बांसवाड़ा. कोरोना महामारी से बचाव ही एकमात्र उपाय है और सोशल डिस्टेंसिंग इसका मुख्य आधार है. इसके दृष्टिगत सरकार द्वारा लॉकडाउन घोषित किया गया. इस दौरान जरूरतमंद लोगों को सरकार द्वारा विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में धनराशि उनके खाते में ट्रांसफर की गई. एक साथ लाखों खातों में राशि आने के साथ ही लोगों के कदम बैंकों की ओर बढ़ गए. लोगों के एक साथ बैंक पहुंचने से सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखना प्रशासन के लिए भी मुश्किल हो गया. जिसके बाद बैंक प्रबंधन ने उपभोक्ता को कोरोना से सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए. जिसमें सबसे अधिक कारगर तरीका कोड सिस्टम रहा.
कोड सिस्टम लागू करने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आई और दूसरे हालात सामान्य हो गए. हालांकि, इसके बावजूद भी जानकारी के अभाव में कुछ लोग अब भी बैंक पहुंच रहे हैं. इन लोगों को बैंक प्रबंधन अपने स्तर पर उनके बीच सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवा रहा है. लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही केंद्र सरकार ने अपने अगले कदम के रूप में गरीब वर्ग के परिवारों की सुध ली. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत जन धन योजना के दायरे में आने वाली महिलाओं के खाते में 500-500 ट्रांसफर किए गए. अप्रैल के पहले सप्ताह में जैसे ही यह राशि बैंक खाते में पहुंची, गांव से बड़ी संख्या में खातेदार महिलाएं बैंक पहुंचने लग गई.
अफवाह ने बिगाड़े हालात
इस बीच एक अफवाह ने हालात और बिगाड़ दिए. जिसमें सरकार द्वारा डाले गए पैसे की निकासी नहीं होने पर उनके फ्रिज कर लिए जाने की अफवाह थी. इसके चलते दूरदराज के गांव से भी महिलाएं बैंक पहुंचे लग गई. जिसके बाद बैंकों के बाहर कतारों के साथ भारी भीड़ बैंकों के लिए परेशानी का कारण बन गई. हालांकि, प्रत्येक बैंकों ने ग्राहकों के हाथ धोने और सैनिटाइज करने की व्यवस्था की लेकिन सैकड़ों ग्राहकों के आने से यह प्रबंध भी नाकाफी साबित हो रहा था.
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इस प्रकार की सूचना के बाद जिला प्रशासन भी हरकत में आया. जिसके बाद बैंकों को ग्रामीण क्षेत्र में अपने प्रतिनिधि (बैंक कॉरस्पॉडेंट) भेजने के लिए पाबंद किया. इसके लिए संबंधित ग्राम पंचायतों और सचिव पटवारी आदि की ड्यूटी लगाई गई. जिससे ग्रामीण क्षेत्र से शहरों में महज विड्रॉल के लिए महिलाओं के आने जाने को रोका जा सके.
किस योजना में कितने लाभान्वित
जिले के अग्रणी बैंक प्रबंधन से जुटाई गई. जानकारी के अनुसार जिले में करीब चार लाख महिलाओं के खाते में अप्रैल और मई महीने में 500-500 रुपए के हिसाब से 20 -20 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए. इसी प्रकार सामाजिक पेंशनधारियों अर्थात वृद्धावस्था पेंशन विधवा और विकलांग पेंशनधारियों के खातों में 40 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए. वहीं राज्य सरकार ने कोविड-19 के अंतर्गत 13,3000 लोगों के खातों में 2500-2500 रुपए ट्रांसफर किए.
बैंक कार्मिकों के साथ NCC कैडेट्स
बैंकों के बाहर सोशल डिस्टेंस को बरकरार रखने के लिए बैंकों ने अपने गार्ड और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को लगाया गया. ग्राहकों को बनाए गए गोले में खड़ा रखते हुए बैंक में जाने वालों के हाथ सैनिटाइज करने की व्यवस्था की गई. कई बैंकों में प्रशासन ने इसके लिए एनसीसी कैडेट्स भी लगाए गए. खासकर गढ़ी प्रतापपुर और कुशलगढ़ इलाके में एनसीसी कैडेट्स की मदद ली जा रही है.
बाहर ही नहीं अंदर भी डिस्टेंस
सोशल डिस्टेंस के चलते बैंकों के बाहर ही नहीं अंदर का भी नजारा बदल गया है. काउंटर को छोड़कर ग्राहकों के काम आने वाले फर्नीचर को उठा लिया गया है. साथ ही निकासी के लिए अतिरिक्त काउंटर लगाए गए. बैंकों में बाहर से आने वाले लोगों की संख्या तक सीमित कर दी गई हैं.
कारगर रहा कोड सिस्टम
ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली महिलाओं और लोगों को रोकने के लिए सबसे अधिक कारगर कोड सिस्टम रहा. इसके अंतर्गत केंद्र सरकार ने ही स्टैंडर्ड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम लागू किया. जिसके अंतर्गत खातों के सबसे अंत वाले अंकों के आधार पर निकासी की तिथियां तय कर दी गई. इस संबंध में संबंधित ग्राम पंचायतों के सचिव और पटवारियों को भी जानकारी दे दी गई. इसका ग्रामीण क्षेत्र में प्रचार प्रसार का भी सहारा लिया गया. उसी का यह नतीजा कहा जा सकता है कि सरकार द्वारा संबंधित खातों में सहायता राशि ट्रांसफर करने के बावजूद अब महिलाओं का शहर पहुंचना एकदम थम गया है.
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बैंक मैनेजर जनकैश औदीच्य के अनुसार जिले में 28 बैंकों की 133 शाखाएं काम कर रही है. सभी बैंक प्रबंधकों को सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए काम करने को कहा गया है. सैनिटाइजेशन के अलावा इस काम में एनसीसी कैडेट्स की हमारी मदद कर रहे हैं. स्टैंडर्ड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के बाद से महिलाओं की संख्या में काफी कमी आई है और अपने निकटतम बैंक पहुंच रही हैं.