अलवर. सरिस्का बाघ परियोजना (Sariska Tiger Reserve Park) में 14 साल के दौरान जितने लोगों का विस्थापन हुआ है. उससे कहीं ज्यादा डेढ़ साल के दौरान लोगों का विस्थापन हुआ है. गांव का विस्थापन होने से जंगली जीवों को राहत मिलेगी. लेकिन विस्थापन प्रक्रिया धीमी होने के कारण खासा समय लग रहा है. जंगल के राजा बाघ दूसरे ठिकाने की तलाश में बाहर घूम रहे हैं. अभी तक कोर एरिया में बसे 10 में से 6 गांव ही पूरी तरह खाली हो सके हैं.
सरिस्का 1632 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैला है. यहां 29 गांव बसे हैं. बाघ एवं अन्य वन्यजीवों की बढ़ती संख्या के चलते गांवों का विस्थापन जरूरी है. सरिस्का के कोर एरिया में बसे 10 में से अभी 6 गांवों का पूरी तरह विस्थापन हो चुका है. सरिस्का प्रशासन की मानें तो 14 साल के दौरान जितने गांव में लोगों का विस्थापन हुआ. उससे कहीं ज्यादा लोगों का विस्थापन डेढ़ साल के दौरान हुआ। लगातार विस्थापन प्रक्रिया चल रही है.
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प्रशासन ने उपलब्ध कराई 862 हेक्टेयर जमीनः अलवर प्रशासन व सरकार की तरफ से सरिस्का से विस्थापित होने वाले गांव में लोगों के लिए 862 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध कराई है. इस जमीन पर बिजली की लाइन, सड़क, पानी व अन्य इंतजाम सरिस्का व जिला प्रशासन की तरफ से लोगों को उपलब्ध कराए जाएंगे.
सबसे बड़ी चिंता बाघों कीः सरिस्का में गांवों का पूरी तरह विस्थापन नहीं हो पाने का सीधा असर बाघों पर पड़ा है. सरिस्का में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है. वहीं शावक भी अब बड़े होकर अपनी नई टैरिटरी की तलाश में हैं, गांवों के बसे होने के कारण बाघों को कोर एरिया में नई टैरिटरी ढूंढने में परेशानी हो रही है. जिससे कई नए बाघ आसपास के अन्य वन क्षेत्र में स्थायी वास के लिए पहुंच रहे हैं. वर्तमान में सरिस्का में बाघों का कुनबा 27 तक पहुंच गया है, इनमें एक बाघ एसटी-13 अभी गायब है.
चार साल में 13 नए शावक मिलेः गांवों के बसे होने से सबसे ज्यादा समस्या नए बाघों को हो रही है. पिछले चार साल में सरिस्का में 13 नए शावकों ने जन्म लिया है. इनमें वर्ष 2019 से 21 के बीच ही 9 शावकों ने जन्म लिया. इनमें से ज्यादातर शावक बड़े होकर अपनी मां से अलग हो चुके हैं और नई टैरिटरी की तलाश में जुटे हैं. गांवों का विस्थापन नहीं हो पाने की समस्या भी नए बाघों को ही झेलनी पड़ रही है.