अलवर. सरिस्का आने वाले पर्यटकों को अब बाघ और पैंथर के साथ भालू की साइटिंग भी हो सकेगी. सरिस्का में अब तक तीन भालू आ चुके हैं, एक भालू आना अभी बाकी है. शुरुआत में पहुंचे एक नर और मादा भालू को स्वास्थ्य जांच के बाद सोमवार शाम को जंगल में छोड़ दिया गया. एंक्लोजर का दरवाजा खुलते ही भालू जंगल की तरफ दौड़े गए. इस दौरान डॉक्टरों की टीम और सरिस्का के अधिकारी मौजूद रहे.
सरिस्का के डीएफओ डीपी जगावत ने बताया कि भालुओं की मॉनिटरिंग के लिए चार अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं, जो 24 घंटे उन पर नजर रखेंगे. इसके अलावा रेडियो कॉलर की मदद से भी भालुओं की मॉनिटरिंग की जाएगी. भालू स्वस्थ रहें, इसलिए डॉक्टर की टीम भी बीच-बीच में उनके स्वास्थ्य की जांच करेगी. देहरादून, सरिस्का और माउंट आबू के डॉक्टरों की टीम ने भालुओं को शिफ्ट करने की पूरी प्रक्रिया की.
पढ़ें. जालोर से सरिस्का पहुंचा भालू, बढ़ा कुनबा
देश में पहली बार भालू को किया गया शिफ्ट : साल 2005 में सबसे पहले रणथम्भौर से बाघों को सरिस्का में शिफ्ट किया गया था. अब देश में पहली बार भालुओं को माउंट आबू और सिरोही के जंगलों से सरिस्का में शिफ्ट किया गया है. सरिस्का के जंगल में भालू का कुनबा बसाने के लिए खास तैयारी की गई है. देहरादून से आई डॉक्टरों की टीम ने विशेष तकनीक से भालू को ट्रेंकुलाइज किया, इसके बाद उनको शिफ्ट किया गया.
बता दें कि एनटीसीए की अनुमति के बाद 21 अप्रैल को सरिस्का में भालू लाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. एक के बाद एक तीन भालू सरिस्का में शिफ्ट किए गए. सरिस्का के ताल वृक्ष क्षेत्र में बनाए गए एंक्लोजर में सभी भालू को रखा गया. डॉक्टरों की टीम ने भालुओं की मॉनिटरिंग में लगी रही. दरअसल, भालू अन्य वन्यजीवों की तुलना में ज्यादा सेंसेटिव होते हैं, इसलिए भालू की शिफ्टिंग में डॉक्टर और वन विभाग की टीम की तरफ से खास ध्यान रखा गया.