अलवर. करीब 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला सरिस्का अभ्यारण देश का सबसे अलग नेशनल पार्क है. टाइगर के लिए सरिस्का को खासा उपयुक्त जगह बताया गया है. लेकिन मॉनिटरिंग की बेहतर व्यवस्था नहीं होने के कारण और सरिस्का में अभी लोगों के रहने के कारण यहां आए दिन बाघों की मौत के मामले सामने आते रहते हैं.
बीते डेढ़ साल में सरिस्का में चार बाघों की मौत के मामले सामने आ चुके हैं. वहीं साल 2005 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया था. ऐसे में अभी सरिस्का में 11 बाघ और बाघिन बचे हुए हैं. सरिस्का के ज्यादातर बाघ उम्रदराज हो चुके हैं. ऐसे में यहां के बाघों का कुनबा पढ़ने में दिक्कत आ रही है.
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इसलिए रणथंभौर से 2 बाघ सरिस्का में शिफ्ट करने का फैसला लिया गया है. सरिस्का प्रशासन की मानें तो जिन बाघों को शिफ्ट किया जाना है, उनकी पहचान हो चुकी हैं. दिवाली के बाद बाघों को शिफ्ट करने की प्रक्रिया तेज हो जाएगी. सरिस्का में दो बाघ आने से यहां बाघों का कुनबा बढ़ सकेगा.
सरिस्का में बसे हैं गांव
सरिस्का के वन एरिया में कुल 9 गांव बसे हुए थे. इनमें से 3 गांव के लोगों को शिफ्ट किया जा चुका है. जबकि 6 गांवों के 309 परिवार का विस्थापन होना शेष है. इसमें ककवाड़ी के 8 परिवारों की विस्थापन प्रक्रिया के लिए सहमति मिल चुकी हैं.
लोगों की हलचल के चलते आती है दिक्कतें
सरिस्का में लोगों के रहने के कारण आए दिन यहां दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सरिस्का के कोर एरिया में लोग आते जाते हैं. तो वहीं ऐसे में आए दिन यहां शिकार और अन्य तरीके परेशानियों की शिकायतें मिलती है.