अलवर. अलवर जिले में इस बार तीज पर्व की रौनक फीकी नजर आई. हर साल तीज के मौके पर तीज माता की सवारी जिले में निकलती थी. लेकिन बार कोरोना संक्रमण के चलते तीज माता की सवारी नहीं निकाली गई. स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा पिछले 200 सालों में पहली बार हुआ है जब माता की सवाई नहीं निकाली गई.
श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज पर्व मनाया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते तीज की चमक फीकी नजर आई. राजस्थान में तीज पर्व खास महत्व रखता है. इस मौके पर महिलाएं लहरिया पहनकर पार्वती के रूप में तीज माता की पूजा करती हैं. तीज के अवसर पर घरों में पकवान बनते हैं, तो वहीं तीज के मौके पर घेवर खाने की परंपरा है.
इस साल कोरोना के चलते अलवर के सिटी पैलेस से निकलने वाली तीज माता की सवारी नहीं निकली. पूर्व राज परिवार की ओर से अलवर में 200 सालों से लगातार तीज माता की सवारी निकाली जा रही है. बैंड-बाजों के साथ सागर जलाशय व उसके आसपास क्षेत्र में तीज माता की सवारी निकाली जाती है. इसमें शहर के हजारों लोग हिस्सा लेते हैं. लेकिन इस बार फूल बाग पैलेस में तीज माता की पूजा करके सवारी निकाली गई. तीज के मौके पर लगने वाला मेला भी इस बार नहीं लगा.
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यह पर्व महिलाओं का होता है. महिलाओं ने मेहंदी लगाकर श्रृंगार किया. नवविवाहिताओं के ससुराल से सिंजारा पहुंचा. सिंजारे में लहरिया की साड़ी घेवर फेनी सुहाग सामग्री सहित अन्य सामान होते हैं. घेवर की दुकानों पर लोगों की खासी भीड़ नजर आज के दिन नजर आती है. तीज के मौके पर महिलाएं झूला झूलती है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते सभी झूले खाली नजर आए, तो वहीं तीज के मौके पर होने वाले महोत्सव भी नहीं हुए.