ETV Bharat / state

सरिस्का के जंगल में 45 डिग्री पारा के बीच धूनी रमाए बैठे सोमबार महाराज, समाज कल्याण के लिए कर रहे तप...सोशल मीडिया पर चर्चा तेज

अलवर की तपोभूमि पर 45 डिग्री तापमान के बीच एक साधु धूनी रमाए बैठा है. सरिस्का के जंगल में धूनी रमाए बैठे सोमबार महाराज समाज कल्याण के लिए चिलचिलाती धूप में तप कर रहे हैं. सोमबार महाराज की चर्चा इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल (Sombar Maharaj Yagya video goes viral) हो रही है.

Sombar Maharaj doing Yagya in sariska forest
धूनी रमाए बैठे सोमबार महाराज
author img

By

Published : Apr 25, 2022, 9:52 PM IST

अलवर. अलवर को तपोभूमि भी कहा जाता है. उज्जैन के महाराज भर्तहरि ने अलवर में तपस्या की और फिर यहीं समाधि ले ली. सरिस्का के जंगल में सैकड़ों साधु-महात्मा तपस्या करते हैं. पांडवों ने भी यहीं पर अपना अज्ञातवास काटा और हनुमान जी ने भी इसी धरा पर भीम का घमंड तोड़ा था. वर्षों से अलवर की पहचान तपोभूमि के रूप में की जाती है. इसी तपोभूमि पर इन दिनों एक साधु 45 डिग्री तापमान में जलती अग्नि के बीच साधना (Sombar Maharaj Yagya in 45 degree tempreture) कर रहे हैं. यह पूरा मामला सोशल मीडिया पर भी इन दिनों चर्चा (Sombar Maharaj Yagya video goes viral) में बना हुआ है.

साधु-संतों की दुनिया अद्भुत होती है. इनकी साधना न गर्मी देखती है और न ठंड. इन दिनों भीषण गर्मी में जहां आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चला है वहीं जिले के लोक देवता भर्तृहरी धार्मिक स्थल पर सोमबार महाराज की ओर से पंच धूनी नौतपा यज्ञ किया जा रहा है. आसमान से आग बरसाती गर्मी के बीच पंच धूनी अग्नि का घेरा बनाकर बीच में बैठकर तप कर रहे हैं ताकि देश में सुख समृद्धि शांति बनी रहे.

धूनी रमाए बैठे सोमबार महाराज

पढ़ें. भीलवाड़ा : विधायक ने परिवार संग किया यज्ञ, कोरोना मुक्ति के लिए भगवान राम से की प्राथना

समाज में फैल रहीं कई प्रकार की बीमारियों से लोगों को छुटकारा मिल सके. महाराज ने सवा महीने से भीषण गर्मी में बैठकर चारों ओर उपले जला रखे हैं जिसमें रोजाना एक-एक उपले बढ़ाते रहते हैं. जिस दिन यह उपले 50 हो जाएंगे यज्ञ संपन्न हो जाएगा. 25 मार्च से शुरू हुई तपस्या का 4 मई को यज्ञ के साथ समापन होगा. विधिवत रूप से पूजा-अर्चना कर प्रसाद वितरित किया जाएगा. तपस्वी ने बताया कि वह 13 साल से भर्तृहरी धाम में रह रहे हैं और पहली बार पंच धूणी तपस्या कर रहे हैं. प्रतिदिन सुबह 11 से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक तपस्या करते हैं.

अलवर सहित आसपास क्षेत्र में ये साधु चर्चा में बने हुए हैं. लगातार उनकी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. सनातन धर्म में वैसे तो हजारों साल पहले से यज्ञ-तपस्या की जाती रही है, लेकिन 22वीं सदी में जहां लोग दिखावे की जिंदगी जी रहे हैं, ऐसे में समाज व देश के कल्याण की कामना से ये साधु साधना कर रहे हैं. दूर-दूर से लोग तपस्वी साधु के दर्शन के लिए आ रहे हैं. हालांकि तपस्या के दौरान वह किसी से नहीं मिलते हैं.

अलवर. अलवर को तपोभूमि भी कहा जाता है. उज्जैन के महाराज भर्तहरि ने अलवर में तपस्या की और फिर यहीं समाधि ले ली. सरिस्का के जंगल में सैकड़ों साधु-महात्मा तपस्या करते हैं. पांडवों ने भी यहीं पर अपना अज्ञातवास काटा और हनुमान जी ने भी इसी धरा पर भीम का घमंड तोड़ा था. वर्षों से अलवर की पहचान तपोभूमि के रूप में की जाती है. इसी तपोभूमि पर इन दिनों एक साधु 45 डिग्री तापमान में जलती अग्नि के बीच साधना (Sombar Maharaj Yagya in 45 degree tempreture) कर रहे हैं. यह पूरा मामला सोशल मीडिया पर भी इन दिनों चर्चा (Sombar Maharaj Yagya video goes viral) में बना हुआ है.

साधु-संतों की दुनिया अद्भुत होती है. इनकी साधना न गर्मी देखती है और न ठंड. इन दिनों भीषण गर्मी में जहां आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चला है वहीं जिले के लोक देवता भर्तृहरी धार्मिक स्थल पर सोमबार महाराज की ओर से पंच धूनी नौतपा यज्ञ किया जा रहा है. आसमान से आग बरसाती गर्मी के बीच पंच धूनी अग्नि का घेरा बनाकर बीच में बैठकर तप कर रहे हैं ताकि देश में सुख समृद्धि शांति बनी रहे.

धूनी रमाए बैठे सोमबार महाराज

पढ़ें. भीलवाड़ा : विधायक ने परिवार संग किया यज्ञ, कोरोना मुक्ति के लिए भगवान राम से की प्राथना

समाज में फैल रहीं कई प्रकार की बीमारियों से लोगों को छुटकारा मिल सके. महाराज ने सवा महीने से भीषण गर्मी में बैठकर चारों ओर उपले जला रखे हैं जिसमें रोजाना एक-एक उपले बढ़ाते रहते हैं. जिस दिन यह उपले 50 हो जाएंगे यज्ञ संपन्न हो जाएगा. 25 मार्च से शुरू हुई तपस्या का 4 मई को यज्ञ के साथ समापन होगा. विधिवत रूप से पूजा-अर्चना कर प्रसाद वितरित किया जाएगा. तपस्वी ने बताया कि वह 13 साल से भर्तृहरी धाम में रह रहे हैं और पहली बार पंच धूणी तपस्या कर रहे हैं. प्रतिदिन सुबह 11 से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक तपस्या करते हैं.

अलवर सहित आसपास क्षेत्र में ये साधु चर्चा में बने हुए हैं. लगातार उनकी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. सनातन धर्म में वैसे तो हजारों साल पहले से यज्ञ-तपस्या की जाती रही है, लेकिन 22वीं सदी में जहां लोग दिखावे की जिंदगी जी रहे हैं, ऐसे में समाज व देश के कल्याण की कामना से ये साधु साधना कर रहे हैं. दूर-दूर से लोग तपस्वी साधु के दर्शन के लिए आ रहे हैं. हालांकि तपस्या के दौरान वह किसी से नहीं मिलते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.