अलवर. सरकारी कॉलेजों में हजारों बच्चे पढ़ते हैं. वहीं अलवर शहर में 15 हजार के आसपास बच्चे सरकारी कॉलेजों में पढ़ते हैं. इनमें ज्यादातर बच्चे ग्रामीण परिवेश के हैं. दूर-दराज से पढ़ाई के लिए अलवर आने वाले छात्रों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है. लेकिन उसके बाद भी अलवर के सरकारी कॉलेजों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. छात्रों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिलता नहीं ग्राउंड व खेलने की व्यवस्था है. कॉलेज में बैठने तक के पर्याप्त इंतजाम नहीं है. कॉलेजों में पर्याप्त प्रोफेसर होने के बाद भी कक्षाएं नहीं लगती हैं. साल भर पढ़ाई के लिए छात्रों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है.
जबकि प्रोफेसरों को लाखों रुपए वेतन मिलता है. एक प्रोफेसर को अनुमानित डेढ़ से दो लाख रुपए का वेतन मिलता है. उसके बाद भी यह लोग कक्षाओं में नहीं जाते हैं. इससे छात्रों को पढ़ाई करने में खासी दिक्कत होती हैं. छात्र संघ चुनाव में खड़े हुए प्रत्याशियों का साफ तौर पर कहना है कि अगर वो जीते हैं, तो सबसे पहले कॉलेजों में पढ़ाई किए व्यवस्थाएं बेहतर करने के प्रयास किए जाएंगे. क्योंकि सरकारी कॉलेजों में पढ़ाई पूरी तरह से बंद हो चुकी है.
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वहीं जातर चुनाव मैदान में खड़े हुए सभी प्रत्याशियों के कार्यों में कॉलेजों में नियमित कक्षाएं लगाना, पानी की व्यवस्था लाइब्रेरी का सुचारू रूप से संचालन करवाना, कॉलेजों में एनएसएस और एनसीसी की सीटे बड़वाना, महिला सुरक्षा के लिए पुलिस चौकी की व्यवस्था करना सहित कई विभिन्न मुद्दे हैं. जिन को लेकर छात्र चुनाव मैदान में दोपहर 1 बजे तक मतदान के बाद पेटियों को जमा कर दिया जाएगा.