अलवर/जयपुर. राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया. इसके बाद शाहजहांपुर राजस्थान-हरियाणा सीमा पर धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि अभी कानून वापस नहीं हुए हैं. कानून जब निरस्त हो जाएंगे तभी हम उठेंगे. उनका कहना है कि आज सिर्फ जश्न मनाया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जो रणनीति तय की जाएगी उसके बाद हाईवे खाली किया जाएगा.
अभी बॉर्डर पर ही रहेंगे
किसानों का कहना है कि अभी हम लोग बॉर्डर पर ही रहेंगे. आज सिर्फ शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानों की ओर से जश्न मनाया जाएगा. वहीं, राजस्थान के किसान नेताओं ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा का स्वागत तो किया लेकिन उन्होंने कहा कि भाषण या ट्वीट से कुछ नहीं होगा लिखित में आदेश जारी करें.
किसान नेताओं ने कहा कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की मुश्किलों, चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है. हमने छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी सरकार की तरफ से हर संभव कदम उठाएं हैं. लेकिन पीएम मोदी के घोषणा के बाद भी राजस्थान सहित देश भर की किसान जो आंदोलन कर रहे हैं उन्होंने लिखित में आदेश की मांग की है.
लिखित में आदेश जारी करें
राजस्थान किसान सभा सेक्रेट्री निशा सिद्धू ने कहा कि तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान स्वागत योग्य है. लेकिन मेरा मानना है कि सिर्फ ट्वीट और भाषण से कुछ नहीं होगा, लिखित में आदेश जारी करें और संसद में सदन बुलाकर कानून वापस लिए जाएं. निशा सिद्धू ने कहा कि कल ऐसा नहीं हो यह कह दिया जाए कि जो घोषणा की थी वह एक जुमला था. इसलिए जरूरी है कि सरकार की ओर से की गई घोषणा का लिखित में आदेश जारी किया जाए.
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यह लाखों किसानों की जीत
सीटू के प्रदेश सचिव भंवर सिंह शेखावत ने कहा कि आज जो प्रधानमंत्री की ओर से घोषणा की गई है वह उन हजारों लाखों किसानों की जीत है जो इससे कानून के खिलाफ 1 साल से संघर्ष कर रहे थे. यह उन 800 किसानों की शहादत की जीत है, जिन्होंने इस आंदोलन का विरोध करते हुए अपनी जान गंवाई. उन्होंने कहा कि देर से ही सही लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने यह कानून वापस लेने का फैसला किया, हम इसका स्वागत करते हैं.
कानून वापस लेने का निर्णय विवाद टालने के लिए ही ठीक: तुलछाराम
राष्ट्रीय स्वयं सेवक के आनुषंगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने सरकार के इस निर्णय पर अलग प्रक्रिया दी है. संघ के जोधपुर प्रांत के प्रचार प्रमुख तुलछाराम ने कहा है कि तीनों कृषि काूननों को वापस लेने का सरकार का निर्णय अनावश्यक विवाद टालने के संदर्भ में ठीक है. लेकिन यह निर्णय तथाकथित किसानों के हठधर्मिता के कारण किसानों का दीर्घकालिक नुकसान करने वाला ही है. सरकार को इन कानूनों की वापसी के बजाय इनमें आवश्यक सुधार करने से किसानों को खासकर छोटे और मंझौले किसानों को अधिक लाभ होता.
मंत्री टीकाराम जूली ने की पीएम मोदी से मांग
श्रम मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि सरकार को पहले ही किसानों की बात मान लेनी चाहिए थी. अब प्रधानमंत्री मोदी को किसानों से माफी मांगते हुए किसानों पर लगे सभी मुकदमे वापस लेने चाहिए. इसके अलावा अब तक जो किसान शहीद हुए हैं, उनके परिजनों को मुआवजा देना चाहिए. मृतक के परिजनों को सरकारी नौकरी देनी चाहिए.
पीएम मोदी ने कर दी एक और जुमलेबाजी: राजस्थान किसान यूनियन
राजस्थान किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष कृष्णकांत सहारण ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्रीय कृषि कानून वापस लिए जाने के एलान का तो स्वागत किया, लेकिन साथ यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में एक और जुमलेबाजी कर दी. वह एमएसपी पर कानून बनाने के लिए कमेटी के गठन की जुमलेबाजी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को माफी मांगनी चाहिए: भरत सिंह
सांगोद सीट से विधायक भरत सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि गुरु नानक जयंती, झांसी की रानी और इंदिरा गांधी का भी जन्मदिन है और इस शुभ दिन पर परमात्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सद्बुद्धि दी है. देश का हर नागरिक यहां तक कि मंदबुद्धि व्यक्ति भी बोलेगा कि यह चुनावी मुद्दा ही है.
शहीद हुए अन्नदाता हो के परिजनों के लिए पीएम मोदी को घोषणा करना चाहिए: बेनीवाल
हनुमान बेनीवाल ने ट्वीट कर इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी. बेनीवाल ने लिखा कि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों के भंवर जाल में फंस कर किसानों के हितों पर कुठाराघात करने वाले बिल लेकर आए और उसके बाद दिल्ली की सरहद पर अन्नदाता आंदोलित हुए और पूरे देश की भावना, किसानों के पक्ष में दर्द और लंबे संघर्ष के बाद किसानों की मांग पूरी की गई है. हनुमान बेनीवाल ने यह भी लिखा कि मैंने स्वयं ने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण और बजट भाषण का पुरजोर विरोध करके सरकार का ध्यान किसान आंदोलन की तरफ आकर्षित किया था. बेनीवाल ने मांग की कि किसानों के बलिदान और किसानों के संघर्ष की जीत हुई है, ऐसे में प्रधानमंत्री जी को किसान आंदोलन में शहीद हुए अन्नदाता हो के परिजनों के लिए भी कुछ घोषणा करना चाहिए.
कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर किसानों ने पटाखे फोड़े, मिठाईयां बांटी
जोधपुर के रातानाडा में किसानों ने खुशी जताते हुए पटाखे फोड़े और मिठाई गुड़ बांटकर इस फैसले का स्वागत किया. किसानों ने कहा कि एक साल से सभी किसान अपने-अपने प्रयास से आंदोलन को सफल बनाने में लगे थे. प्रधानमंत्री ने आखिरकार कानून वापस लेने का सही निर्णय लिया, जो स्वागत योग्य है. चूरू में भी किसानों ने आतिशबाजी कर मिठाई खिला किया तीनो कृषि कानूनों को वापस लेने की खुशी का इजहार किया है. वहीं जिला कलेक्ट्रेट पर आतिशबाजी की.
जयपुर में कांग्रेस का श्रद्धांजलि कार्यक्रम
जयपुर में कृषि कानून वापस लेने पर जयपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी ने अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया. कांग्रेस ने इसे पिछले 1 साल में आंदोलन कर रहे किसानों के धैर्य और उनके बलिदान की जीत बताई है. अमर जवान ज्योति पर आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस नेताओं ने मोमबत्ती जलाकर जान गंवाने वाले किसानों को याद किया.