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अलवर में टूटी 70 साल पुरानी परंपरा, पुरुषार्थी समाज इस साल करेगा नहीं करेगा रावण दहन - रावण दहन

अलवर 1950 से पुरुषार्थी समाज रावण दहन कार्यक्रम आयोजित करता आ रहा है. लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार प्रशासन ने रावण दहन कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी है. इसलिए इस साल ये कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है.

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पुरुषार्थी समाज ने रद्द किया रावण दहन कार्यक्रम
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Published : Oct 24, 2020, 6:46 PM IST

अलवर. जिले में इस बार 70 साल पुरानी परंपरा टूटने जा रही है. कोरोना के बढ़ते हुए प्रभाव को देखते हुए प्रशासन ने इस साल पुरुषार्थी समाज को रावण दहन कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी है. जिसकी वजह से इस साल दशहरे के मौके पर रावण दहन नहीं होगा. लोग घरों में रहकर ही दशहरा पर्व मनाएंगे. ऐसे में अलवर में इस साल का दशहरा पर्व अन्य सालों से अलग होगा.

पुरुषार्थी समाज ने रद्द किया रावण दहन कार्यक्रम

बता दें कि, अलवर में सन 1950 से पुरुषार्थी समाज की तरफ से लगातार रावण दहन कार्यक्रम किया जाता है. अलवर के दशहरा मैदान में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला बनाया जाता था. साथ ही पुरुषार्थी समाज की तरफ से शोभायात्रा निकाली भी जाती थी. उसके बाद वहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और रंगीन आतिशबाजी के साथ रावण का दहन किया जाता था. लेकिन इस साल प्रशासन ने इन सभी कार्यक्रमों पर रोक लगा दी है.

इन कार्यक्रमों को देखने के लिए अलवर के अलावा आसपास क्षेत्र के लोग भी हजारों की संख्या में यहां पहुंचते थे. साथ ही अलवर में दशहरा मैदान के आसपास के क्षेत्र में मेला भी भरता था. जो अपने आप में देखने लायक रहता है. सभी लोग अपने परिवार और बच्चों के साथ मेले का आनंद लेते थे. बीते, साल यहां 50 फीट से ऊंचा रावण बनाया गया था. जिसके लिए भरतपुर और मथुरा में विशेष कार्य कराए गए थे. लेकिन इस बार कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए प्रशासन ने रावण दहन कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी है. इसलिए पुरुषार्थी समाज ने इस बार रावण दहन कार्यक्रम रद्द कर दिया है.

ये भी पढ़ेंः 'नो मास्क नो एंट्री' अभियान के तहत अलवर व्यापार मंडल ने बांटे मास्क और बिस्किट

पुरुषार्थी समिति के अध्यक्ष राकेश अरोड़ा ने कहा कि, लगातार 70 सालों से अलवर में पुरुषार्थी समाज रावण दहन कार्यक्रम आयोजित करता आ रहा है. इस मौके पर कई और कार्यक्रम भी होते थे. लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार प्रशासन से रावण दहन कार्यक्रम की अनुमति नहीं मिली है. इसलिए कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है. ऐसे में सभी लोगों से अपील है कि वो घर में रहकर दीपक जलाएं और भगवान राम की पूजा करें.

अलवर. जिले में इस बार 70 साल पुरानी परंपरा टूटने जा रही है. कोरोना के बढ़ते हुए प्रभाव को देखते हुए प्रशासन ने इस साल पुरुषार्थी समाज को रावण दहन कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी है. जिसकी वजह से इस साल दशहरे के मौके पर रावण दहन नहीं होगा. लोग घरों में रहकर ही दशहरा पर्व मनाएंगे. ऐसे में अलवर में इस साल का दशहरा पर्व अन्य सालों से अलग होगा.

पुरुषार्थी समाज ने रद्द किया रावण दहन कार्यक्रम

बता दें कि, अलवर में सन 1950 से पुरुषार्थी समाज की तरफ से लगातार रावण दहन कार्यक्रम किया जाता है. अलवर के दशहरा मैदान में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला बनाया जाता था. साथ ही पुरुषार्थी समाज की तरफ से शोभायात्रा निकाली भी जाती थी. उसके बाद वहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और रंगीन आतिशबाजी के साथ रावण का दहन किया जाता था. लेकिन इस साल प्रशासन ने इन सभी कार्यक्रमों पर रोक लगा दी है.

इन कार्यक्रमों को देखने के लिए अलवर के अलावा आसपास क्षेत्र के लोग भी हजारों की संख्या में यहां पहुंचते थे. साथ ही अलवर में दशहरा मैदान के आसपास के क्षेत्र में मेला भी भरता था. जो अपने आप में देखने लायक रहता है. सभी लोग अपने परिवार और बच्चों के साथ मेले का आनंद लेते थे. बीते, साल यहां 50 फीट से ऊंचा रावण बनाया गया था. जिसके लिए भरतपुर और मथुरा में विशेष कार्य कराए गए थे. लेकिन इस बार कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए प्रशासन ने रावण दहन कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी है. इसलिए पुरुषार्थी समाज ने इस बार रावण दहन कार्यक्रम रद्द कर दिया है.

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पुरुषार्थी समिति के अध्यक्ष राकेश अरोड़ा ने कहा कि, लगातार 70 सालों से अलवर में पुरुषार्थी समाज रावण दहन कार्यक्रम आयोजित करता आ रहा है. इस मौके पर कई और कार्यक्रम भी होते थे. लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार प्रशासन से रावण दहन कार्यक्रम की अनुमति नहीं मिली है. इसलिए कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है. ऐसे में सभी लोगों से अपील है कि वो घर में रहकर दीपक जलाएं और भगवान राम की पूजा करें.

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