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अलवर: 'ऋग्वेद पारायण महायज्ञ' का समापन, मकर संक्राति पर दी गई अंतिम आहूति - makar sankranti celebration alwar

अलवर में 5 जनवरी से आयोजित ऋग्वेद पारायण महायज्ञ का विधिवत समापन हुआ. बुधवार को पूर्णाहुति हुई. भंडारा भी रखा गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए.

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ऋग्वेद पारायण महायज्ञ का समापन
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Published : Jan 15, 2020, 2:43 PM IST

मुंडावर (अलवर). प्रदेशभर में मकर संक्राति पर कहीं दान-पुण्य, तो कहीं पतंगबाजी की गई. वहीं अलवर के मुंडावर में बड़े धार्मिक अनुष्ठान के साथ संक्राति का पर्व मनाया गया. इसके लिए 5 जनवरी से ही ऋग्वेद पारायण महायज्ञ का आयोजन किया गया है, जो बुधवार को संक्राति के दिन विधि-विधान से संपन्न किया गया.

ऋग्वेद पारायण महायज्ञ का समापन

यज्ञ के ब्रह्म-आचार्य राजकुमार शास्त्री ने बताया, कि इस महायज्ञ में 20 क्विंटल हवन सामग्री और 6 क्विंटल शुद्ध देशी घी का प्रयोग कर यज्ञ में आहुति दी गई है. वेदपाठी संजय दत्त शास्त्री पानीपत और कपिल देव शास्त्री ब्रह्म महाविद्यालय, हिसार ने बहुत ही सुन्दर विधि से वेद का पाठ किया है.

यह भी पढ़ें- नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक: कचरे से निपटने के लिए राजस्थान के युवाओं की मुहिम है Helping Hand

समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए शिक्षाविद डॉ. धर्मराज शर्मा ने कहा, कि यज्ञ और वेदपाठ भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण की शुद्धता के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम समाज और देशहित में होते हैं. उन्होंने भावी पीढ़ी से अपील करते हुए कहा, कि आने वाली पीढ़ियों को संस्कारित करने के लिए यज्ञ और वेदपाठों की ओर हमें लौटना चाहिए.

मुंडावर (अलवर). प्रदेशभर में मकर संक्राति पर कहीं दान-पुण्य, तो कहीं पतंगबाजी की गई. वहीं अलवर के मुंडावर में बड़े धार्मिक अनुष्ठान के साथ संक्राति का पर्व मनाया गया. इसके लिए 5 जनवरी से ही ऋग्वेद पारायण महायज्ञ का आयोजन किया गया है, जो बुधवार को संक्राति के दिन विधि-विधान से संपन्न किया गया.

ऋग्वेद पारायण महायज्ञ का समापन

यज्ञ के ब्रह्म-आचार्य राजकुमार शास्त्री ने बताया, कि इस महायज्ञ में 20 क्विंटल हवन सामग्री और 6 क्विंटल शुद्ध देशी घी का प्रयोग कर यज्ञ में आहुति दी गई है. वेदपाठी संजय दत्त शास्त्री पानीपत और कपिल देव शास्त्री ब्रह्म महाविद्यालय, हिसार ने बहुत ही सुन्दर विधि से वेद का पाठ किया है.

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समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए शिक्षाविद डॉ. धर्मराज शर्मा ने कहा, कि यज्ञ और वेदपाठ भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण की शुद्धता के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम समाज और देशहित में होते हैं. उन्होंने भावी पीढ़ी से अपील करते हुए कहा, कि आने वाली पीढ़ियों को संस्कारित करने के लिए यज्ञ और वेदपाठों की ओर हमें लौटना चाहिए.

Intro:Body:विशाल जनसमूह की उपस्थिति में हुआ ऋग्वेद पारायण महायज्ञ का समापन।
मुण्डावर (अलवर)। जिले के मुण्डावर उपखण्ड के गांव सिहाली कलां में मकर संक्रांति पर्व अवसर पर 5 जनवरी से चल रहे ऋग्वेद पारायण महायज्ञ का विधि-विधान पूर्वक विशाल जनसमूह की उपस्थिति में समापन हुआ। यज्ञ के ब्रह्म-आचार्य राजकुमार शास्त्री ने बताया कि इस महायज्ञ में 20 क्विंटल हवन सामग्री और 6 क्विंटल शुद्ध देशी घी का प्रयोग कर यज्ञ में आहुति दी गई। वेदपाठी संजय दत्त शास्त्री पानीपत एवं कपिल देव शास्त्री ब्रह्म महाविद्यालय, हिसार के द्वारा बहुत ही सुन्दर विधि से वेद पाठ किया गया। समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए शिक्षाविद डॉ. धर्मराज शर्मा ने कहा कि यज्ञ और वेदपाठ भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग रहे हैं, पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण की शुद्धता के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम समाज और देशहित में होते हैं। आने वाली पीढ़ियों को संस्कारित करने के लिए यज्ञ और वेदपाठों की ओर हमें लौटना चाहिए। महायज्ञ के समापन अवसर पर कुंवर सुरेन्द्र सिंह, भरत सिंह चौहान, रतन सिंह चौहान, जगदीश प्रसाद शर्मा, छगन सिंह, दलीप सिंह, देवेन्द्र सिंह चौहान, राजु सिंह, हरिसिंह, अतर सिंह, महाराज राजकुमार नाथ, सीताराम महाराज सहित विशाल जनसमूह उपिस्थत रहा।Conclusion:
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