अलवर. केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन जारी है. संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को राष्ट्रव्यापी आह्वान पर किसान क्रांति दिवस के तहत मनाया. इस मौके पर विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने अलवर सांसद बालक नाथ के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की.
भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष नंदराम ओला सहित अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि तीन कृषि कानून 5 जून 2020 को लागू किए गए थे. नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले धरना दे रहे हैं. 26 मई को आंदोलन के 6 माह पूरे होने पर किसानों ने काला दिवस के रूप में मनाया था. 5 जून को तीनों कृषि कानूनों को लागू हुए 1 साल पूरा होने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने भाजपा के सभी सांसदों के कार्यालय पर जाकर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया और सांसदों के कार्यालय के बाहर तीनों कृषि कानूनों की प्रतिलिपियों को जलाया गया. इस दिवस को किसान क्रांति दिवस के रूप में मनाया गया.
![United Kisan Morcha, Alwar MP Balak Nath](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rj-alw-01-pradarsan-tarun_05062021155039_0506f_1622888439_600.jpg)
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उन्होंने कहा कि यह कानून किसान विरोधी हैं और सिर्फ इसमें खामियां ही खामियां हैं. इस देश में 62 फीसदी किसान होने के बावजूद किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है.और यह नए कानून उसका उदाहरण हैं. उन्होंने कहा एमएसपी को लागू करके ही किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा और किसानों को कर्ज से मुक्ति मिलेगी और किसान आत्महत्या की नहीं सोचेगा. इसलिए हम केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि इन तीनों कृषि कानूनों को तुरंत वापस लिया जाए नहीं तो यह किसान आंदोलन जारी रहेगा.