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अलवर में नवरात्रि पर मंदिरों में लगी भक्तों की कतार, डांडिया और गरबा महोत्सव की भी धूम

अलवर में नवरात्रि पर मंदिरों में भारी भीड़ देखने को मिल रही है. जहां लोग नवरात्रि पर विशेष पूजा-अर्चना करते नजर आ रहे हैं. वहीं शहर में जगह- जगह गरबे और डांडिया के पंडाल सजे हैं. जिसमें लोग झूमते नजर आ रहे हैं.

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Published : Oct 5, 2019, 4:00 PM IST

अलवर. जिले के मंदिरों में इन दिनों नवरात्रि की धूम मची हुई है. मनसा माता, करणी माता मंदिर, चामुंडा माता और बस स्टैंड वाली माता के मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है. सुबह से मंदिर में लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो रात तक जारी रहता है.

बता दें कि अलवर में घर-घर में माता की घट स्थापना की गई है. लोग व्रत रख रहे हैं. मंदिरों में माता की विशेष पूजा-अर्चना हो रही है. अलवर में माता के कई नामी मंदिर है. जिनमें लोग दूर-दूर से माता के दर्शनों के लिए आते हैं. करणी माता मंदिर बाला किला क्षेत्र में स्थित है. यह मंदिर शहर से 6 किलोमीटर दूर है. वहीं, अरावली की श्रृंखलाओं से घिरे हुए इस मंदिर की स्थापना राजा महाराजाओं द्वारा की गई थी. जो मनसा माता मंदिर सिटी पैलेस के पास है.

अलवर में नवरात्रि पर मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़

यह भी पढे़ं. अलवरः उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बानसूर हॉस्पिटल का किया उद्घाटन

कहा जाता है कि अलवर के महाराजा को सपनों में माता के दर्शन हुए थे. उसके बाद महाराज ने सिटी पैलेस के पास पहाड़ को खुदवाया जहां माता की मूर्ति मिली. उस मूर्ति को उसी जगह पर स्थापित किया गया. उसको नाम मनसा माता दिया गया. शहर में चामुंडा माता मंदिर और बस स्टैंड पर बस स्टैंड वाली माता का मंदिर है. यह सभी मंदिर अपने आप में राजस्थान में देश में अपनी अलग पहचान रखते हैं. इनके अलावा बहरोड़, भिवाड़ी, राजगढ़, रामगढ़ और थानागाजी सहित जिले के विभिन्न हिस्सों में माता के अलग-अलग रूपों के मंदिर हैं. जहां नवरात्रों के समय विशेष पूजा-अर्चना होती है.

अलवर में डांडिया और गरबा नृत्य की धूम

यह भी पढे़ं. अलवर: राजगढ़ के राजकीय बालिका सीनियर सेकेंडरी स्कूल में छात्राओं को दी गई आत्मरक्षा की ट्रेनिंग

इन मंदिरों में दूर-दूर से लोग माता के दर्शन के लिए आते हैं. वहीं सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन मंदिर में विशेष भीड़ रहती है. लोग भंडारे करते हैं. खाद्य सामग्री बांटी जाती है. साथ ही जिले में नवरात्रों के साथ डांडिया और गरबा की धूम भी नजर आ रही है. प्रतिदिन कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. इनमें बड़ी संख्या में युवा थिरकते हुए नजर आ रहे हैं.

डांस करने वाले युवक-युवती गुजराती पोशाक पहने डांडिया का लुत्फ उठाते नजर आ रहे हैं. शहर के अलावा भी जिले की विभिन्न हिस्सों में कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. सामाजिक संस्थाओं द्वारा आयोजित इन कार्यक्रमों में हजारों की संख्या में युवा, महिलाएं और पुरुष डांडिया खेलते हुए और डांस करते हुए नजर आ रहे हैं. इन कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में वीआईपी लोग और फिल्मी स्टार भी पहुंच रहे हैं. डांडिया और गरबा के कार्यक्रम में कई तरह की प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जा रहा है.

अलवर. जिले के मंदिरों में इन दिनों नवरात्रि की धूम मची हुई है. मनसा माता, करणी माता मंदिर, चामुंडा माता और बस स्टैंड वाली माता के मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है. सुबह से मंदिर में लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो रात तक जारी रहता है.

बता दें कि अलवर में घर-घर में माता की घट स्थापना की गई है. लोग व्रत रख रहे हैं. मंदिरों में माता की विशेष पूजा-अर्चना हो रही है. अलवर में माता के कई नामी मंदिर है. जिनमें लोग दूर-दूर से माता के दर्शनों के लिए आते हैं. करणी माता मंदिर बाला किला क्षेत्र में स्थित है. यह मंदिर शहर से 6 किलोमीटर दूर है. वहीं, अरावली की श्रृंखलाओं से घिरे हुए इस मंदिर की स्थापना राजा महाराजाओं द्वारा की गई थी. जो मनसा माता मंदिर सिटी पैलेस के पास है.

अलवर में नवरात्रि पर मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़

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कहा जाता है कि अलवर के महाराजा को सपनों में माता के दर्शन हुए थे. उसके बाद महाराज ने सिटी पैलेस के पास पहाड़ को खुदवाया जहां माता की मूर्ति मिली. उस मूर्ति को उसी जगह पर स्थापित किया गया. उसको नाम मनसा माता दिया गया. शहर में चामुंडा माता मंदिर और बस स्टैंड पर बस स्टैंड वाली माता का मंदिर है. यह सभी मंदिर अपने आप में राजस्थान में देश में अपनी अलग पहचान रखते हैं. इनके अलावा बहरोड़, भिवाड़ी, राजगढ़, रामगढ़ और थानागाजी सहित जिले के विभिन्न हिस्सों में माता के अलग-अलग रूपों के मंदिर हैं. जहां नवरात्रों के समय विशेष पूजा-अर्चना होती है.

अलवर में डांडिया और गरबा नृत्य की धूम

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इन मंदिरों में दूर-दूर से लोग माता के दर्शन के लिए आते हैं. वहीं सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन मंदिर में विशेष भीड़ रहती है. लोग भंडारे करते हैं. खाद्य सामग्री बांटी जाती है. साथ ही जिले में नवरात्रों के साथ डांडिया और गरबा की धूम भी नजर आ रही है. प्रतिदिन कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. इनमें बड़ी संख्या में युवा थिरकते हुए नजर आ रहे हैं.

डांस करने वाले युवक-युवती गुजराती पोशाक पहने डांडिया का लुत्फ उठाते नजर आ रहे हैं. शहर के अलावा भी जिले की विभिन्न हिस्सों में कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. सामाजिक संस्थाओं द्वारा आयोजित इन कार्यक्रमों में हजारों की संख्या में युवा, महिलाएं और पुरुष डांडिया खेलते हुए और डांस करते हुए नजर आ रहे हैं. इन कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में वीआईपी लोग और फिल्मी स्टार भी पहुंच रहे हैं. डांडिया और गरबा के कार्यक्रम में कई तरह की प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जा रहा है.

Intro:अलवर।
अलवर के मंदिरों में इन दिनों नवरात्रों की धूम मची हुई है। मनसा माता, करणी माता मंदिर, चामुंडा माता व बस स्टैंड वाली माता के मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है। सुबह से मंदिर में लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। जो रात तक जारी रहता है।


Body:नवरात्रों में माता के नौ रूपों की पूजा होती है अलवर में घर घर में माता की घट स्थापना की गई है। लोग व्रत रख रहे हैं व माता की विशेष पूजा-अर्चना हो रही है। 9 दिन तक माता के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। अलवर में माता के कई नामी मंदिर है। जिनमें लोग दूर-दूर से माता के दर्शनों के लिए आते हैं। करणी माता मंदिर बाला किला क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर शहर से 6 किलोमीटर दूर है। तो वही अरावली की श्रृंखलाओं से गिरे हुए इस मंदिर की स्थापना राजा महाराजाओं द्वारा की गई थी। मनसा माता मंदिर सिटी पैलेस के पास है। अलवर के महाराजा को सपनों में माता के दर्शन हुए थे। उसके बाद महाराज ने सिटी पैलेस के पास पहाड़ को खुद वाया जहां माता की मूर्ति मिली। उस मूर्ति को उसी जगह पर स्थापित किया गया। उसको नाम मनसा माता दिया गया। शहर में चामुंडा माता मंदिर व बस स्टैंड पर बस स्टैंड वाली माता का मंदिर है। यह सभी मंदिर अपने आप में राजस्थान में देश में अपनी अलग पहचान रखते हैं।


Conclusion:इनके अलावा बहरोड भिवाड़ी राजगढ़ रामगढ़ थानागाजी सहित जिले के विभिन्न हिस्सों में माता के अलग-अलग रूपों के मंदिर हैं। जहां नवरात्रों के समय विशेष पूजा-अर्चना होती है। इन मंदिरों में दूर-दूर से लोग माता के दर्शन के लिए आते हैं। सुबह से ही श्रद्धालुओं का आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। तो वही सप्तमी अष्टमी और नवमी के दिन मंदिर में विशेष भीड़ रहती है। लोग भंडारे करते हैं वह खाद्य सामग्री बाटी जाती है।
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