानी और माही परियोजना की नहरों के मामलों पर न केवल नाराजगी जताई बल्कि अधिकारियों को कई सुझाव भी दिए. खासकर फसली बीमा योजना में जब क्लेम की हकीकत सामने आई तो सांसद भी चौक गए. वहीं, घाटोल से विधायक हरेंद्र निनामा और गढ़ी के विधायक कैलाश मीणा भी उनके सुर से सुर मिलाते नजर आए. इस बैठक में कलेक्टर अंकित कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक कावेंद्र सिंह सागर अंत तक मौजूद रहे.
गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय के सभागार में हुई इस बैठक की शुरुआत में जिला परिषद के नवागंतुक मुख्य कार्यकारी अधिकारी नरेश कुमार मालव ने पिछली बैठक का कार्रवाई विवरण सांसद के सामने रखा. इस पर चर्चा करने के बाद विभाग वार केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की गई. साथ ही खाद्य सुरक्षा योजना का प्रभावशाली लोगों के लाभ उठाने के मुद्दे पर विधायक निनामा और मीणा का भी उन्हें समर्थन मिला. उन्होंने एक स्वर में लाभान्वित लोगों के घरों के बाहर बड़े-बड़े अक्षरों में नामांकित किए जाने का सुझाव दिया. ताकि पात्र लोगों को इस योजना का लाभ मिल सके.
इसके अलावा सांसद ने पीएम आवास योजना में प्रभावशाली लोगों के पात्र लोगों के नाम लेने को भी गंभीरता से लिया और जिला परिषद से जवाब मांगा. जिसपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी मालव ने कहा कि, संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है. फिर उनसे सांसद ने पूछा कि, आखिर जांच में कितना वक्त लगता है. इसपर एसीईओ राजकुमार सिंह ने सांसद को बताया कि, 2016 से पहले के मामलों को भी जांच में लिया जा रहा है. लेकिन रिकॉर्ड गायब होने से अड़चन आ रही हैं.
ये भी पढ़ेंः SPECIAL: भूमाफिया के अवैध कब्जे के फेर में सिकुड़ गए तालाब
वहीं, समिति सदस्य मुकेश रावत ने ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर टेंडर डालने का मामला उठाते हुए आरोप लगाया कि, एक ग्राम पंचायत में एक ही टेंडर कॉपी पर टेंडर खोल दिया गया. ये भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है. इसपर भी सांसद कटारा ने नाराजगी जताई और कार्य को रोकने के आदेश दिए. साथ ही जिला कलेक्टर ने भी विकास अधिकारी को इस मामले में आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं.
बैठक में सांसद ने जब जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग से 'सबके घर नल' योजना के अंतर्गत कुशलगढ़ और सज्जनगढ़ पेयजल योजना के धरातल पर लाने के लिए पूछा तो, उन्हें बताया गया कि इस योजना का 40 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. लेकिन अब रास्ते में वन विभाग की जमीन आ गई है. हालांकि, जिला प्रशासन ने उसके बदले जमीन आवंटित कर दी है, लेकिन पथरीली जमीन होने के कारण विभाग एनओसी जारी नहीं कर रहा है. जिसपर कलेक्टर ने वन विभाग और जन स्वास्थ्य अभियंत्रिकी विभाग के अधिकारियों को एक साथ कार्यालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं. वहीं, बैठक में गढ़ी और अगरपुरा के आसपास रोड के खराब होने का मामला उठाया तो प्राधिकरण ने कहा कि, इसके लिए 30 लाख रुपए सैंक्शन हो चुके हैं. जल्द ही रिपेयरिंग का काम शुरू कर दिया जाएगा.
ये भी पढ़ेंः बांसवाड़ाः ना ढोल नगाड़े ना ही जुलूस, आस्था और सादगी से हुआ बप्पा का विसर्जन
बैठक में आजीविका मिशन पर चर्चा के दौरान सामने आया कि, जिले में बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से माइक्रो फाइनेंस कंपनियां काम कर रही है. जिनका न कोई ऑफिस है और नहीं कोई कर्मचारी. महिलाओं के नाम पर मोटा ब्याज वसूला जा रहा है. इसे कई योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं. ये सुनकर एमपी कटारा, विधायक, कलेक्टर और एसपी भी स्तब्ध रह गए. कलेक्टर ने संबंधित कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसपी को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं. बैठक के दौरान करीब 24 से अधिक योजनाओं की समीक्षा की गई.