अलवर. राजस्थान के शहद से अयोध्या में रामलला का अभिषेक किया जाएगा. अलवर जिले के सरिस्का के जंगल के फूलों के रस शहद तैयार किया गया, जिसे शनिवार को अयोध्या के लिए रवाना किया गया. इस ऐतिहासिक पल के लिए करीब 3 सालों तक शहद जमा करने का काम चला. 125 किलो शहद के साथ अलवर से रवाना हुआ रथ 14 जनवरी को अयोध्या पहुंचेगा. अयोध्या रवाना करने से पहले वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर में शहद की पूजा की गई. इसके बाद जगन्नाथ मंदिर में भी एक अनुष्ठान के बाद शहद राम धाम के लिए रवाना किया गया.
वेंकटेश्वर बालाजी दिव्य धाम के मुख्य स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज ने बताया कि यह सौभाग्य से मिला अवसर है कि सरिस्का में तैयार शहद अयोध्या में भगवान राम के अभिषेक के दौरान उपयोग में आएगा. सरिस्का के जंगलों में जितेंद्र गौतम शहद तैयार करने का काम करते हैं और वेंकटेश्वर मंदिर के पदाधिकारी को जब रामकाज के लिए जरूरी शहद के बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने जितेंद्र से संपर्क कर इस कार्य में अपना भी योगदान दिया.
पढ़ें. जोधपुर में 22 जनवरी को मनेगी दिवाली, रामोत्सव के लिए मोयला मुस्लिम कुम्हार बना रहे महादीपक
प्राण प्रतिष्ठा में महत्पूर्ण है शहद : स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा समारोह में स्नान यानी अभिषेक एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. प्राण प्रतिष्ठा का मतलब प्राण स्थापित करना होता है. इसमें पंच तत्व पृथ्वी तत्व, जल तत्व, अग्नि तत्व, वायु तत्व और आकाश तत्व शामिल होते हैं. भगवान के स्नान में पंचामृत का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है, जिसमें दूध, दही, मधु, घी और शक्कर होता है. इसमें चौथे स्थान पर मधु यानी शहद आता है. अलवर के सरिस्का में शहद प्रचुर मात्रा में होता है. अलवर की मुख्य फसल सरसों है और सरसों के फूल से शहद ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. अलवर के जितेंद्र गौतम इसी शहद का व्यापार करते हैं.
विभिन्न फूलों के रस से तैयार हुआ है शहद : जितेंद्र गौतम ने बीते तीन साल में अलग-अलग फूल के रसों से तैयार शहद को जमा किया है. इसमें तुलसी, अजवाइन और केवड़ा की खेती के नजदीक मधुमक्खियों के छत्ते लगाए गए. साथ ही इलाके में सरसों के फूलों से भी मधुमक्खी रस लेती है, जो शहद के रूप में उपयोग किया जाता है. इस तरह से यह शुद्ध और पौष्टिक शहद तैयार किया गया है. अब इस शहद को विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं की मदद से अयोध्या भेजा गया है.
भगवान राम को लगता है पान का भोग : भगवान रामलला को पान का भोग लगता है और खास बात यह है कि पान में भी शहद डाला जाता है. ऐसे में मंदिर ट्रस्ट की तरफ से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद भी शहद देने की मांग की गई है.