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अलवर वन विभाग हुआ वायरलेस सिस्टम से लैस

अलवर का वन विभाग वायरलेस सिस्टम से लैस हो चुका है. अब पल-पल की जानकारी विभाग के अधिकारियों को मिल सकेगी. वहीं अधिकारियों ने दिए गए निर्देश कर्मचारियों से तुरंत पहुंच सकेंगे. कई सालों से यह सिस्टम खराब पड़ा हुआ था.

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Published : Oct 2, 2019, 7:56 AM IST

अलवर. अवैध खनन के लिए अलवर देशभर में बदनाम हो चुका है. यहां आए दिन अवैध खनन की घटनाएं होती है. वन विभाग के कर्मचारियों पर हमला करने के मामले भी सामने आ चुके हैं. इन घटनाओं की सूचना समय रहते विभाग के अधिकारियों को नहीं मिल पाती थी. कई सालों से अलवर में वन विभाग का वायरलेस सिस्टम खराब पड़ा हुआ था.

अलवर के वन विभाग में वायरलेस सिस्टम शुरू

जिले में वन विभाग के करीब 14 नाके हैं, जरूरत के हिसाब से वन विभाग के अधिकारियों ने अलवर में वायरलेस सिस्टम शुरू कराया गया है. उसके लिए सभी वायरलेस सेट को ठीक कराया गया और उनमें जरूरी उपकरण डलवाए गए. विभाग के अधिकारियों की मानें तो जल्द ही यह सिस्टम काम करने लगेगा. इसका कंट्रोल रूम नयाबास के ऑफिस में बनाया गया है.

पढ़ें- अलवर: अध्यापक के तबादले के विरोध में स्कूल के बच्चों ने अर्धनग्न होकर निकाली रैली

प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में अलवर भौगोलिक दृष्टि से भिन्न है. जिले की एक सीमा उत्तर प्रदेश तो दूसरी सीमा हरियाणा राज्य से लगती है. अलवर में रामगढ़ भिवाड़ी, तिजारा टपूकड़ा सहित दर्जनों अवैध खनन के जगह बन चुके हैं. जहां पर खुलेआम अवैध खनन की शिकायत होती हैं. ऐसे में पूरे जिले पर अब बेहतर तरह से मॉनिटरिंग हो सकेगी. सालों से बंद पड़ा वायरलेस सिस्टम जल्द ही शुरू होने जा रहा है.

अलवर. अवैध खनन के लिए अलवर देशभर में बदनाम हो चुका है. यहां आए दिन अवैध खनन की घटनाएं होती है. वन विभाग के कर्मचारियों पर हमला करने के मामले भी सामने आ चुके हैं. इन घटनाओं की सूचना समय रहते विभाग के अधिकारियों को नहीं मिल पाती थी. कई सालों से अलवर में वन विभाग का वायरलेस सिस्टम खराब पड़ा हुआ था.

अलवर के वन विभाग में वायरलेस सिस्टम शुरू

जिले में वन विभाग के करीब 14 नाके हैं, जरूरत के हिसाब से वन विभाग के अधिकारियों ने अलवर में वायरलेस सिस्टम शुरू कराया गया है. उसके लिए सभी वायरलेस सेट को ठीक कराया गया और उनमें जरूरी उपकरण डलवाए गए. विभाग के अधिकारियों की मानें तो जल्द ही यह सिस्टम काम करने लगेगा. इसका कंट्रोल रूम नयाबास के ऑफिस में बनाया गया है.

पढ़ें- अलवर: अध्यापक के तबादले के विरोध में स्कूल के बच्चों ने अर्धनग्न होकर निकाली रैली

प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में अलवर भौगोलिक दृष्टि से भिन्न है. जिले की एक सीमा उत्तर प्रदेश तो दूसरी सीमा हरियाणा राज्य से लगती है. अलवर में रामगढ़ भिवाड़ी, तिजारा टपूकड़ा सहित दर्जनों अवैध खनन के जगह बन चुके हैं. जहां पर खुलेआम अवैध खनन की शिकायत होती हैं. ऐसे में पूरे जिले पर अब बेहतर तरह से मॉनिटरिंग हो सकेगी. सालों से बंद पड़ा वायरलेस सिस्टम जल्द ही शुरू होने जा रहा है.

Intro:अलवर।
अलवर के वन विभाग वायरलेस सिस्टम से लैस हो चुका है। अब पल-पल की जानकारी विभाग के अधिकारियों को मिल सकेगी। तो वहीं अधिकारियों द्वारा दिए गए निर्देश कर्मचारियों से तुरंत पहुंच सकेंगे। कई सालों से यह सिस्टम खराब पड़ा हुआ था।


Body:अवैध खनन के लिए अलवर देशभर में बदनाम हो चुका है। यहां आए दिन अवैध खनन की घटनाएं होती है। तो वही अवैध खनन करने वाले लोगों द्वारा वन विभाग के कर्मचारियों पर हमला करने के मामले सामने आते हैं। इन घटनाओं की सूचना समय रहते विभाग के अधिकारियों को नहीं मिल पाती थी। दर्जन कई सालों से अलवर में वन विभाग का वायरलेस सिस्टम खराब पड़ा हुआ था। जिले में वन विभाग के करीब 14 नाके हैं। जरूरत के हिसाब से वन विभाग के अधिकारियों ने अलवर में वायरलेस सिस्टम को शुरू कराया है। उसके लिए सभी वायरलेस सेट को ठीक कराया गया व उनमें जरूरी उपकरण डलवाए गए। विभाग के अधिकारियों की माने तो जल्द ही यह सिस्टम काम करने लगेगा। इसका कंट्रोल रूम नयाबास के ऑफिस में बनाया गया है।


Conclusion:अलवर जिला राजस्थान के अन्य जिलों की तुलना में भौगोलिक दृष्टि से अलग है। जिले की एक सीमा उत्तर प्रदेश तो दूसरी सीमा हरियाणा राज्य से लगती है। अलवर में रामगढ़ भिवाड़ी तिजारा टपूकड़ा सहित दर्जनों अवैध खनन के पॉइंट बन चुके हैं। जहां पर खुलेआम अवैध खनन की शिकायत होती हैं। इसके अलावा खनन माफिया जिले में बुलंद हो चुके हैं। आए दिन वन विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों पर हमला करते हैं। ऐसे में पूरे जिले पर अब बेहतर तरह से मॉनिटरिंग हो सकेगी। सालों से बंद पड़ा वायरलेस सिस्टम जल्द ही शुरू होने जा रहा है।
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