अलवर. हर रोज होने वाले अवैध खनन के चलते अलवर जिला देश भर में बदनाम है. अलवर में होने वाले अवैध खनन ज्यादातर दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में जाता है. इसलिए अवैध खनन की घटनाएं हरियाणा और उत्तर प्रदेश से सटे हुए क्षेत्र में ज्यादा होती है.
अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए कुछ माह पहले अलवर के वन विभाग को एक प्लाटून आरएसी मिली थी, इसमें तीन कंपनियां शामिल है. आरएसी की दो कंपनियों को चोपानकी के कैराना क्षेत्र में तैनात किया गया. इसके बाद अवैध खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई हुई. इससे अवैध खनन की घटनाओं में कमी आई और विभाग की तरफ से इस क्षेत्र में फेंसिंग और दीवार का निर्माण भी कराया गया.
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वन विभाग के अधिकारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि 50 हेक्टेयर क्षेत्र में अगले साल पौधारोपण कार्य कराया जाएगा. उस क्षेत्र में फेंसिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है. विभाग की तरफ से साढ़े तीन किलोमीटर लंबी दीवार और फेंसिंग बनाई गई है. इस दौरान करोड़ों रुपये की सरकारी और वन विभाग की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया गया.
यह जमीन खासी कीमती थी, क्योंकि यह एरिया उद्योगिक क्षेत्र से सटा हुआ है. विभाग की तरफ से बड़ी संख्या में अतिक्रमण जमीन को भी अवैध खनन माफियाओं के चंगुल से मुक्त कराया है. अधिकारियों ने कहा कि वैसे तो पहले भी इस तरह के सकारात्मक कदम उठाए गए हैं. लेकिन अलवर का यह क्षेत्र खासा बदनाम हो रहा था. अवैध खनन की रोकथाम के लिए सरकार के इस कदम से इस क्षेत्र में विकास का दौर शुरू हो सकेगा.