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सरिस्का में काटे जा रहे पेड़, वन्य जीवों के पर्यावास पर मंडरा रहा खतरा - ETV Bharat Rajasthan news

सरिस्का में शिकारियों के साथ ही अब वन्य जीवों पर पर्यावास का भी खतरा मंडरा रहा है. सरिस्का प्रशासन जंगल में सड़क के दोनों तरफ जूली फ्लोरा व अन्य झाड़ियों (Trees Being Cut in Sariska) को हटाने के नाम पर पेड़-पौधों को काटने में लगा है. ऐसे में जंगल में रह रहे जीव भी इससे प्रभावित हो रहे हैं.

Trees Being Cut in Sariska
Trees Being Cut in Sariska
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Published : Jan 5, 2023, 6:37 PM IST

अलवर. सरिस्का जंगल के लिए अपनी खास पहचान रखता है. लेकिन बीते कुछ समय से सरिस्का (Trees Being Cut in Sariska) की साख व पहचान को खत्म करने का काम चल रहा है. सरिस्का में टूरिज्म को बढ़ावा देने एवं जूली फ्लोरा (एक प्रकार का बबूल) हटाने के नाम पर सालों पुराने पेड़ काटे जा रहे हैं. ऐसे में जंगल पर खतरा मंडराने लगा है. इससे वन्यजीवों भी प्रभावित हो रहे हैं.

वन प्रेमी लोकेश खंडेलवाल ने बताया कि सड़क के दोनों ओर वन्यजीवों का (Sariska National Park in Alwar) पर्यावास होता है. इन पेड़ पौधों के पीछे ही वन्यजीव विचरण करते हैं. ऐसे में सड़क के दोनों ओर पेड़-पौधे हटाने से वन्य जीवों को खतरा हो सकता है. ये पर्यावरण के लिए भी खतरा है. चापरेन, जाल, झाड़ी, हिंगोट, धोक जैसे पेड़ पौधे सांभर, चीतल, खरगोश एवं जंगली सुअर का मुख्य भोजन हैं. इन पेड़-पौधों के नष्ट होने से वन्यजीवाें के भोजन पर संकट हो सकता है.

पढ़ें. सरिस्का पर फिर मंडराने लगा खतरा, कैमरे में कैद हुए शिकारी

सरिस्का में होती है सैकड़ों तरह की प्रजातियां : सरिस्का में धोक, बबूल कत्था ऑकेशिया कटेचू सहित सैकड़ों तरह की प्रजातियों के पेड़-पौधे होते हैं. सभी खासे उपयोगी होते हैं. इनकी मांग भी ज्यादा रहती है. सरिस्का में धोक व अकेसिया कटेचू के पेड़ बड़ी मात्रा में हैं. धोक की लकड़ी जलाने एवं अन्य कार्याें में उपयोगी होती है. जबकी ऑअकेसिया कटेचू, बबूल, कत्था की लकड़ी कत्था बनाने में काम आती है. इसलिए इन पेड़ों की डिमांड ज्यादा रहती है.

जंगली जानवरों को खतरा : हरे पेड़ कटने से जंगल क्षेत्र में रहने वाले (Wildlife in Sariska National Park) बाघ, पैंथर, चीतल, नीलगाय, हिरण, बारहसिंघा सहित सभी तरह के वन्यजीवों को खतरा बढ़ेगा. सरिस्का जंगल के बीच से अलवर जयपुर सड़क मार्ग गुजरता है. इसलिए आए दिन शिकार का खतरा रहता है व शिकार के मामले सामने आते हैं.

केवल जंगली पौधों को हटाने का चल रहा है काम : सरिस्का के डीएफओ डीपी जागावत ने बताया कि सरिस्का में केवल जंगली पौधों व झाड़ियों को हटाने का काम चल रहा है. इसके चलते जंगल में वन्यजीवों को परेशानी होती है. वन कर्मियों को पट्रोलिंग में भी खासी दिक्कतें आती हैं. इसलिए सरिस्का प्रशासन की तरफ से केवल विलायती बबूल सहित अन्य खराब झाड़ियों को हटाने का काम किया जा रहा है. इसके अलावा पुराने पेड़ों को नहीं छेड़ा गया है. अगर किसी ने पेड़ काटे हैं, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

अलवर. सरिस्का जंगल के लिए अपनी खास पहचान रखता है. लेकिन बीते कुछ समय से सरिस्का (Trees Being Cut in Sariska) की साख व पहचान को खत्म करने का काम चल रहा है. सरिस्का में टूरिज्म को बढ़ावा देने एवं जूली फ्लोरा (एक प्रकार का बबूल) हटाने के नाम पर सालों पुराने पेड़ काटे जा रहे हैं. ऐसे में जंगल पर खतरा मंडराने लगा है. इससे वन्यजीवों भी प्रभावित हो रहे हैं.

वन प्रेमी लोकेश खंडेलवाल ने बताया कि सड़क के दोनों ओर वन्यजीवों का (Sariska National Park in Alwar) पर्यावास होता है. इन पेड़ पौधों के पीछे ही वन्यजीव विचरण करते हैं. ऐसे में सड़क के दोनों ओर पेड़-पौधे हटाने से वन्य जीवों को खतरा हो सकता है. ये पर्यावरण के लिए भी खतरा है. चापरेन, जाल, झाड़ी, हिंगोट, धोक जैसे पेड़ पौधे सांभर, चीतल, खरगोश एवं जंगली सुअर का मुख्य भोजन हैं. इन पेड़-पौधों के नष्ट होने से वन्यजीवाें के भोजन पर संकट हो सकता है.

पढ़ें. सरिस्का पर फिर मंडराने लगा खतरा, कैमरे में कैद हुए शिकारी

सरिस्का में होती है सैकड़ों तरह की प्रजातियां : सरिस्का में धोक, बबूल कत्था ऑकेशिया कटेचू सहित सैकड़ों तरह की प्रजातियों के पेड़-पौधे होते हैं. सभी खासे उपयोगी होते हैं. इनकी मांग भी ज्यादा रहती है. सरिस्का में धोक व अकेसिया कटेचू के पेड़ बड़ी मात्रा में हैं. धोक की लकड़ी जलाने एवं अन्य कार्याें में उपयोगी होती है. जबकी ऑअकेसिया कटेचू, बबूल, कत्था की लकड़ी कत्था बनाने में काम आती है. इसलिए इन पेड़ों की डिमांड ज्यादा रहती है.

जंगली जानवरों को खतरा : हरे पेड़ कटने से जंगल क्षेत्र में रहने वाले (Wildlife in Sariska National Park) बाघ, पैंथर, चीतल, नीलगाय, हिरण, बारहसिंघा सहित सभी तरह के वन्यजीवों को खतरा बढ़ेगा. सरिस्का जंगल के बीच से अलवर जयपुर सड़क मार्ग गुजरता है. इसलिए आए दिन शिकार का खतरा रहता है व शिकार के मामले सामने आते हैं.

केवल जंगली पौधों को हटाने का चल रहा है काम : सरिस्का के डीएफओ डीपी जागावत ने बताया कि सरिस्का में केवल जंगली पौधों व झाड़ियों को हटाने का काम चल रहा है. इसके चलते जंगल में वन्यजीवों को परेशानी होती है. वन कर्मियों को पट्रोलिंग में भी खासी दिक्कतें आती हैं. इसलिए सरिस्का प्रशासन की तरफ से केवल विलायती बबूल सहित अन्य खराब झाड़ियों को हटाने का काम किया जा रहा है. इसके अलावा पुराने पेड़ों को नहीं छेड़ा गया है. अगर किसी ने पेड़ काटे हैं, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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