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Post Office worker hard work paid off : कचरे का मैदान बना औषधि उद्यान, अब बढ़ा रहा अलवर की शान - अब बढ़ा रहा अलवर की शान

आपदा को अवसर में बदलने की जो सीख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी थी. उस पर अलवर डॉक विभाग के कर्मचारी बिल्कुल खरे उतरे हैं. उन्होंने कोरोना काल में शहर के बीचोबीच हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में कचरे के मैदान को अपनी मेहनत और लगन से औषधि उद्यान में बदल दिया. इस उद्यान में अब 85 से अधिक औषधि के पेड़ लहरा रहे हैं. इसने अलवर की शान बढ़ाने के साथ नई पहचान भी दिलाई है.

Post Office worker hard work paid off
कचरे का मैदान बना औषधि उद्यान, अब बढ़ा रहा अलवर की शान
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Published : Apr 18, 2023, 8:11 PM IST

कचरे का मैदान बना औषधि उद्यान, अब बढ़ा रहा अलवर की शान

अलवर. अलवर शहर के बीचो बीच हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में जहां लोग कचरा डालते थे. आज वहां हर्बल गार्डन में हरे पेड़ लहरा रहे हैं. अलवर में डॉक विभाग कर्मचारियों के सकारात्मक प्रयास से अलवर को एक नई पहचान मिली है. डॉक विभाग के कर्मचारियों का दावा है यह देश का पहला विविधता पूर्ण औषधि उद्यान विकसित हो रहा है. इसमें 85 से भी ज्यादा प्रकार की औषधियों के विभिन्न पेड़ पौधे लगे हैं. इस हर्बल उद्यान ने न केवल अलवर को नई पहचान दिलाई बल्कि उसकी शान में चार चांद लगा दिए हैं.

जमा हो गया था हजारों टन कचराः कोरोना काल में दवाई फेल हो गई थी. ऐसे में आयुर्वेद की औषधियां लोगों के लिए जीवनदायिनी बनीं थीं. एलोवेरा, तुलसी, गिलोय, नीम सहित औषधियों से लोगों को नया जीवन मिला. इन हालातों को देखते हुए अलवर के डॉक विभाग में कार्यरत कर्मचारियों ने औषधि के पेड़ लगाने का फैसला लिया. इसके लिए शहर के बीचो-बीच हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में डॉक विभाग की जमीन को चिन्हित किया गया, लेकिन उस जमीन पर सालों से लोग कचरा डाल रहे थे. ऐसे में जमीन पर हजारों टन कचरा जमा हो गया था. सभी कर्मचारियों ने आपस में मिलकर पैसे जमा किए. उसके बाद सबसे पहले उस जमीन की सफाई करवाई. इसके बाद वहां औषधि पेड़ लगाने शुरू किए.

ये भी पढ़ेंः घर के कचरे से आर्गेनिक खेती कर रहे जयपुर के रिटायर्ड कर्मी, छत पर ही बनाया हरा-भरा किचन गार्डेन

देश के विभिन्न कोनों से लाए गए हैं पौधेः यहां हरिद्वार, ऋषिकेश व लखनऊ सहित देश के विभिन्न कोने से औषधि के पेड़ लाकर लगाए गए हैं. डेढ़ साल के प्रयास के बाद आज वो पेड़ लहराने लगे हैं. इससे अलवर को एक नई पहचान मिली है. इस औषधि उद्यान में 85 से ज्यादा तरह की औषधियों के पेड़ लगाए गए हैं. इसके अलावा इस हर्बल गार्डेन में 12 से ज्यादा किस्म के तुलसी के पौधे शामिल हैं. डॉक विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि इस जमीन पर पोस्ट ऑफिस था. पोस्ट ऑफिस के खंडहर होने के बाद उसको बंद कर दिया गया. स्थानीय लोग यहां कचरा डालने लगे. 90 प्रतिशत जमीन पर स्थानीय निवासियों ने अतिक्रमण कर रखा था. डॉक विभाग के कर्मचारियों के लंबे संघर्ष के बाद इस अतिक्रमण को हटाया गया. इसके बाद इस जगह पर औषधि उद्यान विकसित करने का काम शुरू हुआ. अब इस जगह पर हर्बल गार्डन तैयार हो चुका है, ​जिसमें हजारों औषधीय पौधे लगे हुए हैं.

ये भी पढ़ेंः Lumpy in Rajasthan: गोवंश को बचाने के लिए जनमानस ने उठाया बीड़ा, 15 मिनट में तैयार किए 15000 आयुर्वेदिक लड्डू

डॉक विभाग के कर्मचारी का क्या है कहनाः डॉक विभाग के कर्मचारी दीपक शर्मा ने बताया की सबसे पहले इस गार्डन में शमी का वृक्ष लगाया गया था. उसके बाद इस उद्यान हेतु पौधे पतंजलि हरिद्वार, ऋषिकेश, केंद्रीय औषधि एवं पौधा सुगंध संस्थान, लखनऊ से लाए गए. इस उद्यान में लगभग 85 प्रकार के औषधीय पौधे लगाए गए हैं. हर्बल गार्डन में तुलसी की विभिन्न किस्म के पौधे लगे हैं. साथ ही रामा, श्यामा, मरुआ, कपूर, लोंग, मीठी तुलसी स्टूविया, लेमन, अमृता, पान तुलसी, बेसिल,श्यामिया आदि विभिन्न किस्म की तुलसी के पौधे हैं.

औषधि उद्यान में लगे हुए पौधों की प्रजातिः इसमें आंवला, भूमि आंवला, फालसा, अंकोल, छोटी हरड़, आल सपयास, हरमल, साल, लहसुन, बिल्व , रीठा, सेमल, अर्जुन, आमडा, तेजपत्ता, आडू, सीता अशोक, नाक,चीकू, लीची, एलोवेरा, नागद्रौण, अश्वगंधा, नागकेसर, काला वासा, लेमन ग्रास, हड़जोड़, लेवेंडर, काली मिर्च, इलायची, नागरमोथा, वैजयंती, लौंग, गंधराज, छुईमुई, अजवायन, कसोदी, कासामर्द, जख्म बेल एवं अन्य औषधि पौधे विकसित हो रहे हैं. विभागीय अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में डॉक विभाग के कर्मचारियों ने आपस में मिलकर पैसे इकट्ठा किए हर्बल गार्डन का काम शुरू किया. इस गार्डन में अब कई काम होने हैं, लेकिन उसके लिए बजट की कमी है. ऐसे में डॉक विभाग में उच्च अधिकारियों से बजट की मांग की है. साथ ही अलवर के कई भामाशाह व सामाजिक संस्थाओं से भी डॉक विभाग द्वारा संपर्क किया गया है.

कचरे का मैदान बना औषधि उद्यान, अब बढ़ा रहा अलवर की शान

अलवर. अलवर शहर के बीचो बीच हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में जहां लोग कचरा डालते थे. आज वहां हर्बल गार्डन में हरे पेड़ लहरा रहे हैं. अलवर में डॉक विभाग कर्मचारियों के सकारात्मक प्रयास से अलवर को एक नई पहचान मिली है. डॉक विभाग के कर्मचारियों का दावा है यह देश का पहला विविधता पूर्ण औषधि उद्यान विकसित हो रहा है. इसमें 85 से भी ज्यादा प्रकार की औषधियों के विभिन्न पेड़ पौधे लगे हैं. इस हर्बल उद्यान ने न केवल अलवर को नई पहचान दिलाई बल्कि उसकी शान में चार चांद लगा दिए हैं.

जमा हो गया था हजारों टन कचराः कोरोना काल में दवाई फेल हो गई थी. ऐसे में आयुर्वेद की औषधियां लोगों के लिए जीवनदायिनी बनीं थीं. एलोवेरा, तुलसी, गिलोय, नीम सहित औषधियों से लोगों को नया जीवन मिला. इन हालातों को देखते हुए अलवर के डॉक विभाग में कार्यरत कर्मचारियों ने औषधि के पेड़ लगाने का फैसला लिया. इसके लिए शहर के बीचो-बीच हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में डॉक विभाग की जमीन को चिन्हित किया गया, लेकिन उस जमीन पर सालों से लोग कचरा डाल रहे थे. ऐसे में जमीन पर हजारों टन कचरा जमा हो गया था. सभी कर्मचारियों ने आपस में मिलकर पैसे जमा किए. उसके बाद सबसे पहले उस जमीन की सफाई करवाई. इसके बाद वहां औषधि पेड़ लगाने शुरू किए.

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देश के विभिन्न कोनों से लाए गए हैं पौधेः यहां हरिद्वार, ऋषिकेश व लखनऊ सहित देश के विभिन्न कोने से औषधि के पेड़ लाकर लगाए गए हैं. डेढ़ साल के प्रयास के बाद आज वो पेड़ लहराने लगे हैं. इससे अलवर को एक नई पहचान मिली है. इस औषधि उद्यान में 85 से ज्यादा तरह की औषधियों के पेड़ लगाए गए हैं. इसके अलावा इस हर्बल गार्डेन में 12 से ज्यादा किस्म के तुलसी के पौधे शामिल हैं. डॉक विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि इस जमीन पर पोस्ट ऑफिस था. पोस्ट ऑफिस के खंडहर होने के बाद उसको बंद कर दिया गया. स्थानीय लोग यहां कचरा डालने लगे. 90 प्रतिशत जमीन पर स्थानीय निवासियों ने अतिक्रमण कर रखा था. डॉक विभाग के कर्मचारियों के लंबे संघर्ष के बाद इस अतिक्रमण को हटाया गया. इसके बाद इस जगह पर औषधि उद्यान विकसित करने का काम शुरू हुआ. अब इस जगह पर हर्बल गार्डन तैयार हो चुका है, ​जिसमें हजारों औषधीय पौधे लगे हुए हैं.

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डॉक विभाग के कर्मचारी का क्या है कहनाः डॉक विभाग के कर्मचारी दीपक शर्मा ने बताया की सबसे पहले इस गार्डन में शमी का वृक्ष लगाया गया था. उसके बाद इस उद्यान हेतु पौधे पतंजलि हरिद्वार, ऋषिकेश, केंद्रीय औषधि एवं पौधा सुगंध संस्थान, लखनऊ से लाए गए. इस उद्यान में लगभग 85 प्रकार के औषधीय पौधे लगाए गए हैं. हर्बल गार्डन में तुलसी की विभिन्न किस्म के पौधे लगे हैं. साथ ही रामा, श्यामा, मरुआ, कपूर, लोंग, मीठी तुलसी स्टूविया, लेमन, अमृता, पान तुलसी, बेसिल,श्यामिया आदि विभिन्न किस्म की तुलसी के पौधे हैं.

औषधि उद्यान में लगे हुए पौधों की प्रजातिः इसमें आंवला, भूमि आंवला, फालसा, अंकोल, छोटी हरड़, आल सपयास, हरमल, साल, लहसुन, बिल्व , रीठा, सेमल, अर्जुन, आमडा, तेजपत्ता, आडू, सीता अशोक, नाक,चीकू, लीची, एलोवेरा, नागद्रौण, अश्वगंधा, नागकेसर, काला वासा, लेमन ग्रास, हड़जोड़, लेवेंडर, काली मिर्च, इलायची, नागरमोथा, वैजयंती, लौंग, गंधराज, छुईमुई, अजवायन, कसोदी, कासामर्द, जख्म बेल एवं अन्य औषधि पौधे विकसित हो रहे हैं. विभागीय अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में डॉक विभाग के कर्मचारियों ने आपस में मिलकर पैसे इकट्ठा किए हर्बल गार्डन का काम शुरू किया. इस गार्डन में अब कई काम होने हैं, लेकिन उसके लिए बजट की कमी है. ऐसे में डॉक विभाग में उच्च अधिकारियों से बजट की मांग की है. साथ ही अलवर के कई भामाशाह व सामाजिक संस्थाओं से भी डॉक विभाग द्वारा संपर्क किया गया है.

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