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कृषि संकाय में 1 साल बाद भी ना लेक्चरर और ना ही लैब, विद्यार्थी आंदोलन पर - banswara agriculture students

गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय बांसवाड़ा में कृषि संकाय को कृषि अनुसंधान केंद्र शिफ्ट करने की मांग करते हुए विद्यार्थी गुरुवार से आंदोलन पर उतर गए.

banswara agriculture students protest
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Published : Aug 1, 2019, 5:01 PM IST

बांसवाड़ा. गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय बांसवाड़ा में आनन-फानन में कृषि संकाय खोल दिया गया. लेकिन एक साल बाद भी ना लेक्चरर लगाए गए और ना ही कोई लैब खोली गई. इससे विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में जाता दिखाई दे रहा है. संकाय को कृषि अनुसंधान केंद्र शिफ्ट करने की मांग करते हुए विद्यार्थी गुरुवार से आंदोलन पर उतर गए.

बांसवाड़ा में विद्यार्थी आंदोलन पर

महाविद्यालय में गत वर्ष यह संकाय खोला गया था. काउंसलिंग के बाद 60 विद्यार्थियों का प्रवेश हुआ. विद्यार्थियों की माने तो अमूमन कृषि संकाय, कृषि अनुसंधान केंद्र या कृषि विज्ञान केंद्र में संचालित होते हैं लेकिन वहां पर बोरवट में कृषि अनुसंधान केंद्र होने के बावजूद संकाय को वहां शिफ्ट नहीं किया जा रहा है. जबकि उनके यहां पढ़ाने के लिए कोई प्राध्यापक नहीं है और ना ही कृषि संबंधी कोई लैब है.

पढ़ें: बारिश के चलते ढहा मकान, एक बच्चे समेत तीन लोगों के दबे होने की आशंका

बता दें कि विषय पूर्णतया प्रायोगिक होता है लेकिन राजकीय महाविद्यालय में प्रयोग के लिए कोई लैब नहीं है और ना ही पढ़ाने वाले कोई लेक्चरर. कलेक्ट्रेट के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू करते हुए विद्यार्थियों का कहना था कि उनकी यह मांग पिछले 1 साल से चल रही है.

पढ़ें: #NMC बिल: सीकर में डॉक्टर्स ने किया कार्य बहिष्कार, तड़पते रहे मरीज

कलेक्टर के साथ मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों को भी उन्होंने अपनी मांग पहुंचाई लेकिन अब तक को सकारात्मक जवाब नहीं मिला है. इसी कारण उन्हें धरने पर बैठने को मजबूर होना पड़ा. जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती धरना जारी रहेगा. बारिश के बाद भी धरनार्थियों का जोश कम नहीं हुआ और वे अपनी मांग को लेकर आवाज बुलंद करते रहे. उन्होंने मांग रखी है कि जब तक संकाय को कृषि अनुसंधान केंद्र में शिफ्ट नहीं किया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

बांसवाड़ा. गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय बांसवाड़ा में आनन-फानन में कृषि संकाय खोल दिया गया. लेकिन एक साल बाद भी ना लेक्चरर लगाए गए और ना ही कोई लैब खोली गई. इससे विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में जाता दिखाई दे रहा है. संकाय को कृषि अनुसंधान केंद्र शिफ्ट करने की मांग करते हुए विद्यार्थी गुरुवार से आंदोलन पर उतर गए.

बांसवाड़ा में विद्यार्थी आंदोलन पर

महाविद्यालय में गत वर्ष यह संकाय खोला गया था. काउंसलिंग के बाद 60 विद्यार्थियों का प्रवेश हुआ. विद्यार्थियों की माने तो अमूमन कृषि संकाय, कृषि अनुसंधान केंद्र या कृषि विज्ञान केंद्र में संचालित होते हैं लेकिन वहां पर बोरवट में कृषि अनुसंधान केंद्र होने के बावजूद संकाय को वहां शिफ्ट नहीं किया जा रहा है. जबकि उनके यहां पढ़ाने के लिए कोई प्राध्यापक नहीं है और ना ही कृषि संबंधी कोई लैब है.

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बता दें कि विषय पूर्णतया प्रायोगिक होता है लेकिन राजकीय महाविद्यालय में प्रयोग के लिए कोई लैब नहीं है और ना ही पढ़ाने वाले कोई लेक्चरर. कलेक्ट्रेट के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू करते हुए विद्यार्थियों का कहना था कि उनकी यह मांग पिछले 1 साल से चल रही है.

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कलेक्टर के साथ मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों को भी उन्होंने अपनी मांग पहुंचाई लेकिन अब तक को सकारात्मक जवाब नहीं मिला है. इसी कारण उन्हें धरने पर बैठने को मजबूर होना पड़ा. जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती धरना जारी रहेगा. बारिश के बाद भी धरनार्थियों का जोश कम नहीं हुआ और वे अपनी मांग को लेकर आवाज बुलंद करते रहे. उन्होंने मांग रखी है कि जब तक संकाय को कृषि अनुसंधान केंद्र में शिफ्ट नहीं किया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

Intro:बांसवाड़ा। गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय बांसवाड़ा में आनन-फानन में कृषि संकाय खोल दिया गया लेकिन एक साल बाद भी यहां ना लेक्चरर लगाए गए और ना ही कोई लैब खोली गई। इससे विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में होते जा रहा है। संकाय को कृषि अनुसंधान केंद्र शिफ्ट करने की मांग करते हुए विद्यार्थी गुरुवार से आंदोलन पर उतर आए।


Body:महाविद्यालय में गत वर्ष यह संकाय खोला गया था। काउंसलिंग के बाद 60 विद्यार्थियों का प्रवेश हुआ। विद्यार्थियों की माने तो अमूमन कृषि संकाय कृषि अनुसंधान केंद्र या कृषि विज्ञान केंद्र में संचालित होते हैं लेकिन यहां पर बोरवट में कृषि अनुसंधान केंद्र होने के बावजूद संकाय को वहां शिफ्ट नहीं किया जा रहा है जबकि यहां पर पढ़ाने के लिए कोई प्राध्यापक नहीं है और ना ही कृषि संबंधी कोई लैब है। यह सब्जेक्ट पूर्णता प्रायोगिक होता है लेकिन राजकीय महाविद्यालय में प्रयोग के लिए कोई लैब है और ना ही पढ़ाने वाले कोई लेक्चरर। इस कारण उनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।


Conclusion:कलेक्ट्रेट के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू करते हुए विद्यार्थियों का कहना था कि उनकी यह मांग पिछले 1 साल से चल रही है। कलेक्टर के साथ मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों को भी अपनी मांग पहुंचाई लेकिन अब तक को सकारात्मक रिस्पांस नहीं मिला है। इसी कारण उन्हें धरने पर बैठने को मजबूर होना पड़ा। जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती धरना जारी रहेगा। बारिश के बाद भी दर्शनार्थियों का जोश कम नहीं हुआ और अपनी मांग की आवाज को बुलंद करते रहे। धरने का नेतृत्व कर रहे नितेश लेगा के अनुसार दोनों ही प्रकार की फैसिलिटी उनके पास नहीं है और इससे विद्यार्थियों का भविष्य चौपट होता जा रहा है। जब तक संकाय को कृषि अनुसंधान केंद्र में सिर्फ नहीं किया जाता हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

बाइट....... नितेश लेगा
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