अलवर. सरिस्का में बाघों की संख्या बढ़ने से यहां पर्यटकों को प्रतिदिन बाघों की साइटिंग हो रही है. यही वजह है कि सरिस्का में लगातार पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है. जिसका सीधा फायदा सरिस्का टाइगर रिजर्व को मिला है. सरिस्का अच्छी परफॉर्मेंस वाले टाइगर रिजर्व में शुमार होने के साथ ही अब गुड कैटेगरी में शामिल हो गया है. हालांकि, देश भर में सरिस्का को 43वीं रैंक मिली है. सरिस्का में वर्ष 2018 में करीब 8 और 21-22 में 5 से ज्यादा शावकों के जन्म हुए. वहीं, तीन बाघों को सरिस्का में रणथंभौर से शिफ्ट किया गया. जिसके बाद यहां अब बाघों की संख्या 28 हो गई है. जिसका अब फायदा सरिस्का को मिलने लगा है.
गुड कैटेगरी में शामिल हुआ सरिस्का - सरिस्का के अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से जारी प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन रिपोर्ट में सरिस्का टाइगर रिजर्व को 64 प्रतिशत अंक मिले हैं. उसके बाद सरिस्का गुड श्रेणी में शामिल हो गया है. जबकि वर्ष 2018 की रिपोर्ट में 58.59 फीसदी अंक मिले थे व सरिस्का को फेयर श्रेणी में रखा गया था. अंकों बढ़ने का बड़ा कारण सरिस्का में बाघों के कुनबे में तेजी से बढ़ोतरी होना है.
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सरिस्का को 43वां स्थान - देश के कुल 51 टाइगर रिजर्व में सरिस्का टाइगर रिजर्व को इस बार की रिपोर्ट में 43वीं रैंक मिली है. हालांकि, चार वर्ष पूर्व जारी रिपोर्ट में सरिस्का की रेंक 41वीं रही थी. इस लिहाज से सरिस्का की रेंक दो पायदान फिसली है. पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2022-23 की रिपोर्ट जारी की थी. पहले की तुलना में सरिस्का में वन्यजीवों और पर्यटकों के लिए आवश्यक काम हुए हैं. बाघों की बढ़ती साइटिंग व अन्य सुविधाओं के आधार पर सरिस्का को मिलने वाले नंबरों में बढ़ोतरी हुई है.
जानें किस आधार पर जारी होती है रैंकिंग - राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से टाइगर रिजर्व की हर साल में जारी होने वाली रिपोर्ट में सुरक्षा, वन्यजीवों की सुरक्षा, टाइगर रिजर्व के प्रबन्धन सहित कई बिंदुओं के आधार पर नंबर जारी किए जाते हैं. वर्ष 2022-23 की रिपोर्ट में प्रदेश का टाइगर रिजर्व सरिस्का 43 वें, रणथंभौर 34 वें तथा मुकुंदरा टाइगर रिजर्व 46 वें स्थान पर आया है. सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि वर्ष 2018 में बाघिन एसटी-5 के गुम होने और बाद में शिकार की बात सामने आने आई. उसके बाद वर्ष 2022 में बाघ एसटी-13 के गुम होने सहित पैंथर व अन्य वन्यजीवों के शिकार की घटनाओं के चलते सरिस्का को नुकसान झेलना पड़ा.