ETV Bharat / state

560 करोड़ की पेयजल योजना छ: साल में भी नहीं हुई पूरी

केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार पेयजल प्राथमिकता में रहता है. लोगों को शुद्ध पेयजल मिल सके, इसके लिए करोड़ों रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी जाती है. लेकिन इन परियोजनाओं में कई अनदेखी का शिकार हो जाती है.

6 साल से अधूरी पड़ी पेयजल योजना
author img

By

Published : Mar 29, 2019, 11:53 PM IST

बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जिले की एक पेयजल परियोजना करीब 6 साल बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाई है. इसका खामियाजा दोनों ही जिलों के लोगों को भुगतना पड़ रहा है. जिन्हें गर्मी आने के साथ ही कड़कड़ाती धूप में कई किलोमीटर दूर से पेयजल जुटाना पड़ता है. खासकर प्रदेश के प्रमुख बांधों में शुमार माही बांध के बैक वाटर क्षेत्र में निवासरत सैकड़ों गांव के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार की ओर से दोनों ही जिलों में 334 गांव की प्यास बुझाने के लिए 560 करोड़ रुपए की परियोजना मंजूर की गई थी. साल 2012 में स्वीकृति के बाद टेंडर देश की जानी-मानी कंपनी एलएनटी के नाम खुला.

6 साल से अधूरी पड़ी पेयजल योजना

आवश्यक औपचारिकताओं के बाद कंपनी ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया. हैरत की बात यह है कि 6 साल बाद भी परियोजना धरातल पर नहीं उतर पाई. परियोजना के तहत दायरे में आने वाले गांव में 20-20 ओवरहैड और टंकियों का निर्माण कार्य किया जाना था. वहीं माही बांध बैक वाटर क्षेत्र में ओपन वैल खुदवा कर करीब 7 किलोमीटर दूर पंपिंग स्टेशन तक बड़ी क्षमता की पाइप लाइन डाली जानी है. कंपनी ने निर्माण कार्य तकरीबन पूरा कर लिया है और यहां से संबंधित गांव टंकी तक पाइप लाइन बिछा दी गई है. करीब 2000000 लीटर क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट अस्तित्व में आ चुका है. वहीं पानी स्टोरेज के लिए टैंक का निर्माण कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है.

2 फेज में परियोजना पूरी की जानी है और दोनों ही फेज में एक साथ काम चल रहा है लेकिन गांव तक पानी पहुंचाने की टेस्टिंग प्रोसेस अब तक कंप्लीट नहीं हो पाई है. जबकि सबसे महत्वपूर्ण टेस्टिंग का ही माना जाता है. निर्माण कार्य भले ही पूरा कर लिया जाए लेकिन जब तक पंपिंग स्टेशन से टंकियों तक आसानी से पानी नहीं पहुंच पाता. तब तक परियोजना ग्रामीणों के लिए उपयोगी साबित नहीं होगी. हालांकि वर्किंग एजेंसी का दावा है कि जून तक दोनों ही फेज में पानी पहुंचा दिया जाएगा. जबकि इस तरह का दावा पिछले 2-3 सालों से किया जा रहा है. टेस्टिंग प्रोसेस बाकी होने के कारण जून तक भी पानी ग्रामीणों तक पहुंच पाएगा, इसमें संशय है. सेक्शन इंचार्ज वीएम पटेल के अनुसार कुछ गांव में अप्रैल तक ड्रिंकिंग वाटर पहुंचा दिया जाएगा. जून तक पूरा प्रोजेक्ट वर्किंग में पहुंच जाएगा.

बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जिले की एक पेयजल परियोजना करीब 6 साल बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाई है. इसका खामियाजा दोनों ही जिलों के लोगों को भुगतना पड़ रहा है. जिन्हें गर्मी आने के साथ ही कड़कड़ाती धूप में कई किलोमीटर दूर से पेयजल जुटाना पड़ता है. खासकर प्रदेश के प्रमुख बांधों में शुमार माही बांध के बैक वाटर क्षेत्र में निवासरत सैकड़ों गांव के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार की ओर से दोनों ही जिलों में 334 गांव की प्यास बुझाने के लिए 560 करोड़ रुपए की परियोजना मंजूर की गई थी. साल 2012 में स्वीकृति के बाद टेंडर देश की जानी-मानी कंपनी एलएनटी के नाम खुला.

6 साल से अधूरी पड़ी पेयजल योजना

आवश्यक औपचारिकताओं के बाद कंपनी ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया. हैरत की बात यह है कि 6 साल बाद भी परियोजना धरातल पर नहीं उतर पाई. परियोजना के तहत दायरे में आने वाले गांव में 20-20 ओवरहैड और टंकियों का निर्माण कार्य किया जाना था. वहीं माही बांध बैक वाटर क्षेत्र में ओपन वैल खुदवा कर करीब 7 किलोमीटर दूर पंपिंग स्टेशन तक बड़ी क्षमता की पाइप लाइन डाली जानी है. कंपनी ने निर्माण कार्य तकरीबन पूरा कर लिया है और यहां से संबंधित गांव टंकी तक पाइप लाइन बिछा दी गई है. करीब 2000000 लीटर क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट अस्तित्व में आ चुका है. वहीं पानी स्टोरेज के लिए टैंक का निर्माण कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है.

2 फेज में परियोजना पूरी की जानी है और दोनों ही फेज में एक साथ काम चल रहा है लेकिन गांव तक पानी पहुंचाने की टेस्टिंग प्रोसेस अब तक कंप्लीट नहीं हो पाई है. जबकि सबसे महत्वपूर्ण टेस्टिंग का ही माना जाता है. निर्माण कार्य भले ही पूरा कर लिया जाए लेकिन जब तक पंपिंग स्टेशन से टंकियों तक आसानी से पानी नहीं पहुंच पाता. तब तक परियोजना ग्रामीणों के लिए उपयोगी साबित नहीं होगी. हालांकि वर्किंग एजेंसी का दावा है कि जून तक दोनों ही फेज में पानी पहुंचा दिया जाएगा. जबकि इस तरह का दावा पिछले 2-3 सालों से किया जा रहा है. टेस्टिंग प्रोसेस बाकी होने के कारण जून तक भी पानी ग्रामीणों तक पहुंच पाएगा, इसमें संशय है. सेक्शन इंचार्ज वीएम पटेल के अनुसार कुछ गांव में अप्रैल तक ड्रिंकिंग वाटर पहुंचा दिया जाएगा. जून तक पूरा प्रोजेक्ट वर्किंग में पहुंच जाएगा.

Intro:बांसवाड़ा। केंद्र सरकार हो यह राज्य सरकार पेयजल प्राथमिकता में रहता है। लोगों को शुद्ध पेयजल मिल सके इसके लिए करोड़ों रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी जाती है लेकिन इन परियोजनाओं में कई अनदेखी का शिकार हो जाती है। इनमें बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जिले की एक बृहद पेयजल परियोजना को भी शामिल किया जा सकता है। करीब 6 साल बाद भी परियोजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। इसका खामियाजा दोनों ही जिलों के लोगों को भुगतना पड़ रहा है जिन्हें गर्मी आने के साथ ही कड़कड़ाती धूप में कई किलोमीटर दूर से पेयजल


Body:जुटाना पड़ता है। खासकर प्रदेश के प्रमुख बांधों में शुमार माही बांध के बैक वाटर क्षेत्र में निवासरत सैकड़ों गांव के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार द्वारा दोनों ही जिलों में के 334 गांव की प्यास बुझाने के लिए 560 करोड रुपए की परियोजना मंजूर की गई थी। वर्ष 2012 में स्वीकृति के बाद टेंडर देश की जानी मानी कंपनी एलएनटी के नाम खुला। आवश्यक औपचारिकताओं के बाद कंपनी द्वारा इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया। हैरत की बात यह है कि 6 साल बाद भी परियोजना धरातल पर नहीं उतर पाई। परियोजना के तहत


Conclusion:दायरे में आने वाले गांव में 20-20 ओवरहेड और टंकियों का निर्माण कार्य किया जाना था वही माही बांध बैक वाटर क्षेत्र में ओपन वेल खुदवा कर करीब 7 किलोमीटर दूर पंपिंग स्टेशन तक बड़ी क्षमता की पाइपलाइन डाली जानी है। कंपनी द्वारा निर्माण कार्य तकरीबन पूरा कर लिया गया है और यहां से संबंधित गांव टंकी तक पाइपलाइन बिछा दी गई है। करीब 2000000 लीटर क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट अस्तित्व में आ चुका है वहीं पानी स्टोरेज के लिए टैंक का निर्माण कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है। 2 फेज में परियोजना पूरी की जानी है और दोनों ही फेज मैं एक साथ काम चल रहा है परंतु गांव तक पानी पहुंचाने की टेस्टिंग प्रोसेस अब तक कंप्लीट नहीं हो पाई है जबकि सबसे महत्वपूर्ण टेस्टिंग का ही माना जाता है। निर्माण कार्य भले ही पूरा कर लिया जाए लेकिन जब तक पंपिंग स्टेशन से टंकियों तक आसानी से पानी नहीं पहुंच पाता तब तक परियोजना ग्रामीणों के लिए अन उपयोगी साबित होगी। हालांकि वर्किंग एजेंसी का दावा है कि जून तक दोनों ही फेज मैं पानी पहुंचा दिया जाएगा जबकि किस प्रकार का दावा पिछले 2-3 सालों से किया जा रहा है। टेस्टिंग प्रोसेस बाकी होने के कारण जून तक भी पानी ग्रामीणों तक पहुंच पाएगा, इसमें संशय है। सेक्शन इन चार्ज वीएम पटेल के अनुसार कुछ गांव में अप्रैल तक ड्रिंकिंग वाटर पहुंचा दिया जाएगा। जून तक पूरा प्रोजेक्ट वर्किंग में पहुंच जाएगा।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.