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सर्दी में बढ़ी शिकार की संभावना, रोकथाम को सरिस्का प्रबंधन ने बनाई ये खास रणनीति - ETV bharat Rajasthan

सर्दी में शिकारियों से सरिस्का के वन्यजीवों को (Chances of hunting increased in winter) बचाने के लिए अब खास प्लान तैयार किया गया है. जिसके तहत काम चल रहा है. साथ ही जंगल क्षेत्र में बसे गांव के लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है.

prevent possibility of increased hunting
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Published : Nov 15, 2022, 2:15 PM IST

अलवर. सरिस्का का जंगल हमेशा से ही शिकारियों के निशाने पर रहा है. आए दिन यहां शिकार के मामले आते रहे हैं. सर्दी के दौरान कोहरे और ठंड का फायदा उठाकर रात के समय शिकारी (Sariska management made strategy) जंगल में शिकार की घटनाओं को अंजाम देते हैं. ऐसे में सरिस्का प्रशासन की ओर से शिकार को रोकने के लिए रात के समय गश्त बढ़ा दी गई है. साथ ही जंगल में प्रवेश के सभी अवैध रास्तों को बंद करते हुए जिन क्षेत्रों से शिकार के मामले सामने आते हैं, उन जगहों को चिन्हित करने का काम भी किया गया है.

करीब 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला सरिस्का का जंगल घना व खूबसूरत है. जंगल के बीचों बीच अलवर-जयपुर सड़क मार्ग गुजरता है. लिहाजा यहां लोगों की आवाजाही बनी (Sariska gets more cameras) रहती है. साथ ही जंगल क्षेत्रों में अभी भी गांव बसे हुए हैं. यही कारण है कि गांव के लोग रोजमर्रा की चीजों के लिए शहर की ओर जाते हैं. ऐसे में जंगल के घने क्षेत्र में भी लोगों की आवाजाही बनी रहती है. जिसका सीधा असर वन्यजीवों पर पड़ता है. साथ ही यहां शिकार का खतरा भी बना रहता है.

सर्दी में बढ़ी शिकार की संभावना

इसे भी पढ़ें - सरिस्का में बाघ बाघिन को देख विदेशी पर्यटक गदगद, देखिए वीडियो

सरिस्का का जंगल शिकारियों के लिए हमेशा से ही आसान व पसंदीदा जगह रहा है. 2005 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया था. इसके अलावा आए दिन नीलगाय, जंगली सूअर, तीतर, हिरण और बारहसिंघा के शिकार के मामले भी सामने आते रहे हैं. सर्दी के मौसम में रात के समय कोहरे का फायदा उठाकर अक्सर शिकारी जंगल में शिकार करने की कोशिश करते रहते हैं. ऐसे में सरिस्का प्रशासन की तरफ से शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए रात के समय गश्त की व्यवस्था में बदलाव किए गए हैं.

बता दें कि सरिस्का में तीन तरह की गश्त की व्यवस्था है. जंगल क्षेत्र में अभी करीब 400 कैमरे लगे हुए हैं. इसके अलावा करीब 300 कैमरे और लगाए जाएंगे. जिससे फेस टू फेस वन्यजीवों की मॉनिटरिंग संभव होगी. साथ ही प्रत्येक बाघ पर वनकर्मियों नजर बनी रहेगी. रात के समय 3 फेस में मॉनिटरिंग व्यवस्था रहती है. इसके अलावा जंगल से बाहर की तरफ आने जाने वाले सभी रास्तों पर भी वन्यजीवों पर नजरदारी की विशेष व्यवस्था रहती है.

सरिस्का के डीएफओ डीपी जागावत ने बताया कि सर्दी के मौसम में शिकार की संभावनाओं को देखते हुए पूरा एक्शन प्लान तैयार किया गया है. जिसके तहत सरिस्का में काम चल रहा है. सरिस्का को शिकार विहीन बनाने के लिए प्रयास जारी है. जंगल क्षेत्र में बसे गांव के लोगों को भी जागरूक करने का काम किया जा रहा है.

कैमरों की बढ़ाई जा रही है संख्या: सरिस्का में कैमरे मददगार साबित हो रही है. ऐसे में सरिस्का प्रशासन की तरफ से कैमरों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है. नए टावर लग रहे हैं. प्रत्येक टावर पर थर्मल कैमरो के साथ ही आधुनिक कैमरे भी लगाए जा रहे हैं, ताकि वन्यजीवों पर ठीक से निगरानी रखी जा सके.

बता दें कि ये कैमरे 3 से 4 किलोमीटर दूर से ही वन्यजीवों को कैद कर सकते हैं और आने जाने वाले पर नजर रखते हैं. वर्तमान में सरिस्का में वन पालक, वनरक्षक सहित विभिन्न पदों पर 60 प्रतिशत पद खाली है. ऐसे में स्टाफ की खासी कमी है. स्टाफ की कमी के चलते गश्त की व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है. हालांकि, सुरक्षा की दृष्टि से सरिस्का को फॉरेस्ट गार्ड मिले हुए हैं.

अलवर. सरिस्का का जंगल हमेशा से ही शिकारियों के निशाने पर रहा है. आए दिन यहां शिकार के मामले आते रहे हैं. सर्दी के दौरान कोहरे और ठंड का फायदा उठाकर रात के समय शिकारी (Sariska management made strategy) जंगल में शिकार की घटनाओं को अंजाम देते हैं. ऐसे में सरिस्का प्रशासन की ओर से शिकार को रोकने के लिए रात के समय गश्त बढ़ा दी गई है. साथ ही जंगल में प्रवेश के सभी अवैध रास्तों को बंद करते हुए जिन क्षेत्रों से शिकार के मामले सामने आते हैं, उन जगहों को चिन्हित करने का काम भी किया गया है.

करीब 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला सरिस्का का जंगल घना व खूबसूरत है. जंगल के बीचों बीच अलवर-जयपुर सड़क मार्ग गुजरता है. लिहाजा यहां लोगों की आवाजाही बनी (Sariska gets more cameras) रहती है. साथ ही जंगल क्षेत्रों में अभी भी गांव बसे हुए हैं. यही कारण है कि गांव के लोग रोजमर्रा की चीजों के लिए शहर की ओर जाते हैं. ऐसे में जंगल के घने क्षेत्र में भी लोगों की आवाजाही बनी रहती है. जिसका सीधा असर वन्यजीवों पर पड़ता है. साथ ही यहां शिकार का खतरा भी बना रहता है.

सर्दी में बढ़ी शिकार की संभावना

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सरिस्का का जंगल शिकारियों के लिए हमेशा से ही आसान व पसंदीदा जगह रहा है. 2005 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया था. इसके अलावा आए दिन नीलगाय, जंगली सूअर, तीतर, हिरण और बारहसिंघा के शिकार के मामले भी सामने आते रहे हैं. सर्दी के मौसम में रात के समय कोहरे का फायदा उठाकर अक्सर शिकारी जंगल में शिकार करने की कोशिश करते रहते हैं. ऐसे में सरिस्का प्रशासन की तरफ से शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए रात के समय गश्त की व्यवस्था में बदलाव किए गए हैं.

बता दें कि सरिस्का में तीन तरह की गश्त की व्यवस्था है. जंगल क्षेत्र में अभी करीब 400 कैमरे लगे हुए हैं. इसके अलावा करीब 300 कैमरे और लगाए जाएंगे. जिससे फेस टू फेस वन्यजीवों की मॉनिटरिंग संभव होगी. साथ ही प्रत्येक बाघ पर वनकर्मियों नजर बनी रहेगी. रात के समय 3 फेस में मॉनिटरिंग व्यवस्था रहती है. इसके अलावा जंगल से बाहर की तरफ आने जाने वाले सभी रास्तों पर भी वन्यजीवों पर नजरदारी की विशेष व्यवस्था रहती है.

सरिस्का के डीएफओ डीपी जागावत ने बताया कि सर्दी के मौसम में शिकार की संभावनाओं को देखते हुए पूरा एक्शन प्लान तैयार किया गया है. जिसके तहत सरिस्का में काम चल रहा है. सरिस्का को शिकार विहीन बनाने के लिए प्रयास जारी है. जंगल क्षेत्र में बसे गांव के लोगों को भी जागरूक करने का काम किया जा रहा है.

कैमरों की बढ़ाई जा रही है संख्या: सरिस्का में कैमरे मददगार साबित हो रही है. ऐसे में सरिस्का प्रशासन की तरफ से कैमरों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है. नए टावर लग रहे हैं. प्रत्येक टावर पर थर्मल कैमरो के साथ ही आधुनिक कैमरे भी लगाए जा रहे हैं, ताकि वन्यजीवों पर ठीक से निगरानी रखी जा सके.

बता दें कि ये कैमरे 3 से 4 किलोमीटर दूर से ही वन्यजीवों को कैद कर सकते हैं और आने जाने वाले पर नजर रखते हैं. वर्तमान में सरिस्का में वन पालक, वनरक्षक सहित विभिन्न पदों पर 60 प्रतिशत पद खाली है. ऐसे में स्टाफ की खासी कमी है. स्टाफ की कमी के चलते गश्त की व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है. हालांकि, सुरक्षा की दृष्टि से सरिस्का को फॉरेस्ट गार्ड मिले हुए हैं.

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